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Happy Navratri 2019 : नवरात्र आज से, जानें- कलश स्थापन समय, पूजन विधान और सब कुछ

Happy Navratri 2019 नवरात्र आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होकर नवमी तक चलता है। इस खबर में हम आपको इस नवरात्र के बारे में डिटेल दे रहे हैं।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Sun, 29 Sep 2019 07:31 AM (IST)Updated: Sun, 29 Sep 2019 01:43 PM (IST)
Happy Navratri 2019 : नवरात्र आज से, जानें- कलश स्थापन समय, पूजन विधान और सब कुछ
Happy Navratri 2019 : नवरात्र आज से, जानें- कलश स्थापन समय, पूजन विधान और सब कुछ

नई दिल्ली, जेएनएन। Happy Navratri 2019: महापर्व नवरात्र आज से शुरू हो गया है। इस साल नवरात्र पूरे नौ दिनों की रहेगी, जो कि शक्ति की उपासना के लिए शुभ मानी जाती है। ज्योतिष के अनुसार नवरात्रि में सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि और रवि योग का संयोग सुख-समृद्धि और शुभता लाने वाला होगा। मां दुर्गा की पूजा-आराधना का महापर्व नवरात्र आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होकर नवमी तक चलेगा। आश्विन शुक्ल प्रतिपदा 29 सितंबर को कलश स्थापन और ध्वजारोपण के लिए शुभ समय प्रात: 6.04 से 9.45 बजे तक है। इस समय में जो लोग कलश स्थापन न कर पाएं वे 11.23 से 12.11 बजे के बीच यह कार्य कर सकते हैं। पांच अक्टूबर को निशिथ व्यापिनी अष्टमी में महानिशा पूजन और बलिदान आदि होंगे। छह अक्टूबर को सूर्योदय व्यापिनी अष्टमी में महाअष्टमी व्रत होगा। सात को अक्टूबर को महानवमी व्रत व हवनादि किया जाएगा। आठ अक्टूबर को विजय दशमी मनाने के साथ दुर्गा प्रतिमा विसर्जन किया जाएगा। दर्शन विधान के अनुसार 29 सितंबर प्रतिपदा को शैलपुत्री दर्शन से लेकर सात अक्टूबर नवमी तक सिद्धिदात्री के दर्शन का विधान नियमित नौ दिनों तक चलता रहेगा।

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हाथी पर आएंगी माता, भैंसा पर प्रस्थान

 शक्ति की अधिष्ठात्री मां दुर्गा की पूजा-आराधना का महापर्व शारदीय नवरात्र आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होकर नवमी तक चलता है। इस बार इसका आरंभ 29 सितंबर से हो रहा है जो सात अक्टूबर तक चलेगा। पांच अक्टूबर को निशिथ व्यापिनी अष्टमी में महानिशा पूजन और बलिदान आदि होंगे। छह अक्टूबर को सूर्योदय व्यापिनी अष्टमी में महाअष्टमी व्रत होगा। सात को अक्टूबर को महानवमी व्रत व हवनादि किया जाएगा। आठ अक्टूबर को विजय दशमी मनाने के साथ दुर्गा प्रतिमा विसर्जन किया जाएगा।

दर्शन विधान अनुसार 29 सितंबर प्रतिपदा को शैलपुत्री दर्शन से लेकर सात अक्टूबर नवमी तक सिद्धिदात्री के दर्शन का विधान नियमित नौ दिनों तक चलता रहेगा। ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस बार माता का आगमन हाथी पर हो रहा है जिसका फल सुवृष्टि यानी अत्यधिक वर्षा और गमन भैंसा पर हो रहा है जिसका फल रोग-शोक विपत्ति इत्यादि माना जाता है। इस लिहाज से माता का आगमन अति शुभ और गमन अशुभ होगा।

कलश स्थापन

आश्विन शुक्ल प्रतिपदा 29 सितंबर को कलश स्थापन और ध्वजारोपण के लिए शुभ समय प्रात: 6.04 से 9.45 बजे तक है। इस समय में जो लोग कलश स्थापन न कर पाएं वे 11.23 से 12.11 बजे के बीच यह कार्य कर सकते हैं।

पूजन विधान

नवरात्रारंभ तिथि प्रतिपदा यानी 29 सितंबर को प्रात: तैलाभ्यंग स्नानादि कर तिथिवार नक्षत्र, गोत्र, नाम आदि लेकर मां पराम्बा के प्रसन्नार्थ प्रसाद स्वरूप दीर्घायु, विपुल धन, पुत्र- पौत्र, श्रीलक्ष्मी, कीर्ति, लाभ, शत्रु पराजय समेत सभी तरह के सिद्धर्थ शारदीय नवरात्र में कलश स्थापन, दुर्गा पूजा और कुमारिका पूजन करूंगा का संकल्प करना चाहिए। गणपति पूजन, मातृका पूजन, नांदी श्राद्ध इत्यादि के बाद मां पराम्बा का षोडशोपचार या पंचोपचार पूजन करना चाहिए।

मान्यता

शारदीय नवरात्र का महात्म्य वैदिक काल से है। मार्कडेय पुराण में देवी का महात्म्य दुर्गा सप्तशती द्वारा प्रकट किया गया है। वहां वर्णित है कि शुंभ-निशुंभ व महिषासुर आदि तामसी प्रवृत्ति वाले असुरों का जन्म होने से देवता दुखी हो गए। सभी ने चित्त शक्ति से महामाया की स्तुति की। देवी ने वरदान दिया कि-डरो मत, मैं अचिरकाल में प्रकट हो कर इस असुर पराक्रमी असुरों का संहार करूंगी। तुम देवों का दुख दूर करूंगी। मेरी प्रसन्नता के लिए तुम लोगों को आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से घट स्थापन पूर्वक नवमी तक नौ दिन पूजा करनी चाहिए। इस आधार पर नवरात्र का महत्व अनादि काल से चला आ रहा है।

इस बार पूरे नौ दिन का नवरात्र

नवरात्र इस बार पूरे नौ दिन का है। इसका आरंभ 29 सितंबर से हो रहा है। प्रतिपदा से लेकर नवमी तक नियमित व्रत व दर्शन विधान चलेंगे। - डा. कामेश्वर उपाध्याय, ख्यात ज्योतिषाचार्य

नवरात्र पर्व पर घट स्थापना का मुहूर्त

चौघड़िया के अनुसार..

चर : सुबह 07.47 बजे से 09.16 बजे तक

लाभ : सुबह 9.17 बजे से 10.45 बजे तक ।

अमृत : 10.46 बजे से दोपहर 12.14 बजे तक

शुभ : दोपहर 01.43 बजे से 03.12 बजे तक

श्रेष्ठ मुहूर्त ..

- सुबह 04.47 बजे से 05.31बजे तक।

(ब्रह्म वेला+स्थिर सिंह लग्न+लाभ चौघड़िया)

- सुबह 07.26 बजे से 07.41बजे तक।

(ब्रह्म वेला+ कन्या लग्न)

- सुबह 11.50 बजे से दोपहर 12.14 बजे तक।

(अभिजित+स्थिर वृश्चिक लग्न+अमृत चौघड़िया)


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