Jupiter Saturn Great Conjunction: आसानी से दिखेगा बृहस्पति व शनि का मिलन आज शाम, नासा ने दिए हैं ये टिप्स
आसमान में सूर्यास्त के एक घंटे बाद ही बृहस्पति और शनि का संयोजन देखा जा सकता है। इस खगोलीय घटना को देखने के लिए नासा ने टिप्स भी दिए हैं और यह भी बताया है कि मोबाइल फोन से भी इसकी तस्वीरें ली जा सकती हैं।
नई दिल्ली, एजेंसी। चार सौ सालों बाद आसमान में हमारे सौर मंडल के दो बड़े ग्रह एक साथ होंगे। ये ग्रह हैं बृहस्पति (Jupiter) और शनि (Saturn) जो सोमवार यानि आज शाम मिलने वाले हैं। यह अपने आप में एक अद्भुत खगोलीय घटना है। इस खगोलीय घटना को देखना कौन नहीं चाहेगा और इसे ही ध्यान में रखते हुए नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) ने न केवल देखने बल्कि इसकी तस्वीरें लेने के लिए कुछ टिप्स और आइडियाज शेयर किए हैं।
नासा के टिप्स:-
- सबसे पहले ऐसा स्थान खोजें जहां से बिना किसी रुकावट खुला आसमान आप आराम से निहार सकते हों जैसे कोई मैदान या पार्क। बृहस्पति और शनि चमकीले ग्रह हैं इसलिए ये अधिकतर जगहों से दिखाई दे सकते हैं।
- सूर्यास्त के एक घंटे बाद आप दक्षिण पश्चिम (southwestern) आसमान में अपनी निगाहों को दौड़ाएं। आपको आराम से चमकीला ग्रह बृहस्पति नजर आ जाएगा। इससे थोड़ा मद्धम शनि ठीक इससे ऊपर बायीं की ओर मौजूद होगा। जब बृहस्पति इसे ओवरटेक करेगा तब आसमान में दोनों अपनी जगह बदल लेंगे।
- ग्रहों के इस अद्भुत संयोजन को नंगी आंखों से देखा जा सकता है लेकिन यदि आपके पास दूरबीन या छोटा टेलीस्कोप हो तो आप बृहस्पति के चार चंद्रमाओं को भी देख सकते हैं जो इस विशाल ग्रह का चक्कर काटता है। शनि और बृहस्पति को देखने के लिए किसी उपकरण की जरूरत नहीं होगी।
- नासा ने एक और बेहतरीन बात बताई है कि इस संयोजन की तस्वीरें DSLR कैमरे के साथ साथ सेलफोन के कैमरे से भी ली जा सकती है। नासा ने ग्रहों के इस अनोखे संयोजन की तस्वीरें लेने के लिए टिप्स भी दिए हैं-
- ये दोनों ही ग्रहों का मिलन देखने के लिए लोगों को 1-2 घंटे का समय देना होगा ताकि इनके उदय से लेकर अस्त तक को देखा जा सके।
- कैमरे को स्थिर रखने के लिए ट्राइपॉड का इस्तेमाल करना होगा। और यदि ट्राइपॉड नहीं है तो कैमरे को किसी कार, पेड़, झाड़ी या सामान के सहारे उस दिशा में फिक्स कर लें। चंद्रमा भी उस अद्भुत मिलन के पास ही होगा तो कैमरे में उसे कैप्चर करना न भूलें।
खगोलशास्त्रियों के अनुसार, यह खगोलीय घटना 17वीं शताब्दी में महान खगोलविद् गैलीलियो के जीवनकाल में जुलाई, 1623 में घटी थी जब ये दोनों ग्रह एक-दूसरे के काफी करीब आए थे। उस वक्त सूर्य के नजदीक होने के कारण उन्हें देख पाना लगभग असंभव था। इस बार यदि मौसम साथ देता है तब सूर्यास्त के बाद यह दृश्य आसानी से देखा जा सकेगा। खगोलविदों के अनुसार पृथ्वी से देखने पर अहसास होगा कि ये दोनों ग्रह एक-दूसरे के ऊपर आ गए हैं। लेकिन वास्तव में दोनों 6 अंश पर होने के बावजूद एक – दूसरे से 73.6 किलोमीटर दूर रहेंगे।