गंगा नदी के लिए दिल्ली में बनेगा अनूठा संग्रहालय, केंद्र सरकार ने शुरु किया मंथन
गंगा नदी पर संग्रहालय बनाना समय की जरूरत है। ऐसा होने पर लोगों में नदी के प्रति जागरुकता आएगी।
हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। गंगा को निर्मल और अविरल बनाने की दिशा में कदम उठाने के बाद सरकार अब मोक्षदायिनी नदी का अनूठा संग्रहालय बनाने की तैयारी कर रही है। इस संग्रहालय में राष्ट्रीय नदी गंगा के भौगोलिक स्वरूप की झलक तो मिलेगी, इसके प्रति करोड़ों लोगों की आस्था को भी यहां महसूस किया जा सकेगा। संभवत: यह देश का पहला नदी संग्रहालय होगा और माना जा रहा है कि इसे नई दिल्ली में स्थापित किया जा सकता है। खास बात यह है कि यह संग्रहालय बनने से पहले अगले साल जनवरी तक बनारस में गंगा नदी पर एक सचल प्रदर्शनी शुरु की जाएगी जिसे गंगा के रास्ते पटना और इलाहबाद सहित दूसरे शहरों में भी ले जाया जा सकेगा।
गंगा के लिए राष्ट्रीय संग्रहालय बनाने की दिशा में कदम उठाते हुए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए यूरोपीय संघ के विशेषज्ञों के साथ मंथन शुरु कर दिया है। एनएमसीजी के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा का कहना है कि लोगों में जागरुकता लाने के मकसद से नई दिल्ली में एक गंगा संग्रहालय और गंगा प्रदर्शनी स्थापित करने का प्रस्ताव है। इसमें गंगा नदी के इतिहास, इससे जुड़ी कहानियों, लोगों की आजीविका में गंगा की अहम भूमिका और गंगा नदी को निर्मल बनाने के लिए किए जा रहे उपायों की झलक देखने को मिलगी। साथ ही साथ अलग-अलग शहरों में स्थित संग्रहालयों में भी गंगा पर गैलरी स्थापित की जा सकती हैं।
उन्होंने कहा कि यही वजह है कि एनएमसीजी ने भारत-जर्मनी विकास सहयोग के तहत अंतरराष्ट्रीय संगठन जीआइजेड के साथ मिलकर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया है। जल संसाधन मंत्रालय के सचिव यूपी सिंह ने बृहस्पतिवार को इसका उद्घाटन करते हुए कहा भी कि गंगा के लिए जो संग्रहालय बने उसमें इस नदी के सभी पहलू जैसे आध्यात्मिक, आर्थिक और जैव विविधता की झलक भी इसमें देखने को मिले।
गौरतलब है कि दुनियाभर में कई विकसित देशों में नदियों पर आधारित संग्रहालय या प्रदर्शनी हैं। मसलन जर्मनी में राइन, डेन्यूब और एल्ब नदी पर संग्रहालय तथा प्रदर्शनियां हैं। जर्मनी के पसाऊ शहर में डेन्यूब नदी पर आधारित प्रदर्शनी 'हाउस एम स्ट्रोम' के अधिकारी राल्फ ब्राउन ने दैनिक जागरण से कहा कि यह स्थायी प्रदर्शनी है और बड़ी संख्या में लोग इसे देखने के लिए आते हैं।
उन्होंने कहा कि हम इस प्रदर्शन के माध्यम से लोगों को नदी के जीवन के बारे में बताते हैं और उन्हें जल संरक्षण की अहमियत भी बताते हैं। ब्राउन ने कहा कि गंगा नदी पर संग्रहालय बनाना समय की जरूरत है। ऐसा होने पर लोगों में नदी के प्रति जागरुकता आएगी। वहीं जर्मनी के 'म्यूजियम ऑफ सिटी ऑफ हेम्बर्ग' के प्रोफेसर हेंस जोर्ग जेक ने कहा कि उनके संग्रहालय में भी नदी के बारे में विशेष खंड है।