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Organic Farming: ग्रेजुएशन व पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्सेस में पढ़ाएं जाएंगे प्राकृतिक खेती के गुर, पिछले दिनों पीएम मोदी ने भी की थी चर्चा

प्राकृतिक खेती को प्राथमिकता देते हुए केंद्र सरकार ने कृषि शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल करने का फैसला किया है। केंद्रीय कैबिनेट ने इस आशय के मसौदे को मंजूरी देते हुए प्रस्ताव पर जल्दी से जल्दी अमल करने को कहा है।

By Amit SinghEdited By: Published: Mon, 17 Jan 2022 08:10 PM (IST)Updated: Mon, 17 Jan 2022 08:15 PM (IST)
Organic Farming: ग्रेजुएशन व पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्सेस में पढ़ाएं जाएंगे प्राकृतिक खेती के गुर, पिछले दिनों पीएम मोदी ने भी की थी चर्चा
पीएम मोदी भी बता चुके हैं प्राकृतिक खेती का महत्व (जागरण.काम, फाइल फोटो)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: प्राकृतिक खेती को प्राथमिकता देते हुए केंद्र सरकार ने कृषि शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल करने का फैसला किया है। केंद्रीय कैबिनेट ने इस आशय के मसौदे को मंजूरी देते हुए प्रस्ताव पर जल्दी से जल्दी अमल करने को कहा है। इसी आधार पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) ने तत्काल इसे अपने स्नातक और स्नातकोत्तर कक्षाओं के पाठ्यक्रम में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। प्राकृतिक खेती को कृषि शिक्षा के मूल पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने के लिए एक 14 सदस्यीय उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति का गठन कर दिया गया है। इसका अध्यक्ष केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, इंफाल के वाइस चांसलर अनुपम मिश्र को बनाया गया है।

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प्राकृतिक खेती को मिलेगा प्रोत्साहन

विशेषज्ञ समिति से अगले दो महीने के भीतर अपनी सिफारिशें पेश करने को कहा गया है, ताकि आगामी शैक्षिक सत्र से इसे लागू किया जा सके। प्राकृतिक खेती (नेचुरल फार्मिंग) को प्रोत्साहित करने के लिए सभी कृषि अनुसंधान संस्थानों से लेकर जिला स्तरीय कृषि विज्ञान केंद्रों को सक्रिय करने को कहा गया है। कृषि से जुड़े संस्थानों, निदेशालयों, विश्वविद्यालयों और अन्य केंद्रों पर नेचुरल फार्मिंग के तरीके से खेती करने का माडल प्रस्तुत करने को कहा गया है। इस तरह जीरो बजट खेती का प्रदर्शन कर किसानों को दिखाया जाए, जिससे किसान इस तरह की खेती के लिए आगे आएं।

राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने की थी चर्चा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले महीने गुजरात के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए नेचुरल फार्मिंग के बारे में विस्तार से अपनी बातें रखी थीं। इसमें उन्होंने कम लागत से अधिक से अधिक पैदावार लेने की प्राकृतिक तकनीक का जिक्र किया था। इसी दौरान उन्होंने नेचुरल फार्मिंग को किसानों के बीच लोकप्रिय बनाने और इसे आगे बढ़ाने के लिए कृषि शिक्षा के पाठ्यक्रमों में शामिल करने का सुझाव भी रखा था। जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग को स्नातक (यूजी) और स्नातकोत्तर (पीजी) कक्षाओं के पाठ्यक्रमों में रखने का प्रस्ताव दिया था। इसी के आधार पर प्रस्ताव पर आनन-फानन में कैबिनेट की मंजूरी के साथ आइसीएआर को भेज दिया गया। परिषद की बैठक में विचार-विमर्श के तत्काल बाद फैसले पर अमल के लिए संबंधित विभागों को सक्रिय कर दिया गया है।


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