समानांतर वितरण योजना चलाने की कोशिश कर रही आप सरकार, केंद्र ने हाईकोर्ट के आदेश को SC में दी चुनौती
केंद्र ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि हाई कोर्ट ने उसे अवसर दिए बिना 22 मार्च को दिल्ली सरकार को उचित मूल्य की दुकानों के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत खाद्यान्न आपूर्ति में कटौती करने की अनुमति देने के अपने आदेश को उलट दिया।
नई दिल्ली, प्रेट्र। आप सरकार पर समानांतर राशन वितरण योजना चलाने का प्रयास करने का आरोप लगाते हुए केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है जिसमें दिल्ली सरकार को राशन दुकानदारों के लिए अनाज या आटे की आपूर्ति रोकने या कम नहीं करने का निर्देश दिया गया है। सालिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा समय मांगे जाने के बाद जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस बीवी नागरत्न की पीठ ने मंगलवार को केंद्र की याचिका को 12 नवंबर के लिए स्थगित कर दिया।
केंद्र ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि हाई कोर्ट ने उसे अवसर दिए बिना 22 मार्च को दिल्ली सरकार को उचित मूल्य की दुकानों के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत खाद्यान्न आपूर्ति में कटौती करने की अनुमति देने के अपने आदेश को उलट दिया। हाई कोर्ट ने 22 मार्च के अपने आदेश में दिल्ली सरकार को निर्देश दिया था कि वह मुख्यमंत्री घर घर राशन योजना को लागू करते समय मौजूदा पीडीएस वितरकों की आपूर्ति को कम या बंद न करे।
हालांकि, 27 सितंबर को हाई कोर्ट ने बिना यह विचार किए इस निर्देश को उलट दिया कि दिल्ली सरकार द्वारा घोषित योजना संसाधनों का उपयोग करते हुए समानांतर वितरण योजना चलाने का एक प्रयास है। केंद्र ने कहा किराष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत शुरू की जा रही सेवा से इसी अधिनियम के लाभार्थियों पर विपरीत असर पड़ेगा।
याचिका में कहा गया है कि हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार के वकील की दलीलों और बयानों पर पूरी तरह भरोसा करते हुए अंतरिम आदेश पारित किया है। कोर्ट ने एनएफएसए, 2013 के प्रविधानों की सराहना नहीं करके और मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना के क्रियान्वयन
से होने वाले प्रतिकूल प्रभाव को न समझ कर गलती की है।
केंद्र ने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा एनएफएसए, 2013 के सिद्धांतों के विपरीत शुरू की जाने वाली योजना की भौतिक कमियों का विश्लेषण नहीं करकेहाई कोर्ट ने और गलती की।
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