ASEAN में चीन के पड़ोसियों के बीच पैठ बनाने की सबसे बड़ी कोशिश
आसियान के दस देशों के प्रमुखों के पीएम मोदी की मुलाकात को चीन के पड़ोसियों के बीच अलग जगह बनाने की भारत की अभी तक की सबसे बड़ी कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। इस महीने गणतंत्र दिवस से ठीक एक दिन पहले नई दिल्ली में आसियान के दस देशों के प्रमुखों के साथ पीएम नरेंद्र मोदी की होने वाली विशेष मुलाकात होगी। इसे चीन के पड़ोसियों के बीच अलग जगह बनाने की भारत की अभी तक की सबसे बड़ी कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
25 जनवरी को थाइलैंड, विएनताम, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, म्यांमार, कंबोडिया, लाओस और ब्रूनेई के राष्ट्र प्रमुखों के साथ बंद कमरे में द्विपक्षीय रिश्तों की दशा व दिशा पर बात करेंगे। बातचीत के लिए पहले की तैयारियों में इन सभी देशों ने दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों में भारत को राजनीतिक व कूटनीतिक तौर पर ज्यादा सक्रिय भूमिका निभाने का आग्रह किया है। भारत भी इसके लिए तैयार दिखता है।
सनद रहे कि एशिया का यह क्षेत्र साउथ चाइना सी चीन के दबदबे की वजह से काफी अहम हो गया है। वर्ष 2012 में भारत और आसियान देशों के बीच यह समझौता हुआ था कि वे एक दूसरे के रणनीतिक साझेदार हैं लेकिन अभी तक दोनो पक्ष बहुत खुल कर आगे नहीं बढ़ पाये हैं। संकेत साफ है कि अब हालात बदल रहे हैं। चीन के दबदबे से परेशान इनमें से कई देश खुलेआम भारत के साथ सैन्य क्षेत्र में हर तरह का सहयोग करना चाहते हैं। भारत ने इन सभी दस देशों के प्रमुखों को इस साल गणतंत्र दिवस परेड में प्रमुख अतिथि बना कर यह जताया है कि वह अब लीक से हट कर कूटनीति करने को तैयार है।
विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्व) प्रीति शरण के मुताबिक, ''एक साथ दस देशों के प्रमुखों को प्रमुख अतिथि बनाना अपने आप में अनूठी घटना है। सभी राष्ट्र प्रमुखों ने अपनी हिस्सेदारी की रजामंदी दे दी है। यह इसलिए भी खास है कि आसियान के साथ भारत के रिश्तों की यह 25वीं वर्षगांठ है। पीएम मोदी की अगुवाई में इन नेताओं के साथ 25 जनवरी को बंद करने में बात होगी। इसमें रक्षा सहयोग और व्यापार बेहद अहम होगा।''
विएतनाम और इंडोनेशिया जैसे देश तेजी से सैन्य आधुनिकीकरण कर रहे हैं। भारत को अपने रक्षा उपकरणों के लिए इन देशों के बीच एक बड़ा बाजार भी दिख रहा है। कुछ देशों ने भारत में विकसित मिसाइलों को खरीदने में रुचि भी दिखाई है। शरण के मुताबिक कुछ देशों के साथ रक्षा उपकरणों की खरीद पर पहले से ही बात हो रही है। कुछ देशों के साथ नौ सैनिक व अन्य सैन्य सहयोग हो रहा है जिसे अब और बढ़ाया जा सकता है।
आर्थिक दृष्टिकोण से भी यह देश भारत के लिए बेहद अहमियत रखते हैं। अभी आसियान के उक्त चारों देशों के अलावा जापान, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, चीन, दक्षिण कोरिया और भारत एक अलग आर्थिक समझौता (आरसीईपी) करने की कोशिश कर रहे हैं। आरसीईपी होने के बाद इन देशों के बीच व्यापार, सेवा और निवेश करने में आने वाली मौजूदा तमाम बाधाएं समाप्त हो जाएंगी। लेकिन एक साथ बहुत सारे देशों के होने की वजह से बातचीत को किसी नतीजे पर पहुंचाने में दिक्कत हो रही है। शरण का कहना है कि ''भारत की इच्छा है कि एक ऐसी व्यवस्था हो जिसमें सभी देशों के हितों की रक्षा हो और सभी को समान तौर पर फायदा हो।''
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