अब एक लाख में होगी बायपास सर्जरी, क्या मोदी की इस स्वास्थ्य स्कीम में आप भी हैं शामिल ?
योजना के तहत इलाज को एक रेट कार्ड भी जारी किया गया है। अब गरीब लोगों को इस इलाज के लिए अधिक पैसे नहीं खर्च करने होंगे।
नई दिल्ली [ जागरण स्पेशल ]। सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली के बीच निजी अस्पतालों में इलाज दिन पर दिन महंगा होता गया। पिछले दस सालों में अस्पताल में दाखिल होने का खर्च 300 फीसद तक बढ़ गया है। इसे पूरा करने में लोगों की घरेलू बचत का बड़ा हिस्सा स्वास्थ्य में चला जाता है। ऐसे में स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में आयुष्मान भारत योजना एक क्रांतिकारी कदम है। इस योजना के शुरू होने के बाद कोई भी गरीब इलाज कराने के लिए पैसे के अभाव में लाचार नहीं होगा। आखिर क्या है आयुष्मान भारत योजना। कौन लोग आयुष्मान भारत योजना का लाभ नहीं उठा सकते हैं। देखिए, सरकार की गाइडलाइन। इसके साथ यह जानेंगे कि किन बीमारियों में कितना आएगा खर्च।
योजना का नहीं मिलेगा लाभ
1- इस हिसाब से वे लोग योजना के पात्र नहीं हैं, जिनके पास दो पहिया, तीन पहिया चार पहिया वाहन या फिशिंग बोट है या जिनके पास ट्रैक्टर है।
2- वे परिवार जिनके पास 50 रुपये हजार से ज्यादा का लिमिट का क्रेडिट कार्ड है। किसी परिवार का सदस्य सरकारी नौकरी करता है या वैसे परिवार जिसका गैर कृषि कारोबार सरकार में रजिस्टर है।
3- किसी परिवार में घर का कोई सदस्य दस हजार रुपये से अधिक कमाता है तो वह इस योजना का लाभ नहीं उठा सकते हैं।
4- इसके अलावा इनकम टैक्स भरने वाले परिवार को भी इसमें शामिल नहीं किया गया है या वैसे परिवार जो प्रोफेशनल टैक्स भरते हैं, उन्हें शामिल नहीं किया गया है।
5- ऐसे परिवार जिनके पास तीन या उससे अधिक कमरे का पक्की दीवार या छत वाला मकान है, जिनके पास रेफ्रिजरेटर और लैंड लाइन फोन हैं।
6- जिनके पास ढाई एकड़ से जयादा एक सिंचाई यंत्र के साथ सिंचित भूमि है या जिनके पास पांच एकड़ से ज्यादा दो सीजन फसल वाली सिंचित भूमि हैं या जिनके पास एक सिंचाई यंत्र के साथ सात एकड़ वाले लोग भी इस योजना में शामिल नहीं किए गए हैं।
जानें गंभीर इलाज का रेट कार्ड
योजना के तहत इलाज को एक रेट कार्ड भी जारी किया गया है। अब गरीब लोगों को इस इलाज के लिए अधिक पैसे नहीं खर्च करने होंगे। सरकार का मानना है इस योजना के बाद इलाज करवाना काफी सस्ता हो जाएगा। प्राइवेट अस्पतालों को भी अपने रेट कम करने पड़ेंगे। फर्जीवाड़ा राेकने लिए इसे आधार से भी लिंक करने की योजना है।
1- बायपास सर्जरी : 1 लाख 10 हजार
2- हिप रिप्लेसमेंट : 90 हजार
3- स्टेंट लगाने का खर्च : 40 हजार
4- वॉल्व बदलने का खर्च :1 लाख 20 हजार
5- ऑर्थोस्कोपी सर्जरी : 20 हजार
6- घुटने के प्रतिस्थापन सर्जरी : 25 हजार
7- सर्वाइकल सर्जरी : 20 हजार
हर साल करीब 11 हजार करोड़ रुपये का आएगा खर्च
इस योजना पर सरकार को हर साल करीब 11 हजार करोड़ रुपये खर्च करने होंगे। एक व्यक्ति को ये बीमा सुविधा देने के लिए करीब 1100 रुपये का खर्च आएगा। ये खर्च केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर उठाएंगी। नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम के लिए कुछ वक्त पहले मई महीने में स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक हजार तीन सौ 54 पैकेज की एक रेट लिस्ट तैयार की थी। इनमें से 23 पैकेज गंभीर बीमािरियों से संबंधित हैं। इनमें हड्डी रोग, कार्डियोलॉजी, कैंसर और आंख की बीमारी शामिल है।
वर्ष 2025 तक का लक्ष्य
सवाल यह है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन की जरूरत आखिर क्यों पड़ी। दरअसल, स्वास्थ्य सेवाओं के अंतरराष्ट्रीय मानकों के लिहाज से हमारी स्वास्थ्य सुविधाएं ज्यादा अच्छी नहीं है। हम स्वास्थ्य पर अपनी जीडीपी का मौजूदा दो फीसद से कम खर्च करते हैं। लेकिन मौजूदा केंद्र सरकार ने अपनी नई स्वास्थ्य नीति के तहत 2025 तक सार्वजनिक स्वास्थ्य पर जीडीपी का ढाई फीसद तक खर्च करने का लक्ष्य रखा है। सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज इसी कदम का एक हिस्सा है।
72वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जब लालकिले से अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयुष्मान भारत योजना लागू करने का एलान किया तो उनका मकसद था देश के हर गरीब को बीमारी के संकट से बचाना। दरअसल, भारत सरकार देश के गरीब लोगों को उच्च गुणवत्ता वाले स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए सरकार ने आयुष्मान योजना के तहत स्वास्थ्य के क्षेत्र में हर संभव सुविधा देने का प्रावधान किया है। आयुष्मान भारत के तहत दो तरह के स्वास्थ्य सेवाओं को अपनाया गया है। पहला, स्वास्थ्य व कल्याण केंद्रों का निर्माण, घरों के करीब लाना ताकि जल्द से जल्द स्वास्थ्य सेवा मिल सके। दूसरा, प्रधानमंत्री जनआरोग्य योजना, जिसके तहत गरीब और आर्थिक रूप से कमजाेर लोगों को गंभीर बीमारियों के वक्त पर सही इलाज मिल सके।