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Air Pollution In India: देशभर में खुले में काम करने वालों के लिए बुरी खबर, सेहत बिगाड़ रहा खराब मौसम

Air Pollution In India आटो रिक्शा चालकों सफाईकर्मियों और रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं में फेफड़ों हृदय संबंधी समेत अन्य कई बीमारियों का आकलन किया गया जिसमें यह बात सामने आई है। यह स्थिति दिल्ली-एनसीआर समेत कई राज्यों की है।

By Jp YadavEdited By: Published: Mon, 27 Jun 2022 09:31 AM (IST)Updated: Mon, 27 Jun 2022 09:31 AM (IST)
Air Pollution In India: देशभर में खुले में काम करने वालों के लिए बुरी खबर, सेहत बिगाड़ रहा खराब मौसम
Air Pollution In India: देशभर में खुले में काम करने वालों के लिए बुरी खबर, सेहत बिगाड़ रहा खराब मौसम

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। दिल्ली-एनसीआर समेत देश भर में वायु प्रदूषण की समस्या अब गंभीर रूप ले चुकी है। साल दर साल इसका स्तर लगातार बढ़ता ही जा रहा है। वायु प्रदूषण से पर्यावरण के साथ लोगों के स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। 

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हाल ही में खुले में काम करने वाले लोगों आटो रिक्शा चालकों, सफाईकर्मियों और रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं के सांस लेने में कठिनाई, फेफड़ों की खराबी, अनियमित धड़कन, सीना, पीठ, कंधा व जोड़ों में दर्द, आंखों का लालपन, जलन, त्वचा पर चकत्ते, सिरदर्द और समग्र रूप से उनकी परेशानियों का आकलन किया गया। ये लोग बहुत ज्यादा गर्मी, सर्दी और बहुत खराब वायु गुणवत्ता समेत मौसमी दुष्प्रभावों का सामना करते हैं। यह हालात उनमें स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियों को बढ़ा देते हैं।

यह अध्ययन कई प्रतिष्ठित राष्ट्रीय संस्थानों के डाक्टरों, वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों द्वारा किया गया। इसमें चिकित्सा विशेषज्ञों के परामर्श पर विस्तृत प्रश्नावली का इस्तेमाल किया गया, ताकि खुले में काम करने वाले कामगारों के स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण और मौसम में उतार-चढ़ाव के दुष्प्रभावों संबंधी चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुभवों को समझा जा सके। साथ ही इससे संबंधित संदेह को दूर करने के लिए पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट (श्वसन प्रणाली जांच) किए गए।

इस रिपोर्ट को जारी करने वाले इंडियन इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी, तिरुपति, आंध्र प्रदेश के प्रोफेसर सुरेश जैन के अनुसार, पिछले कई वर्षों से दिल्ली में वायु प्रदूषण गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है। शहर की भौगोलिक स्थिति इसे गर्मी और सर्दी दोनों मौसमों में धुंध के साथ-साथ खराब मौसम जैसे वायु प्रदूषण संबंधी घटनाओं के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील बना देती है। ऐसे परिदृश्यों में खुले में काम करने वाले कामगार सबसे ज्यादा प्रभावित होने वालों में शामिल हैं।

283 लोगों पर किया गया अध्ययन

एनसीआर में हुए सर्वेक्षण में जिन 283 लोगों को शामिल किया गया, उनमें से 63 का पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट किया गया और उनके फेफड़ों को हुए नुकसान पर उम्र और धूमपान जैसे कारणों के प्रभाव का विश्लेषण करने के लिए सांख्यिकीय साधनों का इस्तेमाल किया गया। प्रोफेसर जैन के साथ अध्ययन में टेरी स्कूल आफ एडवांस स्टडीज, वैष्णवी बर्थवाल, आयुषी बबुता और डा. चुबामेनला जमीर, यूनिवर्सिटी कालेज आफ मेडिकल साइंसेज, यूनिवर्सिटी के डा. अरुण कुमार व एम्स के डा. अनंत मोहन शामिल हैं।

कामगारोें की कार्यक्षमता में गिरावट

अध्ययन में पाया गया कि प्रदूषण और खराब मौसम के कारण खुले में काम करने वालों कामगारों की कार्यक्षमता में तेज गिरावट आई गई, जिनमें व्यक्तिगत आदतें, उम्र, धूम्रपान, तंबाकू का उपयोग, पहले से मौजूद स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों और स्वीकार्य सुरक्षा उपायों के इस्तेमाल की कमी जैसे परिवर्तनशील प्रभावकारी कारक इन कामगारों को अपने पेशे से जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों के प्रति ज्यादा संवेदनशील बना देते हैं।

इनसे बचने के लिए सुरक्षा उपायों और रेस्पेरेटारी मास्क, चश्मे और अन्य सुरक्षा पोशाकों जैसे सुरक्षात्मक उपकरणों के उपयोग को बढ़ावा देना। खुले में काम करने वाले कामगारों के बीच जागरूकता पैदा करना आदि शमिल है।


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