Move to Jagran APP

भारत की डीएनए वैक्सीन की मुरीद हुई दुनिया, नेचर जर्नल में दावा- इस तकनीक से बनाया जा सकता है कैंसर का टीका

कोरोना के खिलाफ डीएनए तकनीक पर बनी स्वदेशी वैक्सीन की पूरी दुनिया मुरीद हो गई है। जायडस कैडिला की वैक्सीन जायकोव-डी न सिर्फ कोरोना के खिलाफ बल्कि दुनिया में किसी भी बीमारी के खिलाफ बनी पहली डीएनए वैक्सीन है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 06 Sep 2021 08:31 PM (IST)Updated: Tue, 07 Sep 2021 01:05 AM (IST)
भारत की डीएनए वैक्सीन की मुरीद हुई दुनिया, नेचर जर्नल में दावा- इस तकनीक से बनाया जा सकता है कैंसर का टीका
कोरोना के खिलाफ डीएनए तकनीक पर बनी स्वदेशी वैक्सीन की पूरी दुनिया मुरीद हो गई है।

नीलू रंजन, नई दिल्ली। कोरोना के खिलाफ डीएनए तकनीक पर बनी स्वदेशी वैक्सीन की पूरी दुनिया मुरीद हो गई है। जायडस कैडिला की वैक्सीन जायकोव-डी न सिर्फ कोरोना के खिलाफ बल्कि दुनिया में किसी भी बीमारी के खिलाफ बनी पहली डीएनए वैक्सीन है। वैज्ञानिकों का मानना है कि डीएनए तकनीक पर आधारित यह वैक्सीन भविष्य में कैंसर जैसी जटिल बीमारी के लिए वैक्सीन का रास्ता साफ कर सकती है। कोरोना के खिलाफ इसकी कारगरता और सुरक्षा मानकों पर खरा उतरने के बाद ड्रग कंट्रोलर जनरल आफ इंडिया (डीसीजीआइ) ने पिछले महीने इसके इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाजत दी थी।

loksabha election banner

1990 से ही चल रही थी कोशिश

वैक्सीन की दुनिया में जायकोव-डी की अहमियत को लेकर नेचर जर्नल ने लंबा लेख छापा है। उसके अनुसार विभिन्न बीमारियों के लिए डीएनए वैक्सीन बनाने की कोशिश पूरी दुनिया में 1990 से ही चल रही थी, लेकिन इसमें पहली बार सफलता भारत की जायडस कैडिला को मिली है।

इसलिए खास है यह उपलब्धि 

लगभग 28 हजार लोगों पर किए गए ट्रायल में जायकोव-डी कोरोना संक्रमण को रोकने में 67 फीसद कारगर रही है। इससे यह साबित हो गया है कि डीएनए तकनीक पर आधारित वैक्सीन सिर्फ लेबोरेटरी तक सीमित नहीं है, बल्कि वास्तविक रूप में बीमारियों को रोकने में भी सक्षम है।

आरएनए से बेहतर है डीएनए वैक्सीन

नेचर जर्नल ने डीएनए वैक्सीन को आरएनए वैक्सीन से बेहतर करार दिया है। कोरोना के खिलाफ माडर्ना ने आरएनए तकनीक पर आधारित वैक्सीन तैयार की है। लेख में कहा गया है कि डीएनए वैक्सीन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह सामान्य तापमान पर स्थिर रहती है, जबकि आरएनए वैक्सीन को -20 से -80 डिग्री तक तापमान में रखना पड़ता है।

डेल्टा वैरिएंट पर भी कारगर

कोरोना के खिलाफ आरएनए वैक्सीन के 90 फीसद से अधिक कारगर पाया है लेकिन उनका ट्रायल कोरोना के डेल्टा वैरिएंट के आने के पहले हुआ था, जिस दौरान अपेक्षाकृत कम संक्रामक था जबकि जायकोव-डी ने संक्रामक डेल्टा वैरिएंट पर अपनी कारगरता साबित की है।

क्या है डीएनए वैक्सीन ?

इस तकनीक में शरीर के डीएनए का इस्तेमाल कर इम्युन प्रोटीन विकसित किया जाता है। यह प्रोटीन वायरस के संक्रमण को रोकता है और शरीर की कोशिकाओं को कोरोना वायरस के संक्रमण से सुरक्षित रखता है।

कैंसर के लिए वैक्‍सीन का रास्‍ता साफ 

नेचर ने अमेरिका के पेंसिल्वानिया स्थित विस्टर इंस्टीट्यूट के वैक्सीन एंड इम्युनोथेरेपी सेंटर के निदेशक डेविड वेइनर को उद्धृत करते हुए लिखा है कि डीएनए तकनीक पर आधारित वैक्सीन में जटिल प्रोटीन या फिर कई प्रोटीन के मिश्रण का इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे कैंसर जैसे जटिल रोगों के लिए वैक्सीन का रास्ता हो सकता है।

अभी कई कोरोना वैक्सीन पर चल रहा काम

नेचर के अनुसार फिलहाल पूरी दुनिया में कोरोना के खिलाफ लगभग एक दर्जन डीएनए वैक्सीन पर काम चल रहा है। जिनमें से जापान की ओसाका यूनिवर्सिटी और अमेरिका के इनिवियो एंड पार्टनर्स की वैक्सीन क्लीनल ट्रायल के दूसरे और तीसरे फेज में है। जबकि जायडस कैडिला की जायकोव-डी इसी महीने भारत के टीकाकरण अभियान में शामिल हो जाएगी। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.