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नेशनल जियो-रिसर्च स्कॉलर्स मीट में लगातार विकास के लिए भू-विज्ञान पर दिया गया जोर

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने भूजल हिमनद जलवायु परिवर्तन और अन्य जल संसाधनों के भू - विज्ञान के अध्यन इसके समाधान और प्राकृतिक खतरों को लेकर नेशनल जियो-रिसर्च स्कॉलर्स मीट में जोर दिया। नेशनल जियो-रिसर्च स्कॉलर्स मीट 5वीं बार हुई हैं।

By Avinash RaiEdited By: Published: Tue, 27 Jul 2021 11:08 PM (IST)Updated: Tue, 27 Jul 2021 11:08 PM (IST)
नेशनल जियो-रिसर्च स्कॉलर्स मीट में लगातार विकास के लिए भू-विज्ञान पर दिया गया जोर
नेशनल जियो-रिसर्च स्कॉलर्स मीट में सतत विकास समाधान खोजने में भू - विज्ञान पर जोर दिया गया

नई दिल्ली पीआइबी। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने भूजल, हिमनद, जलवायु परिवर्तन और अन्य जल संसाधनों के भू - विज्ञान के अध्ययन, इसके समाधान और प्राकृतिक खतरों को लेकर नेशनल जियो-रिसर्च स्कॉलर्स मीट में जोर दिया।

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5वीं बार हो रहीं नेशनल जियो-रिसर्च स्कॉलर्स मीट में इस बार का मुद्दा विकास के लिए भू - विज्ञान पर था। मीट को हाल ही में वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी देहरादून के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा एक वेबिनार आयोजित किया गया था। वेबिनार में शोधकर्ताओं द्वारा इन मुद्दों पर जोर दिया गया, जैसें- प्राकृतिक संसाधन, जल प्रबंधन, भूकंप, मानसून, जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाएँ, नदी प्रणालियाँ इत्यादि।

दो दिवसीय वेबिनार में भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों/ संस्थानों/ संगठनों के 350 प्रतिभागियों ने भाग लिया था। इश वेबिनार में देश भर के प्रतिष्ठित वक्ताओं और अनुसंधान विद्वानों (रिसर्च स्कॉलर) शामिल हुए थे। वेबिनार में नवोदित शोधकर्ताओं ने कई प्रश्न भी पुछे।

आरएसी डब्ल्यूआईएचजी के अध्यक्ष प्रोफेसर शैलेश नायक ने उन विभिन्न तकनीकों पर बात की, जिनका उपयोग समाज के सतत विकास को बनाए रखने के लिए किया जा सकता है। नेशनल जियो-रिसर्च स्कॉलर्स मीट (एनजीआरएसएम) 2016 में वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के एक वार्षिक कार्यक्रम के रूप में शुरू हुआ, जिसका उद्देश्य युवा शोधकर्ताओं और छात्रों को अपने शोध हितों में सुधार के लिए प्रोत्साहित करना, उन्हें अपने शोध कार्य को साझा करने, साथियों से किए गए कार्य पर प्रतिक्रिया प्राप्त करने और अपने विचारों को प्रकट करने के लिए इस मंच को बनाया गया था।

जलवायु परिवर्तन या प्राकृतिक आपदाओं को कैसे रोका जा सकता हैं, उस पर कार्य कैसे कर सकता है। ताकी लोगों को प्रकृतिक आपदाओं से बचाया जा सकें। जलवायु परिवर्तन की चुनौती को स्वीकार करने के लिए लोगों की भागीदारी और जलवायु के अनुकूल जीवन शैली की आवश्यकता पर भी जोरे दिया जाना चाहिए।


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