केंद्र और दिल्ली सरकार संयुक्त बैठक कर लें तिहाड़ जेल की सुरक्षा पर निर्णय : सुप्रीम कोर्ट
दिल्ली की तिहाड़ जेल में सुरक्षा के और चाक चौबंद इंतजाम किए जाने के मामले में गुरुवार को केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस द्वारा दिल्ली सरकार पर जिम्मेदारी डाले जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने एतराज जताया। कोर्ट ने कहा कि सब एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। दिल्ली की तिहाड़ जेल में सुरक्षा के और चाक चौबंद इंतजाम किए जाने के मामले में गुरुवार को केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस द्वारा दिल्ली सरकार पर जिम्मेदारी डाले जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने एतराज जताया। कोर्ट ने कहा कि सब एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं। एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालने के बजाय अथारिटीज को प्रभावी ढंग से समन्वय के साथ जल्द फैसले लेने चाहिए। कोर्ट ने इस मामले में दिल्ली पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना की रिपोर्ट में दिए गए सुझावों पर अमल का फैसला करने के लिए केंद्र और दिल्ली सरकार को एक हफ्ते में संयुक्त बैठक करने का निर्देश दिया।
एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालने के बजाए समन्वय के साथ जल्द फैसले
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने ये निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि बैठक में केंद्रीय गृह मंत्रालय के सचिव स्तर के अधिकारी, तिहाड़ जेल के डीजी और दिल्ली के मुख्य सचिव भाग लेंगे। बैठक में तिहाड़ जेल की सुरक्षा के बारे में दिल्ली पुलिस आयुक्त की रिपोर्ट के सुझाव लागू करने पर निर्णय लिया जाए और जो उपाय करने हैं उनका ब्योरा टाइमलाइन के साथ तीन सप्ताह में रिपोर्ट दाखिल कर कोर्ट को दिया जाए। तीनों अधिकारी संयुक्त रूप से रिपोर्ट दाखिल करेंगे। मामले पर तीन सप्ताह बाद फिर सुनवाई होगी। कोर्ट ने कहा कि जब वे कोर्ट आएं तो कुछ ठोस सुझावों के साथ आएं। बैठक में पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना भी आमंत्रित (इनवाइटी) के रूप में हिस्सा लेंगे क्योंकि बैठक में उनकी रिपोर्ट पर ही विमर्श होना है।
चंद्रा बंधुओं और तिहाड़ कर्मियों की मिलीभगत पर की थी खिंचाई
तिहाड़ जेल कर्मचारियों द्वारा यूनीटेक के प्रमोटर चंद्रा बंधुओं के साथ मिलीभगत करके उन्हें गैरकानूनी गतिविधियों में मदद पहुंचाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पिछले वर्ष तिहाड़ जेल अथारिटीज की कड़ी खिंचाई की थी और मामले की जांच के आदेश दिए थे। उसके बाद ही अस्थाना ने तिहाड़ की सुरक्षा और बढ़ाने के बारे में रिपोर्ट और सुझाव दिए थे।
केंद्र ने कहा, अस्थाना की रिपोर्ट लागू करने योग्य
गुरुवार को सुनवाई के दौरान बताया गया कि गृह मंत्रालय ने हलफनामा दाखिल किया है। केंद्र ने हलफनामे में मुख्यत: माडल प्रिजेन मैनुअल को आधार बनाया था। यह भी कहा कि तिहाड़ की सुरक्षा के बारे में पुलिस आयुक्त की दी गई रिपोर्ट अच्छी है और लागू करने लायक है। केंद्र की ओर से पेश एएसजी माधवी दीवान ने कहा कि जेल राज्य का विषय है और इस बारे में दिल्ली सरकार को निर्णय लेना होगा, उसे ही निर्देश दिया जाए।
जब कोर्ट ने पूछा कि तिहाड़ जेल की सुरक्षा किसके तहत आती है तो बताया गया कि दिल्ली पुलिस के ही अधिकारी तिहाड़ के डीजी होते हैं। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस के वकील से पुलिस आयुक्त की रिपोर्ट लागू करने के बारे में सवाल किया तो उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस का अधिकारी तिहाड़ में डीजी जरूर होता है, लेकिन वह प्रतिनियुक्ति पर होता है। उसे प्रशासनिक तौर पर दिल्ली सरकार के आदेशों का पालन करना होता है। इन दलीलों पर पीठ ने कहा कि सभी एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं।
रिपोर्ट में मुख्यत: तीन सुझाव
कोर्ट ने कहा कि रिपोर्ट में मुख्यत: तीन सुझाव हैं। पहला सुझाव है सेल फोन जैमर लगाना। इसके बारे में डीजी प्रिजन ने कहा है कि एक विशेषज्ञ कमेटी बनी थी जिसने मोबाइल सिग्नल को ब्लाक करने के लिए डोमिनेंट टावर टेक्नोलाजी का सुझाव दिया था। प्रयोग के तौर पर इस तकनीक का जनवरी, 2020 से मंडोली जेल में प्रयोग हो रहा था और ऐसे ही तीन टावर गत नवंबर में तिहाड़ में भी लगाए गए हैं। इसके नतीजे अच्छे हैं, लेकिन टेलीकाम सर्विस द्वारा नियमित निगरानी की जरूरत है।
संचार विभाग ने इस पर एक एसओपी तैयार की है जो अभी विचाराधीन है। दूसरा सुझाव फुल बाडी एक्स-रे स्कैनर लगाने का है। इस पर डीजी प्रिजन का कहना था कि दो फुल बाडी स्कैनर खरीदने की प्रक्रिया चल रही है। तीसरा सुझाव सीसीटीवी कैमरे लगाने के बारे में है। इस मुद्दे पर बताया गया कि 16 जेलों में 7,000 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। इसके दो सेंट्रल कंट्रोल रूम हैं। एक तिहाड़ में है और दूसरा मंडोली जेल में है।