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1,800 करोड़ की बैंक धोखाधड़ी मामले में दिल्ली में तीन जगह सीबीआइ के छापे, एसबीआइ ने दर्ज कराई थी शिकायत

एसबीआइ के नेतृत्व वाले बैंकों के एक समूह के साथ करीब 1800 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी मामले में सीबीआइ ने जय पोलीकेम (इंडिया) लिमिटेड के खिलाफ मामला दर्ज करके दिल्ली में तीन स्थानों पर छापे की कार्रवाई की।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 04 Dec 2020 11:55 PM (IST)Updated: Fri, 04 Dec 2020 11:55 PM (IST)
1,800 करोड़ की बैंक धोखाधड़ी मामले में दिल्ली में तीन जगह सीबीआइ के छापे, एसबीआइ ने दर्ज कराई थी शिकायत
सीबीआइ ने जय पोलीकेम (इंडिया) लिमिटेड के खिलाफ मामला दर्ज करके दिल्ली में तीन स्थानों पर छापे की कार्रवाई की।

नई दिल्ली, पीटीआइ। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) के नेतृत्व वाले कंसोर्टियम (बैंकों के समूह) के साथ करीब 1,800 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी मामले में सीबीआइ ने जय पोलीकेम (इंडिया) लिमिटेड के खिलाफ मामला दर्ज करके शुक्रवार को दिल्ली में तीन स्थानों पर छापे की कार्रवाई की। अधिकारियों ने बताया कि लाजपत नगर स्थित आइएसओ सर्टिफाइड इस कंपनी, इसके प्रमोटरों और डायरेक्टरों के खिलाफ एसबीआइ ने 13 बैंकों के कंसोर्टियम को 1,800.72 करोड़ का नुकसान पहुंचाने की शिकायत की थी।

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सीबीआइ ने कंपनी, उसके मैनेजिंग डायरेक्टर सतिंदर सिंह धींगरा, डायरेक्टर संदीप सिंह मधोक, एक अन्य कंपनी जसपार्क स्पेशलिटी कैमिकल्स लिमिटेड और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है। यह कंपनी औद्योगिक रसायनों का आयात और व्यापार करती है और इसके अकाउंट संतोषजनक नहीं थे। कंपनी ने तेल की खोज समेत अलग-अलग कारोबार भी शुरू किए थे।

बैंक का आरोप है कि अकाउंट में न्यूनतम लेनदेन हुए थे और मई, 2014 से इसका संचालन अनियमित था। 90 दिनों से ज्यादा समय तक लगातार अनियमितता की वजह से अगस्त, 2014 में यह गैर-निष्पादित संपत्ति (एनपीए) में तब्दील हो गया था। अधिकारियों के मुताबिक, अर्नस्ट एंड यंग द्वारा फोरेंसिक आडिट में पता चला कि कर्ज की राशि का इस्तेमाल कहीं और हुआ और जाली लेन-देन व जालसाजी के जरिये धनराशि का गबन कर बैंक के साथ धोखाधड़ी की गई। इसके बाद मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई।

यह भी पता चला कि कंपनी ऐसी कंपनियों के साथ कारोबार कर रही थी जो संदिग्ध प्रतीत हो रही थीं। इन कंपनियों को 453.59 करोड़ रुपये के लैटर्स आफ क्रेडिट जारी किए गए थे। बैंक का यह भी आरोप है कि कंपनी के फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स में वर्ष 2015 में तेल की खोज और तेल ब्लाकों के मूल्यांकन की मद में पूंजीगत कार्य में प्रगति (सीडब्लूआइपी) में 408 करोड़ की बढ़ोतरी दिखाई गई थी। जबकि हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय से मिले आंकड़ों में दो तेल कुओं पर कंपनी का खर्च करीब 15.35 करोड़ रुपये दिखाया गया। बैंक का आरोप है कि कंपनी ने 392 करोड़ रुपये का गबन कर लिया था।

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