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एकता परिषद में सियासी दरारें

सांप्रदायिक विभाजन दूर करने के लिए बुलाई गई राष्ट्रीय एकता परिषद खुद राजनीतिक खेमों में बंटी नजर आई। गैर संप्रग व राजग के अधिकतर मुख्यमंत्री बैठक में नहीं पहुंचे। बैठक में प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने हाल के सांप्रदायिक दंगों को राजनीतिक नफा-नुकसान के नजरिये से देखने वाले दलों को आड़े हाथों लिया। साथ ही कहा कि दंगा करने या फैलाने वालों पर सख्त कार्रवाई हो, चाहे वह किसी भी दल से हों। वहीं भाजपा के मुख्यमंत्रियों में अकेले बैठक में शामिल हुए शिवराज सिंह चौहान ने सांप्रदायिक विभाजन के लिए अल्पसंख्यक तुष्टीकरण की नीति को जिम्मेदार ठहराकर केंद्र को कठघरे में खड़ा कर दिया। तेलुगुदेसम पार्टी (तेदेपा) के अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू तेलंगाना के मुद्दे पर नहीं बोलने देने के विरोध में बैठक से वाकआउट कर गए।

By Edited By: Published: Tue, 24 Sep 2013 05:25 AM (IST)Updated: Tue, 24 Sep 2013 05:26 AM (IST)
एकता परिषद में सियासी दरारें

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सांप्रदायिक विभाजन दूर करने के लिए बुलाई गई राष्ट्रीय एकता परिषद खुद राजनीतिक खेमों में बंटी नजर आई। गैर संप्रग व राजग के अधिकतर मुख्यमंत्री बैठक में नहीं पहुंचे। बैठक में प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने हाल के सांप्रदायिक दंगों को राजनीतिक नफा-नुकसान के नजरिये से देखने वाले दलों को आड़े हाथों लिया। साथ ही कहा कि दंगा करने या फैलाने वालों पर सख्त कार्रवाई हो, चाहे वह किसी भी दल से हों। वहीं भाजपा के मुख्यमंत्रियों में अकेले बैठक में शामिल हुए शिवराज सिंह चौहान ने सांप्रदायिक विभाजन के लिए अल्पसंख्यक तुष्टीकरण की नीति को जिम्मेदार ठहराकर केंद्र को कठघरे में खड़ा कर दिया। तेलुगुदेसम पार्टी के अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू तेलंगाना के मुद्दे पर नहीं बोलने देने के विरोध में बैठक से वाकआउट कर गए।

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राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने मुजफ्फनगर दंगे के लिए परोक्ष रूप से भाजपा और सपा पर निशाना साधते हुए कहा कि सांप्रदायिक हिंसा को राजनीतिक नफा-नुकसान से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। इससे अंतत: पूरे देश को नुकसान होता है। किश्तवाड़, मुजफ्फरनगर और नवादा में सांप्रदायिक हिंसा उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों को ऐसी घटनाओं से सख्ती से निपटना चाहिए।

वैसे गैर संप्रग शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक से दूरी ने इस मुद्दे पर राजनीतिक दलों के बीच विभाजन को गहरा कर दिया। भाजपा के शिवराज सिंह चौहान को छोड़कर कोई भी मुख्यमंत्री नहीं आया। शिवराज ने भाजपा शासित राज्यों में सांप्रदायिक हिंसा नहीं होने का हवाला देते हुए कहा कि ऐसी घटनाओं के पीछे एक विशेष वर्ग की तुष्टीकरण की नीति है। उन्होंने कहा कि सरकारों को तुष्टीकरण की नीति को छोड़कर सभी वर्गों का समान रूप से विकास करने का प्रयास करना चाहिए।

उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शिवराज के तर्को को खारिज किया। अखिलेश ने मुजफ्फरनगर हिंसा के लिए सीधे तौर पर भाजपा को दोषी ठहराते हुए कहा कि 1990 से लगातार राज्य में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश हो रही है। इस सिलसिले में उन्होंने अयोध्या के विवादित ढांचे के गिराए जाने से लेकर पिछले महीने विहिप द्वारा आयोजित 84 कोसी परिक्रमा तक का उल्लेख किया। वहीं नीतीश कुमार ने भाजपा के संबंध-विच्छेद का जिक्र किए बिना ही कहा कि बिहार में अचानक धार्मिक रैलियों और कार्यक्रमों की संख्या तेजी से बढ़ गई है। उन्होंने धार्मिक जुलूसों और पंडालों में बिहार की तर्ज पर राजनीतिक कार्टूनों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने का सुझाव भी दिया।

बैठक से किनारा

गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी, पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, ओड़िशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, छत्तीसगढ़ के सीएम रमन सिंह, तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता और बसपा प्रमुख मायावती।

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