निकला था प्यार पाने, रास्ते में नक्सलियों ने दी मौत, बंधक बनाकर दो दिन घुमाया फिर की हत्या
बस्तर में जहां नक्सली प्यार की खातिर माओवाद का साथ छोड़ रहे हैं वहीं अशोक का प्रेम नक्सलियों के चलते ही परवान नहीं चढ़ सका।
दंतेवाड़ा, योगेंद्र ठाकुर। जिले के किरंदुल पटेलपारा के वाला 20 वर्षीय युवक अशोक कुंजाम और उसके रिश्तेदार बंडा की गुरवार को हुई हत्या में दिल को छू लेने वाली कहानी उभरकर सामने आई है। वह किरंदुल में दो बड़े भाइयों और माता-पिता के साथ रहकर आजीविका चला रहा था। कुछ माह पहले उसकी जिंदगी में एक लड़की आई, जिसे वह दिल दे बैठा। युवती के परिजनों से विवाह की बात करने तीन दिन पहले बीजापुर जिले के डौंडीतुमनार के लिए परिजनों के साथ निकला था। उसे नहीं मालूम था कि रास्ते में उसकी मुलाकात मौत के सौदागरों से हो जाएगी। दो दिन तक साथ रखने के बाद अशोक और उसके रिश्तेदार बंडा को नक्सलियों ने पुलिस का मुखबिर बताते हुए गला घोंटकर मार डाला।
अशोक दसवीं तक पढ़ा था। कुछ माह पहले बीजापुर के डौंडीतुमनार की एक युवती जोगी माड़वी से उसकी मुलाकात हुई और दोनों के बीच प्यार हो गया। तीन माह तक जोगी अशोक के घर पर ही रही। बुधवार को वह जोगी के परिजनों से विवाह की बात करने रिश्तेदारों के साथ निकला था। रास्ते में नक्सलियों ने उन्हें पकड़ लिया। आंखों पर पट्टी बांधकर उसे दो दिन तक घुमाते रहे। इसके बाद गुरुवार की रात हत्या कर शव हिरोली-डोकापारा के जंगल में फेंक दिया।
प्रेम की खातिर मुख्यधारा में लौटे 200 नक्सली
बस्तर में जहां नक्सली प्यार की खातिर माओवाद का साथ छोड़ रहे हैं, वहीं अशोक का प्रेम नक्सलियों के चलते ही परवान नहीं चढ़ सका। बस्तर संभाग में पिछले एक दशक में दो सौ से अधिक नक्सली प्रेम बंधन में बंधकर मुख्यधारा में लौटे हैं। चूंकि, नक्सली संगठन विवाह की इजाजत नहीं देता है, इसलिए पिछले कुछ सालों में प्यार की खातिर संगठन को त्यागने की भावना उनमें बलवती हुई है।
नक्सलियों से पूछना चाहिए कि वे ऐसा क्यों कर रहे
दंतेवाड़ा के एसपी डॉ. अभिषेक पल्लव ने कहा कि दंतेवाड़ा पुलिस विश्वास, विकास और सुरक्षा के सूत्र वाक्य पर काम कर रही है। इसमें प्यार और शांति को महत्व दिया जा रहा है। प्यार करने वाले नक्सली भी समर्पण करते हैं, तो पुलिस उन्हें संरक्षण देती है। लेकिन यह उन्हें रास नहीं आ रहा है। वे आम लोगों की हत्या में भी पीछे नहीं हैं। इस ओर मानवाधिकार आयोग को भी ध्यान देना चाहिए। उन्हें नक्सलियों से पूछना चाहिए कि वे ऐसा क्यों कर रहे हैं?
मुखबिरी के शक में हत्या करना नक्सलियों की कमजोरी
बस्तर के आइजी सुंदरराज पी ने बताया कि निर्दोष ग्रामीणों की मुखबिरी के शक में हत्या करना नक्सलियों की कमजोरी व बौखलाहट है। नक्सली आंदोलन का भविष्य नहीं होने की बात समझकर ही काफी तादात में नक्सली समर्पण कर रहे हैं। यह बात बाहरी माओवादियों को नहीं पच रही है और वे हत्या व मारपीट कर आतंकित वातावरण निर्मित करने का प्रयास कर रहे हैं। उनके गलत विचार व कायराना हरकत ही बस्तर क्षेत्र में नक्सल संगठन के खात्मे का कारण बनेगा।