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लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है नक्सलवाद

नई दिल्ली। नक्सलवाद देश के लिए खतरे की घंटी है। पूर्व केंद्रीय गृह सचिव जीके पिल्लई ने खराब शासन प्रणाली को इस बढ़ती हुई समस्या के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि माओवाद लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है। उन्हें लगता है कि देश के बड़े राजनीतिक दल इस समस्या को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। पिल्लई ने कहा कि इस

By Edited By: Published: Fri, 29 Jun 2012 07:04 PM (IST)Updated: Fri, 29 Jun 2012 09:31 PM (IST)
लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है नक्सलवाद

नई दिल्ली। नक्सलवाद देश के लिए खतरे की घंटी है। पूर्व केंद्रीय गृह सचिव जीके पिल्लई ने खराब शासन प्रणाली को इस बढ़ती हुई समस्या के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि माओवाद लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है। उन्हें लगता है कि देश के बड़े राजनीतिक दल इस समस्या को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।

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पिल्लई ने कहा कि इस समस्या से महज सुरक्षा उपायों और विकास के जरिये नहीं निपटा जा सकता। इसके लिए शानदार राजनीतिक प्रबंधन की भी जरूरत है। मूलभूत जरूरतों से जुड़े विकास के कई ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर हम ध्यान भी नहीं दे रहे। ऐसे में लोग दूसरे विकल्पों की तलाश करने लगते हैं। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अध्यापकों, डॉक्टरों व नर्सो की भारी किल्लत है। इन सभी जरूरतों को एक साथ दुरुस्त करना होगा, नहीं तो हम ज्यादा परेशानी में फंसते जाएंगे।

मध्य प्रदेश सरकार की पूर्व मुख्य सचिव निर्मला बुच ने कहा कि ऐसे क्षेत्रों में शिकायत निवारण प्रणाली की जरूरत है। बुच ने सुकमा के जिला कलेक्टर एलेक्स पॉल को नक्सलवादियों से छुड़ाने में अहम भूमिका निभाई थी। पिल्लई ने कहा कि सरकार को बंधकों को छुड़ाने के लिए खास योजना बनानी होगी।

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