ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिग के प्राकृतिक जलस्रोत से छेड़छाड़
ज्योतिर्लिग के आसपास सीमेंट और केमिकल से लेप कर प्राकृतिक जलस्रोत को बंद करने की सूचना मिलने के बाद संतों ने नराजगी जताई।
नई दुनिया ब्यूरो, खंडवा : मध्य प्रदेश के खंडवा स्थित ज्योतिर्लिग ओंकारेश्वर में प्राकृतिक जलस्रोत के साथ की गई छेड़छाड़ से संतों और श्रद्धालुओं में बेहद नाराजगी है। सिंहस्थ से पहले तत्कालीन कलेक्टर महेश अग्रवाल द्वारा शिवलिंग के आसपास सीमेंट और केमिकल भरकर उस जलस्रोत को बंद कर दिया गया था।
बुधवार को षड्दर्शन संत मंडल के उपाध्यक्ष महंत मंगलदास त्यागी महाराज जब पूजा करने पहुंचे तो उन्होंने जलस्रोत बंद देख रोष जताया। पूछे जाने पर मंदिर संस्थान के प्रबंध ट्रस्टी राव देवेंद्रसिंह ने पहले कहा कि मुझे जानकारी नहीं थी। बाद में बोले मुझे तो दूसरे दिन ही पता चल गया था लेकिन कलेक्टर की इच्छा थी, इसलिए कुछ नहीं बोला।
ज्योतिर्लिग के आसपास सीमेंट और केमिकल से लेप कर प्राकृतिक जलस्रोत को बंद करने की सूचना मिलने के बाद बुधवार शाम 5 बजे मंगलदास त्यागी महाराज, राजा राव पुष्पेंद्रसिंह, कुंवर जितेंद्रसिंह, कुंवर हेमेंद्रसिंह, ज्योतिषाचार्य पंडित अशोक दुबे व नगर के अन्य गण्यमान्य नागरिक ओंकारजी मंदिर पहुंचे।
वहां ज्योतिर्लिग के मूल स्वरूप में छेड़छाड़ देखकर उन्होंने नाराजगी जताई। इस पर सहायक कार्यपालन अधिकारी अशोक महाजन ने कहा कि तत्कालीन कलेक्टर ने यह काम करवाया है। हमारा इससे कुछ लेना-देना नहीं है।
क्या है प्राकृतिक जलस्रोत
अनादिकाल से मां नर्मदा ज्योतिर्लिग ओंकारेश्वर का जलाभिषेक करती आ रही है। प्रणव ज्योतिर्लिग के चारों ओर प्राकृतिक रूप से नर्मदा का जल आता है। इससे शिवलिंग हमेशा जल में डूबा रहता है।
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किसने क्या कहा
'यह कार्य धर्मसंगत नहीं है। इतना बड़ा धार्मिक बदलाव करने का अधिकार बिना सहमति लिए किसी को भी नहीं है।'
महंत मंगलदास त्यागी महाराज
'यह मामला पहले का है। अब मेरा स्थानांतरण हो चुका है। मैं इस संबंध में कुछ नहीं कहना चाहता। न ही मेरे नाम से कुछ कोट किया जाए।'
महेश अग्रवाल, तत्कालीन कलेक्टर