Move to Jagran APP

कई चरणों में होती है पराली जलने की घटनाओं की गिनती, नासा के सेटेलाट्स से मिलती हैं तस्वीरें

विज्ञानी सेटेलाइट से मिली तस्वीरों को जीआइएस प्लेटफार्म पर डालते हैं। वहां ईंट भट्ठों और सोलर प्लांट की जानकारी पहले से दर्ज है। इसके माध्यम से सेटेलाइट की तस्वीर में दिख रही आग की ऐसी जगहों को हटा दिया जाता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 27 Nov 2021 12:53 PM (IST)Updated: Sat, 27 Nov 2021 12:53 PM (IST)
कई चरणों में होती है पराली जलने की घटनाओं की गिनती, नासा के सेटेलाट्स से मिलती हैं तस्वीरें
कई प्रक्रियाओं के बाद काफी हद तक सटीक संख्या तक पहुंचना संभव हो पाता है।

नई दिल्‍ली, जेएनएन। सर्दियां आते ही उत्तर भारत में वायु प्रदूषण का संकट उभर आता है। दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत उत्तर भारत के बड़े हिस्से में इस प्रदूषण में पराली के धुएं की भी हिस्सेदारी रहती है। पराली और प्रदूषण की खबरों के बीच अक्सर हम सेटेलाइट तस्वीरों के हवाले से पराली जलने के मामलों की संख्या के बारे में भी पढ़ते हैं। सेटेलाइट से मिली तस्वीरों से इनकी गिनती बहुत सीधा काम नहीं है। कई प्रक्रियाओं के बाद काफी हद तक सटीक संख्या तक पहुंचना संभव हो पाता है।

loksabha election banner

नासा के सेटेलाट्स से मिलती हैं तस्वीरें: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के तीन सेटेलाइट रात के वक्त भारत के ऊपर से गुजरते हैं, जिनसे यहां की तस्वीर मिलती है। इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट (आइएआरआइ) के विज्ञानी इन तस्वीरों का अध्ययन कर पराली जलने का पता लगाते हैं। सेटेलाइट की तस्वीरों में वे सभी जगहें दिखाई देती हैं, जहां ज्यादा आग जल रही होती है। इसके बाद कई घंटे की मेहनत के बाद विज्ञानी उन आग में से पराली जलने की घटनाओं का पता लगाते हैं।

सेटेलाइट की नजरों को भी होता है धोखा: सेटेलाइट से मिली तस्वीरों में दिखने वाली आग की सभी घटनाएं पराली से जुड़ी नहीं होती हैं। इनमें कई सक्रिय ईंट भट्ठों की आग भी दिखती है। असल धोखा तब होता है, जब किसी सोलर एनर्जी प्लांट के विभिन्न सोलर पैनल की गर्मी भी सेटेलाइट को आग जैसी दिखती है।

ऐसे होती है वास्तविक मामलों की गिनती: विज्ञानी सेटेलाइट से मिली तस्वीरों को जीआइएस प्लेटफार्म पर डालते हैं। वहां ईंट भट्ठों और सोलर प्लांट की जानकारी पहले से दर्ज है। इसके माध्यम से सेटेलाइट की तस्वीर में दिख रही आग की ऐसी जगहों को हटा दिया जाता है। इसके बाद नक्शे से उन जगहों को भी हटाया जाता है, जहां धान की खेती नहीं होती है। आग के बिंदु मिलने के बाद धरती के तापमान का आकलन किया जाता है। आग के बिंदुओं के साथ-साथ विज्ञानी यह आकलन भी करते हैं कि कितने हेक्टेयर खेत में पराली जलाई गई।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.