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Corona Crisis: दिल्‍ली और महाराष्‍ट्र में थोड़ी राहत लेकिन कर्नाटक ने बढ़ाई चिंता; उद्धव ने की समीक्षा, विशेषज्ञों ने कही यह बात

देश में 124 दिन बाद दैनिक मामलों में 30 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसके साथ ही संक्रमितों का आंकड़ा बढ़कर 43362294 हो गया है जबकि महामारी से 524954 लोगों की मौत हो चुकी है। पढ़ें यह रिपोर्ट...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 24 Jun 2022 08:59 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jun 2022 04:27 AM (IST)
Corona Crisis: दिल्‍ली और महाराष्‍ट्र में थोड़ी राहत लेकिन कर्नाटक ने बढ़ाई चिंता; उद्धव ने की समीक्षा, विशेषज्ञों ने कही यह बात
देश में संक्रमितों का आंकड़ा बढ़कर 4,33,62,294 हो गया है

नई दिल्‍ली, एजेंसियां। देश में कोरोना संक्रमण के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय की ओर से साझा की गई जानकारी के मुताबिक देश में चार महीने से अधिक अंतराल के बाद एक दिन में कोरोना के 17,336 नए मामले सामने आए। इसके साथ ही देश में संक्रमितों का आंकड़ा बढ़कर 4,33,62,294 हो गया है जबकि महामारी से 5,24,954 लोगों की मौत हो चुकी है। समाचार एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक देश में 124 दिन बाद दैनिक मामलों में 30 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

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महाराष्‍ट्र में 4205 नए मामले

वहीं महाराष्‍ट्र में शुक्रवार को कोरोना के 4205 नए मामले सामने आए जबकि तीन लोगों की संक्रमण से मौत हो गई। इसमें अकेले मुंबई से 1,898 नए केस सामने आए जबकि दो लोगों की मौत हो गई। इसके साथ ही मुंबई में संक्रमितों का आकड़ा बढ़कर 11,03,760 हो गया है। महाराष्‍ट्र में एक दिन पहले गुरुवार को संक्रमण के 5,218 मामले दर्ज किए थे जबकि एक मरीज की मौत हुई थी। सूबे में एक्टिव केस की संख्या 25,000 को पार कर गई है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने वीडियो कान्फ्रेंस के जरिए अधिकारियों के साथ संक्रमण की स्थिति की समीक्षा की।

दिल्‍ली में थोड़ी राहत 

राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्‍ली में संक्रमण से थोड़ी राहत मिली है। दिल्‍ली के स्वास्थ्य विभाग की ओर से साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्‍ली में शुक्रवार को कोरोना के 1,447 नए मामले सामने आए जबकि एक शख्‍स की संक्रमण से मौत दर्ज की गई। राहत की बात यह कि पाजिटिविटी दर घटकर 5.98 प्रतिशत हो गई है। दिल्ली में गुरुवार को कोरोना के 1,934 नए मामले दर्ज किए गए थे। नए आंकड़ों के बाद दिल्‍ली में संक्रमितों का आंकड़ा बढ़कर 19,28,841 हो गया है जबकि 26,243 लोगों की मौत हो चुकी है।

कर्नाटक में 816 नए मामले

हालांकि कर्नाटक ने चिंता बढ़ा दी है। समाचार एजेंसी एएनआइ की रिपोर्ट के मुताबिक कर्नाटक में शुक्रवार को कोरोना के 816 नए मामले दर्ज किए गए। केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय के मुताबिक देश में कोरोना के एक्टिव केस में काफी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। मौजूदा वक्‍त में एक्टिव केस बढ़कर 88,284 हो गए हैं, जो कुल मामलों का 0.20 फीसद है। 

मामलों उतार चढाव एक सामान्य घटना

वहीं संक्रमण में एक बार फिर से वृद्धि के रुख पर विशेषज्ञों का कहना है कि चिंता करने वाली कोई बात नहीं है। जब कोई संक्रामक रोग महामारी के चरण को पार करके स्थानिक चरण में पहुंचता है तो समय समय पर संक्रमण के मामलों उतार चढाव एक सामान्य घटना है। यह भी संभव है कि मास्क नहीं पहनने, यात्रा और सामाजिक संपर्क में बढ़ोतरी से ऐसा हो रहा हो। कोविड रोधी टीके की बूस्टर डोज में कोताही भी इसकी एक वजह हो सकती है।

टीकाकरण अहम हथियार

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञ बार-बार टीकाकरण पर जोर देते हैं। कोरोना के खिलाफ जंग में टीकाकरण कितना अहम हथियार है यह प्रतिष्ठित लैंसेट पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन से बिल्कुल स्पष्ट हो गया है। इसके अनुसार भारत में पिछले साल यानी 2021 में टीकाकरण से 42 लाख से ज्यादा जिंदगियां बचाई गईं। अगर वैश्विक स्तर पर बात करें तो यह आंकड़ा करीब दो करोड़ है।

ऐसे किया अध्‍ययन 

'द लैंसेट इंफेक्शियस डिजीज' पत्रिका में प्रकाशित यह माडलिंग अध्ययन महामारी के दौरान देश में अतिरिक्त मृत्युदर के अनुमानों पर आधारित है। अध्ययन के प्रमुख लेखक लंदन के इंपीरियल कालेज के ओलिवर वाट्सन ने कहा कि आठ दिसंबर, 2020 से आठ दिसंबर, 2021 के दौरान भारत में टीकाकरण के चलते 42.10 लाख मौतें रोकी गईं। हालांकि, अध्ययन करने वाले विज्ञानियों ने यह भी कहा है कि यह आंकड़ा अनुमानित है और यह संख्या 36.6 लाख से 43.7 लाख के बीच हो सकती है।

टीकाकरण ने लाखों लोगों को जिंदगी बचाई

वाट्सन ने एक ईमेल के जरिये कहा कि इस माडलिंग अध्ययन से पता चलता है कि भारत में टीकाकरण अभियान ने लाखों लोगों को जिंदगी बचाई है। यह अध्ययन विशेषरूप से भारत में टीकाकरण के उल्लेखनीय प्रभाव को दर्शाता है, जो डेल्टा वैरिएंट के विनाशकारी प्रभाव का सामना करने वाला पहला देश था।

बचाई जा सकती थी 5.99 लाख और लोगों की जान

अध्ययन में कहा गया है कि अगर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के लक्ष्य के अनुसार हर देश में 40 प्रतिशत आबादी का टीकाकरण कर लिया गया होता तो 5.99 लाख और लोगों की जान बचाई जा सकती थी। अध्ययन में 185 देशों में हुई अतिरिक्त मौतों के अनुमानों के आधार पर कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर टीकाकरण अभियान के पहले साल 1.98 करोड़ जिंदगियां बचाई गईं। इन देशों में इस दौरान इस महामारी के चलते 3.14 करोड़ मौतें होने की आशंका जताई गई थी।

कोवैक्स कार्यक्रम के चलते 75 लाख जाने बचीं

शोधकर्ताओं के अनुसार संयुक्त राष्ट्र के कोवैक्स कार्यक्रम के तहत विभिन्न देशों को वैक्सीन उपलब्ध कराकर 75 लाख जानें बचाई गईं। इस कार्यक्रम के तहत गरीब और कम आय वाले देशों को वैक्सीन उपलब्ध कराई जाती है।

वैश्विक स्वास्थ्य के लिए असाधारण उपलब्धि

अमेरिका के याले यूनिवर्सिटी स्कूल आफ पब्लिक हेल्थ के प्रोफेसर अलिसन गलवनी ने कहा, तेजी के साथ कोरोना टीकों के विकास और बाजार में उनकी उपलब्धता से 1.9 करोड़ लोगों की जान बचाना एक असाधारण वैश्विक स्वास्थ्य उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि अगर कोरोना रोधी वैक्सीन का सभी देशों में समान वितरण किया गया होता तो और लाखों लोगों की जान बचाई जा सकती थी। बता दें कि लैंसेट में प्रकाशित अध्ययन करने वाले दल में गलवनी शामिल नहीं थे।


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