125वीं जयंती पर गूगल ने डूडल बनाकर प्रसिद्ध सांख्यिकीविद प्रशांत चंद्र महालनोबिस को किया याद
प्रसिद्ध वैज्ञानिक और सांख्यिकीविद प्रशांत चंद्र महालनोबिस की 125वीं जयंती के अवसर पर गूगल ने डूडल बनाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। प्रसिद्ध वैज्ञानिक और सांख्यिकीविद प्रशांत चंद्र महालनोबिस की 125वीं जयंती के अवसर पर गूगल ने डूडल बनाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी है। सांख्यिकी के क्षेत्र में महालनोबिस के योगदान को देखते हुए देश उनके जन्मदिन (29 जून) को सांख्यिकी दिवस के रूप में मनाता है। कोलकाता में जन्मे महालनोबिस को देख सांख्यिकी में उनके उल्लेखनीय काम के लिए जाना जाता है।
कोलकाता में कार्यक्रम का आयोजन
वहीं, सांख्यिकी दिवस के मौके पर सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय और भारतीय सांख्यिकी संस्थान (आइएसआइ) ने कोलकाता में एक कार्यक्रम का भी आयोजन किया है। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू द्वारा पी सी महालनोबिस की 125वीं जयंती के अवसर पर उनके सम्मान में 125 रुपये का सिक्का और पांच रुपये का नया सिक्का जारी करेंगे।
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय व भारतीय सांख्यिकी संस्थान ने यह जानकारी देते हुए कहा कि इस साल के सांख्यिकी दिवस का थीम ‘Quality Assurance in Official Statistics ' है। भारतीय सांख्यिकी संस्थान की स्थापना महालनोबिस ने 1931 में की थी। वर्ष 2007 में सरकार ने 29 जून को सांख्यिकी दिवस के तौर पर घोषित किया था।
प्रशांत चंद्र महालनोबिस
- महालनोबिस का जन्म 29 जून, 1893 को कोलकाता में बंगाली परिवार में हुआ था।
- प्रारंभिक शिक्षा ब्राम्हो बॉयज स्कूल कोलकाला से ली।
- 1908 में स्नातक किया और बाद में कोलकाता के प्रेसिडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया।
- उन्होंने यहां महान वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस और प्रमुल चंद राय से शिक्षा ग्रहण की।
- भौतिकी में ऑनर्स किया और आगे की पढ़ाई के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन चले गए।
- महालनोबिस का पंसदीदा विषय गणित था, इसलिए लंदन में उन्होंने कैंब्रिज में दाखिला लिया और भौतिकी व गणित विषय दोनों में डिग्री ली।
- महालनोबिस को सांख्यिकी में उल्लेखनीय काम करने के लिए जाना जाता है।
- महालनोबिस ने प्रेमाथा नाथ बनर्जी, निखिल रंजन सेन और आरएन मुखर्जी के साथ मिलकर 1931 में भारतीय सांख्यिकीय संस्थान (आइएसआइ) की स्थापना की थी।
- आइएसआइ को 1959 में संसद के एक अधिनियम द्वारा राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा प्राप्त हुआ।
- वे स्वतंत्र भारत के पहले प्लानिंग कमीशन के सदस्य भी थे।