क्यों सत्य साबित हो रही है मौसम विभाग की भविष्यवाणी, पढ़िए- यह रोचक स्टोरी
अब हालात बदल गए हैं। आज मौसम विभाग की भविष्यवाणी बेहद सटीक होती है और दो-दो घंटे पहले चेतावनी भी जारी कर दी जाती है।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। एक समय था जब मौसम विभाग की भविष्यवाणी अक्सर उपहास का विषय बन जाया करती थी। भविष्यवाणी होती थी तेज बारिश की, जबकि निकल आती थी चटक धूप। आलम यह था कि दिल्ली-एनसीआर सहित देश के तमाम हिस्सों में रहने वाले लोगों ने इस पर विश्वास करना ही छोड़ दिया था। लेकिन, अब हालात बदल गए हैं। आज मौसम विभाग की भविष्यवाणी बेहद सटीक होती है और दो-दो घंटे पहले चेतावनी भी जारी कर दी जाती है। मौसम विभाग की कार्यप्रणाली में बदलाव की यह कहानी बहुत लंबी तो नहीं, अलबत्ता रोचक जरूर है।
तीनों प्रमुख विभागों की राहें थी जुदा
मौसम विज्ञान विभाग की मुख्यतया तीन शाखाएं हैं। पहली, मौसम विभाग दिल्ली। दूसरी, राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र नोएडा। तीसरा, आइआइटीएम पुणे। चूंकि मौसम विभाग के लिए कोई अलग मंत्रालय नहीं था तो इन तीनों में सामंजस्य भी नहीं था और तीनों की राहें जुदा थीं। तीनों अपना अलग पूर्वानुमान जारी करते थे, जिनमें एकरूपता भी नहीं होती थी। इसीलिए पूर्वानुमान में हास्यास्पद स्थिति बन जाती थी।
2006 में बना भूविज्ञान मंत्रालय
सन 2006 में केंद्र सरकार ने अलग से भूविज्ञान मंत्रालय का गठन किया। इसके बाद उक्त तीनों शाखाएं इसके अंतर्गत आ गईं। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र भी गठित कर दिया गया, जब सभी एक छाते के नीचे आए तो इनकी कार्यप्रणाली भी एक होने लगी। संयुक्त बैठकों में विचार विमर्श के बाद ही कोई भी पूर्वानुमान जारी किया जाने लगा।
पिछले 12 सालों में तेजी से हुआ आधुनिकीकरण
भूविज्ञान मंत्रालय गठित होने के बाद मौसम विभाग और इससे संबंधित तमाम विभागों का तेजी से आधुनिकीकरण शुरू कर दिया गया। वायुमंडलीय विज्ञान पर काम करते हुए ऑब्जर्विंग मॉडलों का अध्ययन भी शुरू कर दिया गया। राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र और आइआइटीएम पुणे के वैज्ञानिकों की टीम इन मॉडलों पर अध्ययन करने लगी और मौसम विभाग के वैज्ञानिक इस अध्ययन के आधार पर पूर्वानुमान तैयार करने लगे। आइआइटीएम पुणे के बाद पिछले साल नोएडा में भी एक सुपर कंप्यूटर स्थापित कर दिया गया।
पांच स्तरों पर तैयार होता है पूर्वानुमान
वर्तमान में कोई भी पूर्वानुमान जारी होने से पहले पांच स्तरों से गुजरता है। पहले मॉडलों का अध्ययन होता है। इस अध्ययन के आधार पर पूर्वानुमान तैयार किया जाता है। फिर वीडियो कांफ्रेंङ्क्षसग के जरिए एक घंटे सभी राज्यों के साथ राष्ट्रीय स्तर पर इस पर समूह चर्चा होती है। अगले चरण में विशेषज्ञ सुपर कंप्यूटर की मदद से एक बार दोबारा इस पूर्वानुमान की प्रामाणिकता जांचते हैं। पांचवें चरण में राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर स्थानीय कारकों को ध्यान में रखकर फिर से पूर्वानुमान तैयार किया जाता है। इसके बाद ही पूर्वानुमान जारी किया जाता है।
वर्तमान में इस तरह जारी होता पूर्वानुमान
दिल्ली का पूर्वानुमान सुबह और शाम दो बार जारी किया जाता है। वैश्विक स्तर पर भी दिन में दो बार पूर्वानुमान जारी होता है। गंभीर स्तर पर दिन में एक बार आकलन किया जाता है। दो दिन के पूर्वानुमान के लिए तीन किमी, एक सप्ताह के पूर्वानुमान के लिए 12 किमी और इससे अधिक दिनों के लिए 50 किमी तक के दायरे का पूर्वानुमान जारी किया जाता है। एक पूर्वानुमान राष्ट्रीय स्तर पर, एक राज्य स्तर पर और एक जिला स्तर पर जारी होता है।
डॉ. केजे रमेश (महानिदेशक, मौसम विज्ञान विभाग) ने बताया कि पिछले करीब एक दशक में मौसम विभाग में बड़े पैमाने पर आधुनिकीकरण हुआ है। विभिन्न स्तरों पर निगरानी भी होती है। मंत्रालय में सचिव स्तर के अधिकारी पूर्वानुमान की प्रामाणिकता पर निगाह रखते हैं। हर तीन माह में समीक्षा बैठक होती है, इसीलिए अब यह सच के अत्यंत करीब होते हैं।