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डेड बॉडीज से नहीं फैलता कोरोना, शव के अंतिम संस्कार करने में कोई जोखिम नहीं : एम्‍स निदेशक

Delhi AIIMS Director Randeep Guleria ने साफ किया है कि कोरोना वायरस शवों यानी डेड बॉडीज के माध्यम से नहीं फैलता है। आइये जानें कैसे फैलता है कोरोना वायरस...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 14 Mar 2020 04:31 PM (IST)Updated: Sat, 14 Mar 2020 05:25 PM (IST)
डेड बॉडीज से नहीं फैलता कोरोना, शव के अंतिम संस्कार करने में कोई जोखिम नहीं : एम्‍स निदेशक
डेड बॉडीज से नहीं फैलता कोरोना, शव के अंतिम संस्कार करने में कोई जोखिम नहीं : एम्‍स निदेशक

नई दिल्‍ली, एजेंसियां। कोरोना वायरस को लेकर लोगों में तरह तरह की भ्रांतियां देखी जा रही हैं। इन्‍हीं गलतफहमि‍यों को देखते हुए दिल्‍ली एम्स (Delhi AIIMS) के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने साफ किया है कि कोरोना वायरस शवों यानी डेड बॉडीज के माध्यम से नहीं फैलता है। उन्‍होंने स्‍पष्‍ट किया कि यह संक्रमित व्‍यक्तियों की छींक और खांसी से निकलने वाले ड्रॉपलेट्स से ही फैलता है। गुलेरिया ने कहा कि इस वायरस के फैलने के लिए खांसी या छींक जरूरी है। संक्रमित शख्‍स की मौत के बाद उसके शव का अंतिम संस्कार करने में कोई भी जोखिम नहीं है।  

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इस वाकए से उठा सवाल 

दरअसल, कोरोना वायरस की चपेट में आने के चलते राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्‍ली में एक 68 वर्षीय बुजुर्ग महिला की शुक्रवार रात को मौत हो गई थी। शनिवार को सुबह जब निगम बोध घाट पर उस महिला का शव पहुंचा तो निगम बोध घाट ने अंतिम संस्कार करने से रोक दिया। माना जा रहा है कि कोरोना के भय के चलते यह रोक लगी। हालांकि बाद में अधिकारियों ने इस मामले में दखल दी जिससे महिला के शव का अंतिम संस्कार किया गया। बताया जाता है कि इस दौरान डॉक्टरों की टीम भी मौजूद थी। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय ने कहा कि कोरोना से मौत के मामले में सतर्कता के साथ शव का दाह संस्कार किया जा सकता है।

सतर्कता के साथ शव का करें दाह संस्कार  

स्वास्थ्य विभाग के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय ने कहा कि कोरोना से मौत के मामले में सतर्कता के साथ शव का दाह संस्कार किया जा सकता है। महानिदेशालय की मानें तो कोरोना के चलते मरने वाले के शव से संक्रमण का कोई खतरा नहीं है। शव का अंतिम संस्कार बिजली, सीएनजी या लकड़ी से किया जा सकता है। वहीं भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स, दिल्‍ली) के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया की मानें तो कोरोना वायरस से डरने की जरूरत नहीं है। इस वायरस के संक्रमण से मौत का खतरा महज दो से तीन फीसद ही है। 

डरने की जरूरत नहीं, बरतें एहतियात 

डॉ. गुलेरिया के मुताबिक, अब तक कोरोना के जितने भी मामले सामने आए हैं उनमें लगभग 80 फीसद मरीज हल्की बीमारी का शिकार हुए हैं और सामान्य दवाओं से ठीक हो गए हैं। मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता ही कोरोना वायरस को खत्म करती है। हालांकि, उन्‍होंने यह भी कहा है कि चिंता केवल उन मरीजों को लेकर है जो बुजुर्ग हैं और जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम है। ऐसे मरीजों को आईसीयू में ही रखना पड़ता है। इस वायरस के संक्रमण का खतरा संक्रमित व्यक्ति के नजदीक यानी दो से तीन मीटर के करीब आने पर ही होता है। 

बुजुर्गों में संक्रमण की आशंका ज्यादा

डॉ. गुलेरिया का कहना है कि चीन समेत दूसरे मुल्‍कों में कोरोना का संक्रमण बच्चों में कम और वयस्कों में ज्यादा हुआ है। हालांकि रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण बच्चों और बुजुर्गों में संक्रमण की आशंका ज्यादा होती है। ऐसे में बच्चों और बुजुर्गों को ज्यादा एहतियात बरतने की जरूरत है। यदि बच्चों में खांसी, जुकाम और बुखार के लक्षण हैं तो परिजन घर पर ही रख कर पूरी सतर्कता से उनकी देखभाल करें। ऐसे बच्चे को स्कूल भेजने पर पूरी क्लास में संक्रमण फैलने का खतरा होता है। एम्‍स निदेशक के मुताबिक, एम्‍स में कोरोना के मरीजों के लिए सभी जरूरी इंतजाम हैं। मरीजों को अलग रखने के लिए आइसोलेशन सेंटर भी बनाए गए हैं।  


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