छठ महापर्व: गुड़ की खीर से लगेगा भगवान का भोग, जानें क्यों है ऐसी आस्था
नहाय-खाय वाले दिन से छठ पर्व की शुरुआत मानी जाती है। दूसरे दिन खरना होता है। इसमें शुद्धता का काफी ध्यान रखा जाता है। यह प्रकृति से जुड़ा पर्व है।
नई दिल्ली, जेएनएन। लोक आस्था का पर्व छठ शुरू हो चुका है। रविवार को 'कद्दू भात' के प्रसाद के साथ ही इस आस्था के पर्व की शुरुआत हो चुकी है। बाजार में खरीदारी के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है। फल-फूल की दुकानों पर श्रद्धालुओं को खरीदारी करते देखा जा सकता है। [सोमवार] आज गुड़ की मीठी-मीठी खुशबू के साथ दूध और चावल की खीर के प्रसाद से भगवान को भोग लगेगा। इसके साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाएगा। इस पर्व में खरना के पूजा के लिए व्रती पूरे दिन बगैर जलग्रहण किए उपवास रखने के बाद सूर्यास्त पर पूजा करती हैं। इस कठिन व्रत को पूरी आस्था से करने पर माना जाता है कि भगवान हर मनोकामना पूरी करते हैं।
सूर्य की पूजा अर्चना
सोमवार शाम को आराध्य सूर्य की पूजा के बाद व्रती प्रसाद ग्रहण कर खरना करेंगे। इसके बाद प्रसाद का वितरण किया जाएगा। खरना के साथ ही व्रती अगले 36 घंटे का कठिन व्रत शुरू करेंगी। इस दौरान व्रती पानी भी ग्रहण नहीं करती हैं। व्रती के साथ कुछ पुरुष भी इस व्रत को मन्नतों के लिए करते हैं। वह घर से लेट कर छठ घाट तक पहुंचते हैं व पानी में खड़े होकर आराध्य सूर्य की पूजा अर्चना करते हैं।
पर्व को लेकर उल्लास का माहौल
घरों में छठ पर्व को लेकर उल्लास का माहौल है। जगह-जगह छठ मइया के गीत बज रहे हैं। नहाय-खाय वाले दिन से छठ पर्व की शुरुआत मानी जाती है। दूसरे दिन खरना होता है। तीसरे दिन अस्ताचलगामी सूर्य और चौथे दिन उदय होते ही सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही पर्व का समापन हो जाता है।
बाजार में उमड़ रही भीड़
नहाय-खाय के साथ व्रत के सामानों से बाजार सज गया। व्रत के सामान की खरीदारी के लिए नहाय-खाय के दिन को शुभ माना जाता है। अधिकांश व्रती व उनके परिवार के लोग इसी दिन व्रत के सामानों की खरीदारी करते हैं। इससे आज बाजार में छठ व्रत के सामानों से बाजार भर गया है। दुकानदार अपनी दुकानों के बाहर सूप, टोकरी, फल आदि की दुकानें सजा ली हैं। व्रती व उनके परिवार के लोगों ने नहाय-खाय के दिन व्रत के सामानों की जमकर खरीदारी की है।
यह प्रकृति से जुड़ा पर्व है
महावीर नगर निवासी भावना ने बताया कि छठ पर्व को हम सभी हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। इसमें शुद्धता का काफी ध्यान रखा जाता है। यह प्रकृति से जुड़ा पर्व है। उन्होंने बताया कि इसमें ऐसा कुछ भी नहीं होता, जिससे पर्यावरण किसी भी प्रकार से प्रभावित हो। इसके लिए लोग पूरे वर्ष इंतजार करते हैं। आज तक जो भी छठ मइया से मांगा वह मिला है। इस कारण आस्था और बढ़ गई है। पहले इस इलाके में कहीं-कहीं छठ मइया की पूजा होती थी, लेकिन अब लगभग हर कॉलोनी में लोग इसे मना रहे हैं। इलाके में सैकड़ों घाट बने हुए हैं। पूजा समिति की ओर से यहां पर सभी सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं।
बाजार पूरी तरह से सज गए हैं
मुकुल ने बताया कि हर वर्ष की तरह इस बार भी छठ पर्व की तैयारी शुरू हो गई है। छठ के लिए बाजार पूरी तरह से सज गए हैं। पहले लोगों को छठ पर्व से संबंधित सामान नहीं मिलते थे, लेकिन अब डाबड़ी, उत्तम नगर सहित कई अन्य इलाकों में सामान आसानी उपलब्ध हो जाते हैं। इससे अब काफी सहूलियत होती है।