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जंगल की आग पर राष्ट्रीय कार्ययोजना की होगी निगरानी, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने गठित की समिति

एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अगुआई वाली पीठ को मंत्रालय ने बताया कि जंगल की आग के प्रभाव और इसके प्रबंधन को ध्यान में रखते हुए पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने जंगल की आग पर एक राष्ट्रीय कार्ययोजना तैयार की है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Wed, 23 Sep 2020 06:30 AM (IST)Updated: Wed, 23 Sep 2020 06:30 AM (IST)
जंगल की आग पर राष्ट्रीय कार्ययोजना की होगी निगरानी, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने गठित की समिति
जंगल की आग की रोकथाम और प्रबंधन के लिए किए गए उपाय

नई दिल्ली, प्रेट्र। पहाड़ी राज्यों में जंगल में आग लगने की घटनाओं पर तैयार की गई राष्ट्रीय कार्ययोजना की निगरानी के लिए पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने सचिव की अध्यक्षता में एक केंद्रीय निगरानी समिति (CMC) गठित की है। मंत्रालय ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) को यह जानकारी दी है।

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एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अगुआई वाली पीठ को मंत्रालय ने बताया कि जंगल की आग के प्रभाव और इसके प्रबंधन को ध्यान में रखते हुए पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने जंगल की आग पर एक राष्ट्रीय कार्ययोजना तैयार की है। उपयुक्त कार्रवाई अमल में लाने के लिए यह कार्ययोजना सभी राज्य सरकारों को सौंपी गई है।

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने एनजीटी से कहा है कि जंगल की आग पर रोकथाम, नियंत्रण एवं प्रबंधन राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रशासन के दायरे में आता है। जंगल की आग की रोकथाम और प्रबंधन उपायों के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को मंत्रालय केंद्रीय वित्त पोषित जंगल की आग रोकथाम एवं प्रबंधन योजना के तहत वित्तीय मदद मुहैया कराता है।

छह महीने के भीतर लगाए जाएं 175 वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन

वहीं, दूसरी ओर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (National Green Tribunal) ने छह महीने के भीतर देशभर में 175 वायु गुणवत्ता निगरानी (एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग) स्टेशन स्थापित करने का निर्देश दिया है। दूसरी ओर एनजीटी ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (National Clean Air Program, NCAP) पर रिपोर्ट को लेकर फटकार भी लगाई। इसमें 2024 तक 20 से 30 फीसद वायु प्रदूषण कम करने का प्रस्ताव किया गया है।

एनजीटी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board, CPCB) को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डो के चेयरमैन, सदस्य सचिवों या अन्य अधिकारियों के साथ निर्धारित समय पर ऑनलाइन बैठक के माध्यम से निगरानी करने का निर्देश दिया है। ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कहा है कि इस दिशा में काम एक महीने के भीतर शुरू किया जा सकता है। इस उद्देश्य के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड 'कंसेंट मैकेनिज्म', 'पर्यावरणीय मुआवजा' के तहत उपलब्ध कोष का इस्तेमाल कर सकते हैं।


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