दिल्ली में हेल्थ इमरजेंसी पर राजनीति के बीच पढ़िए क्या कहते हैं पराली पर सेटेलाइट के आंकड़े
पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कहा है कि उसने सेटेलाइट मैपिंग के जरिये आंकड़े जुटाए हैं जो पराली जलाने की घटनाओं में कमी की ओर इशारा करते हैं।
नई दिल्ली, आइएएनएस। वायु प्रदूषण की वजह से दिल्ली-एनसीआर में घनी धुंध छाई हुई है और लोग इसके लिए पड़ोसी राज्य पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाए जाने को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। लेकिन, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि 2016 से 2018 के बीच तीनों राज्यों में पराली जलाए जाने की घटनाओं में 41 फीसद की कमी आई है।
सेटेलाइट मैंपिंग के जरिए आंकड़े से चला पता
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कहा है कि उसने सेटेलाइट मैपिंग के जरिये आंकड़े जुटाए हैं जो पराली जलाने की घटनाओं में कमी की ओर इशारा करते हैं। ये आंकड़े कंसोर्टियम ऑफ रिसर्च ऑन एग्रो ईकोसिस्टम मॉनिटरिंग एंड मॉडलिंग फ्रॉम स्पेस लेबोरेटरी ने जुटाए हैं जो एग्रीकल्चर फिजिक्स, इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट का विभाग है।
11 से 29 फीसद तक आई कमी
हलफनामे के मुताबिक, 2018 में पराली जलाने की घटनाओं में 2017 और 2016 की तुलना में क्रमश: 15 फीसद और 41 फीसद कमी आई है। केंद्र का कहना है कि 2017 के मुकाबले 2018 में पराली जलाने की घटनाओं में पंजाब में 11 फीसद, हरियाणा में 29.5 फीसद और उत्तर प्रदेश में 24.5 फीसद की कमी आई है।
सुप्रीम कोर्ट ने मांगा था केंद्र से जवाब
मालूम हो कि 14 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वह राष्ट्रीय राजधानी के पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए उठाए गए कदमों पर अपना जवाब और स्थिति रिपोर्ट दाखिल करे। केंद्र ने बताया है कि 2018-19 के दौरान उसने अपने हिस्से का सारा धन राज्यों को जारी कर दिया है। इसमें पंजाब को 269.38 करोड़, हरियाणा को 137.84 करोड़, उत्तर प्रदेश को 148.6 करोड़ और केंद्रीय एजेंसियों को 28.51 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। यह धनराशि किसानों को सब्सिडी पर पराली प्रबंधन मशीनों के वितरण के लिए आवंटित की गई है।
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