CBSE ने बताया परीक्षा शुल्क बढ़ाने का कारण, दिल्ली में SC/STछात्रों को राहत
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने मंगलवार को 10वीं और 12वीं बोर्ड के परीक्षा शुल्क बढ़ाए जाने के मामले में सफाई दी है।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने मंगलवार को 10वीं और 12वीं बोर्ड के परीक्षा शुल्क बढ़ाए जाने के मामले में सफाई दी है। इसके पीछे कई कारण बताए गए हैं। बोर्ड के सचिव अनुराग त्रिपाठी ने कहा कि सीबीएसई के कई खर्च बढ़ने के कारण यह फैसला लिया गया है। पिछले पांच साल में शुल्क नहीं बढ़ाया गया था।
उन्होंने बताया कि इस वर्ष बोर्ड ने दोनों कक्षाओं की परीक्षा में नकल और पेपर लीक की घटनाओं को रोकने के लिए करीब पांच हजार परीक्षा केंद्रों में 100 फीसद तक नए पांच हजार पर्यवेक्षकों और पांच हजार डिप्टी सेंटर सुपरिटेंडेंट की नियुक्तियां की थीं। मूल्यांकनकर्ताओं की संख्या भी 40 फीसद तक बढ़ाई गई, जिससे हम जल्द नतीजों की घोषणा कर सके।
मूल्यांकनकर्ताओं की संख्या एक लाख 25 हजार से बढ़ाते हुए 2 लाख 50 हजार तक की गई। इन्हें और अन्य हितधारकों को उत्तर पुस्तिकाओं को चेक करने के लिए प्रशिक्षण भी दिया गया। दिल्ली हाई कोर्ट ने भी नतीजों को जल्द घोषित करने का आदेश दिया था। पेपर का खर्च, गोपनीय दस्तावेजों की प्रिंटिंग और उनका परिवहन व इन सबको रखने की जगह जैसी चीजों के खर्चे भी बढ़े।
नकल और पेपर लीक की घटनाओं को रोकने के लिए कई सॉफ्टवेयर तैयार किए गए, नई तकनीक की मदद ली गई। इन सब खर्चो के कारण परीक्षा शुल्क बढ़ाना पड़ा। अनुराग त्रिपाठी ने कहा कि दोनों कक्षाओं के परीक्षा शुल्क को दोगुना ही बढ़ाया गया है। यह गलत सूचना है कि बोर्ड ने कई गुना परीक्षा शुल्क बढ़ाया है।
200 करोड़ रुपये का हुआ था घाटा : अनुराग त्रिपाठी ने कहा कि सीबीएसई एक स्वायत्त निकाय है। यह बोर्ड खुद से फंड जुटाता है। 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा में 500 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। हमें कई साल से वित्तीय घाटा हो रहा था। पिछले वित्त वर्ष 2018-2019 में 200 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। पहले बोर्ड घाटे को काबू करने के लिए दूसरे प्रोफेशनल कोर्स जैसे जेईई, नीट के शुल्क से इसे पूरा करने की कोशिश करता था, लेकिन इन प्रोफेशनल कोर्स के लिए परीक्षा के आयोजन की जिम्मेदारी सरकार ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) को दे दी है। अब बोर्ड 10वीं और 12वीं बोर्ड की परीक्षा और केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटेट) आयोजित करता है। ऐसे में बोर्ड को खर्चो को देखने के लिए परीक्षा शुल्क बढ़ाना बेहद जरूरी था।
बोर्ड के अधीन 22 हजार स्कूल : देश भर में सीबीएसई के अधीन 22 हजार स्कूल हैं, जिसमें 16 हजार निजी और 6 हजार सरकारी स्कूल शामिल हैं। इनमें से दिल्ली के 1500 निजी स्कूल और एक हजार सरकारी स्कूल हैं। 2010 से लेकर 2019 तक सीबीएसई से संबद्ध 10 हजार स्कूल बढ़े। बोर्ड ने बीते कुछ वर्षों में छह नए रीजनल सेंटर भी स्थापित किए।
Central Board of Secondary Education, Secretary, Anurag Tripathi: We have issued a circular to the Delhi Government today that SC/ST students in Delhi will have to pay Rs 50 only for Class X and Class XII Board examinations. pic.twitter.com/B1DzzQH6f7 — ANI (@ANI) August 13, 2019
दिल्ली में SC/ST छात्रों को राहत
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने आखिरकार दिल्ली में SC/ST छात्रों को राहत दी है। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने दसवीं और बारहवीं के परीक्षा शुल्क में की गई बढ़ोतरी को वापस ले लिया है। सीबीएसई ने एक बयान जारी कर कहा है कि एससी/एसटी छात्रों से परीक्षा शुल्क के रूप में पहले की तरह अब भी मात्र 50 रुपया ही लिया जाएगा। बाकी का पैसा दिल्ली सरकार चुकाएगी।
वहीं दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि उन्होंने शिक्षा विभाग को एक फार्मूले के तहत काम करने का निर्देश दिया है ताकि छात्रों पर फीस का बोझ कम से कम पड़े। सिसोदिया ने कहा कि उन्होंने शिक्षा निदेशालय (DoE) से एक प्रस्ताव तैयार करने को कहा है जिसके जरिए 10वीं और 12वीं के छात्रों पर फीस का बोझ कम से कम किया जा सके।
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