पंजाब तक पहुंची मोदी की सुनामी
जालंधर [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। बनारस में नामांकन दाखिल करने के साथ बिहार और पूर्वाचल में सुनामी में तब्दील होती मोदी लहर अब पंजाब को भी अपनी चपेट में लेने लगी है। चुनाव मैदान में अपने बड़े नेताओं को उतारकर कांग्रेस ने भले ही शुरुआती बढ़त लेने की कोशिश की हो, लेकिन मोदी प्रभाव ने उनकी बढ़त को रोक दिया है। एक दिन में पांच र
जालंधर [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। बनारस में नामांकन दाखिल करने के साथ बिहार और पूर्वाचल में सुनामी में तब्दील होती मोदी लहर अब पंजाब को भी अपनी चपेट में लेने लगी है। चुनाव मैदान में अपने बड़े नेताओं को उतारकर कांग्रेस ने भले ही शुरुआती बढ़त लेने की कोशिश की हो, लेकिन मोदी प्रभाव ने उनकी बढ़त को रोक दिया है। एक दिन में पांच रैलियों के जरिये मोदी द्वारा पंजाब को मथने के बाद अकाली-भाजपा गठजोड़ को जहां राहत मिली है, तो कांग्रेस कई जगहों पर बैकफुट पर दिख रही है।
पंजाब में सत्ता विरोध की लहर से जूझ रही अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार के खिलाफ राज्य स्तरीय मुद्दों पर कांग्रेस हमलावर थी। सरकार के कुछ ऐसे कार्य भी हैं, जिससे लोग नाराज भी हैं। मोदी ने पंजाब की रैलियों में उन्हीं मुद्दों को उठाते हुए केंद्र सरकार पर हमला किया, जिन पर कांग्रेस अकालियों को घेर रही थी। मोदी की ललकार से पंजाब में चुनाव अब दिलचस्प हो गया है।
किसान, उद्यमियों, व्यापारियों, मजदूरों और नौकरीपेशा लोगों की समस्याओं का जिक्र करते हुए मोदी ने उनकी दुखती रग पर हाथ रखकर उन्हें रिझाने की कोशिश की है। महंगाई, भ्रष्टाचार केसाथ राज्य में किसानों की आत्महत्या और उद्योगों के पलायन जैसे मुद्दों पर मोदी की बातें लोगों को भा गई हैं। रोपड़ के श्याम चौधरी का कहना है कि मोदी ने केंद्र सरकार की नीतियों का मसला सही उठाया है। खेतों में खड़ी फसल पर जो वज्रपात हुआ, उसके लिए केंद्र से फूटी कौड़ी की राहत नहीं आई है। पंजाब के साथ हुई नाइंसाफी को मुद्दा बनाया है। पंजाब में चली मोदी की लहर से कांग्रेस की रणनीति को धक्का लगा है।
करतारपुर निवासी मनिंदर अकाली सरकार से नाराज हैं, फिर भी कहते हैं कि मोदी सरकार लाने के लिए उसे तो वोट देना ही पड़ेगा। सीमावर्ती जिलों की मुश्किलों और समस्याओं के समाधान के लिए जिस तरह से मोदी ने अपनी स्पष्ट रखी है, उससे लोग चाहते हैं कि मोदी सरकार एक बार जरूर। अमृतसर में लगे ज्यादातर पोस्टरों व बैनरों में अरुण जेटली के साथ केवल मोदी का फोटो लगा है। इक्का-दुक्का पोस्टरों में प्रकाश सिंह बादल भी है, लेकिन प्रचार सामग्री में उप मुख्यमंत्री सुखबीर बादल के फोटो नहीं दिखे। ज्यादातर लोगों की नाराजगी भी सुखबीर बादल से है, बड़े बादल के प्रति लोगों में आदर का भाव है।
उत्तरी क्षेत्र के राज्यों में पंजाब एक अकेला ऐसा राज्य है जहां कांग्रेस के दिग्गज नेता केंद्रीय मंत्री व पार्टी महासचिव अंबिका चौधरी, पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, प्रदेश अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा व रवनीत सिंह बिट्टू जैसे चुनाव मैदान में ताल ठोंक कर अकाली-भाजपा गठबंधन को चुनौती दी है। पंजाब में कांग्रेस को शुरु में जहां केंद्र की संप्रग सरकार की वजह से सत्ता विरोधी रुख, महंगाई और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे पर मुश्किलें पेश आ रही थीं, दमदार प्रत्याशियों के चुनाव मैदान में आने से निराश व हताश कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ गया। यही वजह है कि मोदी को पंजाब जैसे मात्र 13 संसदीय सीट वाले राज्य में पांच-पांच रैलियां करके कांग्रेस की हवा निकालने की कोशिश की है, जिसका असर अब दिखने भी लगा है।