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CBI का भ्रष्टाचार के मामलों में रिकॉर्ड खराब, 32 फीसद केस में होती है नाकाम

सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के विवाद से एजेंसी की छवि धूमिल हुई है। इसके बाद केस सुलझाने को लेकर सीबीआइ के ट्रैक रिकॉर्ड पर भी सवाल उठने लगे हैं।

By Amit SinghEdited By: Published: Sat, 27 Oct 2018 04:10 PM (IST)Updated: Sat, 27 Oct 2018 04:10 PM (IST)
CBI का भ्रष्टाचार के मामलों में रिकॉर्ड खराब, 32 फीसद केस में होती है नाकाम
CBI का भ्रष्टाचार के मामलों में रिकॉर्ड खराब, 32 फीसद केस में होती है नाकाम

नई दिल्ली, जेएनएन। देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआइ इन दिनों खुद पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों से जूझ रही है। मामला इतना बड़ा है कि सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ही आपस में भिड़ पड़े हैं। इसे लेकर एक तरफ जहां सीबीआइ की साख पर बट्टा लगा है। वहीं, दूसरी तरफ पूरे देश में सीबीआइ की अंदरूनी कलह को लेकर राजनीति भी चरम पर है। विवाद की वजह से दोनों टॉप के अधिकारियों को छुट्टी पर भेज दिया गया है। कई और अधिकारियों पर भी इस विवाद की गाज गिरी है।

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सीबीआइ की इस कलह ने देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आम लोगों में भी सीबीआइ के केसों को लेकर बहुत संतोषजनक प्रतिक्रिया नहीं देखी जा रही है। मालूम हो कि सीबीआइ भ्रष्टाचार, आर्थिक अपराध और आपराधिक मामलों की ही जांच करती है। बताया जा रहा है कि पिछले कुछ वर्षों में सीबीआइ की फेहरिस्त में ऐसे मामलों की संख्या बढ़ी है, जिसका खुलासा करने में एजेंसी नाकाम रही है। इसमें ज्यादातर मामले भ्रष्टाचार के हैं।

सीबीआइ ने वर्ष 2017 में भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत रजिस्टर्ड 538 केस में 755 आरोपी बरी हो चुके हैं। वहीं देश की अलग-अलग अदालतों ने 184 मामले खारिज कर दिए हैं। मतलब सिर्फ 66.8 फीसद मामलों में ही सीबीआइ अपराध साबित कर सकी। वहीं वर्ष 2014 से नवंबर नवंबर 2017 के बीच सीबीआइ भ्रष्टाचार के महज 68 फीसद मामलों में ही साक्ष्य जुटाने में सफल रही है। मतलब 32 फीसद केस में सीबीआइ को नाकामी हाथ लगी।

सीबीआइ की अपराध साबित करने की दर वर्ष 2014 में 69.02 फीसद, वर्ष 2015 में 65.1 फीसद और साल 2016 में 66.8 प्रतिशत रही थी। वहीं बड़े आपराधिक मामलों में ये दर मात्र 3.96 फीसद ही है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक भ्रष्ट्राचार के तीन में से एक मामलों में में सीबीआइ दोष साबित नहीं कर पाती है। मतलब भ्रष्टाचार के तकरीब 32 फीसद मामलों में सीबीआइ फेल हो जाती है।

10 साल से प्रतिवर्ष औसतन 600 मामलों की जांच कर रही सीबीआइ

लोकसभा के आंकड़ों के अनुसार सीबीआइ ने वर्ष 2006 से 2016 के बीच देश भर के भ्रष्टाचार के कुल मामलों में से 30 फीसद केसों की जांच की है। मतलब एजेंसी ने वर्ष 2006 से जून 2016 तक सात हजार से ज्यादा मामलों की जांच की है। इनमें से 3615 मामले अभियोजन पक्ष में और 2178 मामले अभियोजन पक्ष के साथ आरडीए में समाप्त हो गए। 636 केस केवल आरडीए के पास और 671 मामले बिना किसी कार्रवाई के खत्म हो गए। इन दस वर्षों में सीबीआइ ने प्रत्येक साल औसतन तकरीबन 600 मामलों की जांच की और इसमें से लगभग 10 फीसदी केस बिना किसी जांच व निष्कर्ष के बंद हो गए।

2जी सीबीआइ की सबसे बड़ी नाकामी

2जी स्पेक्ट्रम घोटाले को सीबीआइ की हाल के दिनों में सबसे बड़ी नाकामी माना जा सकता है। मामले में सीबीआइ अदालत ने वर्ष 2017 में केस के प्रमुख आरोपी डीएमके के ए राजा व कनिमोझी समेत 34 आरोपियों को साक्ष्यों के अभाव में संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था। आरोपियों को बरी करते हुए जज ने कहा था कि सात साल से वह सभी कार्य दिवस में और गर्मी की छुट्टियों में भी प्रतिदिन कोर्ट में इस उम्मीद के साथ बैठते थे कि सीबीआइ पर्याप्त सुबूत उपलब्ध कराएगी, लेकिन एजेंसी ने एक भी ठोस सुबूत पेश नहीं किए।

सीबीआइ के पास लंबित हैं 1174 केस

सीबीआइ के पास फरवरी 2017 तक कुल 1174 केस लंबित थे। इसमें से 157 मामलों की जांच दो साल से ज्यादा, 35 केस पांच साल से पुराने, 6 केस दस साल से पुराने और दो केस 15 साल से पुराने थे। इन 1174 मामलों में से 108 केस बेनामी या अवैध तरीके से तैयार की गई संपत्ति से जुड़े हुए थे। वहीं 223 केस धोखाधड़ी और जालसाजी के थे।

ऐसे सीबीआइ में होती है भर्ती

सीबीआइ गंभीर मामलों की जांच के साथ भ्रष्टाचार को खत्म करने की दोहरी जिम्मेदारी निभा रही है। इसमें भर्ती के लिए संघ लोक सेवा आयोग और कर्मचारी चयन आयोग परीक्षा कराती है। इसके अधिकारी आइपीएस या आइआरएस सेवा के होते हैं। सीबीआइ निदेशक, पुलिस महानिदेशक या पुलिस आयुक्त रैंक स्तर के आइपीएस अधिकारी होते हैं। कुछ अन्य महत्वपूर्ण पदों पर आइआरएस अधिकारियों की भी तैनाती होती है। इसके अलावा विशेष निदेशक, अतिरिक्त निदेशक, संयुक्त निदेशक, पुलिस उपमहानिरीक्षक, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, पुलिस अधीक्षक, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, उप अधीक्षक पुलिस सेवा द्वारा सीधे चुने जाते हैं। सब इंस्पेक्टर (SI) के लिए एसएससी परीक्षा कराती है।

चार साल में सीबीआइ के केस

वर्ष        कुल केस         आरोपी बने      सजा          बरी

2017       538                755            354         184

2016       733                944            503          233

2015       644                821            434          210

2014       705                748            509          196


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