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Bhima Koregaon Case: अमेरिका में आइएसआइ एजेंट से मिला था गौतम नवलखा

आरोप पत्र में एनआइए ने नवलखा के अलावा हनी बाबू स्टेन स्वामी आनंद तेलतुम्बडे सागर गोरखे रमेश गैचोर ज्योति जगताप और मिलिंद तेलतुम्बडे को नामित किया है। आइएसआइ एजेंट ने अमेरिका में नवलखा से संपर्क करके भारत में मुनासिब जासूसों की तलाश करने में मदद मांगी थी।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sat, 10 Oct 2020 07:13 PM (IST)Updated: Sat, 10 Oct 2020 07:13 PM (IST)
Bhima Koregaon Case: अमेरिका में आइएसआइ एजेंट से मिला था गौतम नवलखा
एनआइए ने नवलखा समेत आठ लोगों के खिलाफ विशेष अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया है।

नई दिल्ली, आइएएनएस। भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार गौतम नवलखा ने एक साझा दोस्त के जरिये अमेरिका में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के एजेंट से मुलाकात की थी। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने इस मामले में शुक्रवार को नवलखा समेत आठ लोगों के खिलाफ विशेष अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया है।

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आरोप पत्र में एनआइए ने नवलखा के अलावा हनी बाबू, स्टेन स्वामी, आनंद तेलतुम्बडे, सागर गोरखे, रमेश गैचोर, ज्योति जगताप और मिलिंद तेलतुम्बडे को नामित किया है। जांच से जुड़े एनआइए के एक सूत्र ने बताया कि आइएसआइ एजेंट ने अमेरिका में नवलखा से संपर्क करके भारत में मुनासिब जासूसों की तलाश करने में मदद मांगी थी। इस मुलाकात का वर्ष या आइएसआइ एजेंट से मुलाकातों की संख्या के बारे में पूछे जाने पर सूत्र ने कुछ भी बताने से इन्कार कर दिया।

जुलाई में नवलखा को लिया गया था हिरासत में

बता दें कि भीमा कोरेगांव हिंसा में विशेष एनआइए अदालत ने गौतम नवलखा को 22 जुलाई तक एनआइए की हिरासत में भेज दिया था। एक विशेष अदालत ने एलगार परिषद मामले के आरोपित गौतम नवलखा की स्वत: जमानत की अर्जी खारिज कर दी थी। नवलखा ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 167 के तहत यह कहते हुए स्वत: जमानत की मांग की थी कि वह 90 दिनों से ज्यादा की अवधि से हिरासत में हैं। कोर्ट ने नवलखा व आनंद तेलतुंबडे के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करने की अवधि 90 दिनों से बढ़ाकर 180 दिन करने संबंधी एनआइए की याचिका भी स्वीकार कर ली थी। 

नवलखा ने इसी साल 14 अप्रैल को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) के समक्ष समर्पण किया था। वह नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद हैं। उन्हें 29 अगस्त से एक अक्टूबर 2018 तक नजरबंद भी रखा गया था। नवलखा की तरफ से पैरवी करते हुए उनके वकील ने आग्रह किया कि जांच की अवधि में उन्हें नजरबंद करने पर विचार किया जाना चाहिए। एनआइए की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि स्वत: जमानत की याचिका विचार के योग्य नहीं है।

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