पीएफआइ के 29 ठिकानों पर देशव्यापी छापे, ED ने की मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत कार्रवाई
पीएफआइ के 29 ठिकानों पर देशव्यापी छापे। ईडी ने मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून के तहत की कार्रवाई। पैसे के लेन--देन से जु़डे सुबूतों को इकट्ठा करने की कोशिश। देशभर में पीएफआइ से जु़ड़े 29 ठिकानों पर छापा मारा।
नई दिल्ली, ब्यूरो। प्रवर्तन निदेशालय ([ईडी)] दिल्ली और बेंगलुर दंगों के आरोपों में घिरी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ([पीएफआइ)] की फंडिंग की तह तक पहुंचने की कोशिश में जुट गया है। इस सिलसिले में ईडी ने मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून के तहत देशभर में पीएफआइ से जुड़े 29 ठिकानों पर छापा मारा। ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार पीएफआइ के खिलाफ अलग-अलग दर्ज मनी लांड्रिंग के मामलों को एक साथ मिलाकर कार्रवाई की गई है। इसमें उसकी सारी फंडिंग की जांच की जाएगी। पीएफआइ ने छापे की कार्रवाई को किसान आंदोलन से ध्यान हटाने की सरकार की कोशिश बताया है।
दरअसल ईडी को पीएफआइ के खाते में इस साल मार्च तक 120 करो़़ड रपये से अधिक की फंडिंग के सुबूत मिले हैं। इनमें विदेश से की गई फंडिंग भी शामिल है। ईडी फंडिंग के स्रोतों और उनके उपयोग का पता लगाने की कोशिश कर रही है। गुरवार को जिन स्थानों पर छापे मारे गए, उनमें उत्तर प्रदेश के लखनऊ व बाराबंकी, दिल्ली का शाहीन बाग, बिहार के दरभंगा व पूर्णिया, तमिलनाडु के तेनकासी व मदुरई, महाराष्ट्र का औरंगाबाद, बंगाल के कोलकाता व मुर्शिदाबाद, राजस्थान का जयपुर, केरल के कोच्चि, मल्लापुरम और त्रिवेंद्रम शामिल हैं।
सीएए के खिलाफ प्रदर्शन और दिल्ली दंगे की फंडिंग के आरोप
सीएए के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शनों और खासकर दिल्ली के शाहीन बाग के पीछे पीएफआइ की फंडिंग का मामला सामने आया था। ईडी की जांच में पता चला कि चार दिसंबर, 2019 से छह जनवरी, 2020 के बीच पीएफआइ के खाते में 1.04 करो़़ड रपये आए थे, जिनका उपयोग सीएए के खिलाफ प्रदर्शनों के लिए किया गया था। इसके साथ ही दिल्ली दंगे की फंडिंग में भी पीएफआइ के खिलाफ सुबूत मिले थे। बेंगलुर के दंगों में भी पीएफआइ के लोगों की भूमिका के सुबूत मिले हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस ने भी हाथरस मामले में जातीय विद्वेषष फैलाने की कोशिश के आरोप में पीएफआइ से जु़़डे लोगों को गिरफ्तार किया था।