वाहनों को नष्ट करने की गाइडलाइंस में देरी पर सड़क मंत्रालय को एनजीटी की फटकार
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने वाहनों को नष्ट करने की गाइडलाइंस जारी करने में देरी करने पर केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को फटकार लगाई है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। वाहनों को नष्ट करने की गाइडलाइंस जारी करने में देरी करने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को फटकार लगाई है। एनजीटी के चेयरमैन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल ने कहा कि जीवनकाल पूरा कर चुके वाहनों (ईएलवी) की बड़ी संख्या के मद्देनजर पर्यावरण मानकों के अनुरूप अधिकृत रिसाइक्लिंग सेंटरों को स्थापना के लिए तत्काल समुचित तंत्र बनाने की जरूरत है।
ट्रिब्यूनल इस बात पर संज्ञान लिया कि वाहनों को नष्ट करने के केंद्रों की स्थापना, उन्हें अधिकृत करने और उनके संचालन के लिए गाइडलाइंस का मसौदा सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है और प्राप्त सुझावों के आधार पर उसमें उचित संशोधन किए गए हैं। हालांकि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के तहत औपचारिक अधिसूचना कैबिनेट मंजूरी के बाद ही जारी की जानी है।
एनजीटी ने कहा कि सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय का जवाब बेहद असंतोषजनक और संवेदनशीलता से रहित है। आवश्यक अधिसूचना जारी करने में इतने लंबे विलंब का कोई वास्तविक स्पष्टीकरण नहीं दिया गया। अगर छह जनवरी तक अधिसूचना जारी नहीं हुई तो संबंधित संयुक्त सचिव को खुद पेश होकर कारण बताना होगा।
हाल ही में एनजीटी ने दिल्ली की सड़कों पर 15 साल पुराने पेट्रोल चालित वाहनों पर पाबंदी में बदलाव की एक याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था। याचिका में इस आधार पर पाबंदी समाप्त करने की मांग की गई थी कि इन वाहनों को अनुमति देने से कोरोना के दौरान वरिष्ठ नागरिकों की जान बचाई जा सकेगी। याचिका में कहा गया था कि देश में कोरोना संकट को देखते हुए एनजीटी के निर्देशों में बदलाव किया जाए ताकि वायरस पर नियंत्रण होने तक सड़कों पर पुराने वाहनों को चलाने की अनुमति मिल सके।