फिलहाल नहीं हटेंगी रेलवे किनारे की झुग्गियां, केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताई वजह
सुप्रीम कोर्ट ने गत 31 अगस्त को रेलवे किनारे बसी करीब 48000 झुग्गियों को तीन महीने मे हटाने का आदेश दिया था। जिसके बाद कांग्रेस नेता अजय माकन और कई लोगों ने सुप्रीम कोर्ट मे अर्जियां दाखिल कर लाखों लोगों के सड़क पर आने का मुद्दा उठाया।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। दिल्ली में रेल पटरियों के किनारे 48,000 झुग्गियों में रहने वाले 2 लाख से अधिक लोगों के लिए मंगलवार का दिन राहत लेकर आया। राजधानी में रेलवे किनारे स्थित अवैध झुग्गियां अभी फिलहाल नहीं हटेंगी। केन्द्र सरकार ने रेलवे किनारे की अवैध झुग्गियों को हटाने के मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट मे कहा कि सरकार मामले पर विचार कर रही है और इस बीच कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। कोर्ट ने मामले की सुनवाई चार सप्ताह के लिए टाल दी। सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष थोड़ा समय मांगते हुए कहा कि सरकार इस पर विचार कर रही है और तबतक कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।
केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, मामले पर चल रहा है विचार
सुप्रीम कोर्ट ने गत 31 अगस्त को रेलवे लाइन के किनारे बसी करीब 48000 झुग्गियों को तीन महीने मे हटाने का आदेश दिया था। जिसके बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन और कई अन्य लोगों ने सुप्रीम कोर्ट मे अर्जियां दाखिल कर झुग्गियां हटाए जाने से लाखों गरीब लोगों के सड़क पर आने का मुद्दा उठाते हुए। वहां के लोगों को पुनर्वासित किये जाने तक कोई कार्रवाई न करने की मांग की थी। अर्जियों में कोरोना महामारी का भी मुद्दा उठाया गया था। मामले पर गत 14 सितंबर को हुई सुनवाई मे केन्द्र सरकार की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा था कि इस मामले में रेलवे, शहरी विकास मंत्रालय और दिल्ली सरकार के बीच विचार विमर्श चल रहा है और किसी भी निर्णय पर पहुंचने तक कोई भी दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। यानी फिलहाल झुग्गियां नहीं हटाई जाएंगी।
सुप्रीम कोर्ट ने गत 31 अगस्त के आदेश में रेलवे के सुरक्षा जोन मे रेलवे पटरियों के किनारे स्थिति करीब 48000 अवैध झुग्गियों पर सख्त रुख अपनाते हुए सभी को तीन महीने मे हटाने का आदेश दिया था साथ ही आदेश में साफ किया था कि कोई भी अदालत इन मामलों मे स्थगन नहीं देगी और न ही किसी तरह की राजनैतिक दखलंदाजी की जाएगी। यह मामला सुप्रीम कोर्ट मे प्रदूषण के मामले एमसी मेहता केस मे चल रही सुनवाई के दौरान उठा था।
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