इन 7 कारणों से मोदी है बीजेपी के तारणहार!
अब भाजपा नरेंद्र मोदी के सहारे ही चुनाव लड़ने की तैयारी करती दिख रही है। चलिए हम आपको वो सात कारण बताते हैं जिनकी वजह से मोदी बीजेपी के बेस्ट च्वाइस हैं।
नई दिल्ली। अब भाजपा नरेंद्र मोदी के सहारे ही चुनाव लड़ने की तैयारी करती दिख रही है। भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी। वह भाजपा के लोकप्रिय नेता हैं।
गौरतलब है कि राजनाथ सिंह के अध्यक्ष बनते ही मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने की मांग जोर पकड़ने लगी थी। पार्टी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने मोदी राग छेड़कर इस बहस को तेज कर दिया था। भाजपा में मोदी को पीएम उम्मीदवार घोषित करने की मांग आम कार्यकर्ता से खास नेता तक कर रहे हैं। चलिए हम आपको बताते हैं वो सात कारण जिनकी वजह से भाजपा के राइट च्वाइस नरेंद्र मोदी हैं।
1. विकास पुरुष की छवि
पिछले 11 सालों में गुजरात के विकास की कहानी मोदी ने जिस तरह से गढ़ी है, उससे देशभर में एक संदेश गया है कि वह तरक्की पसंद नेता हैं और इसके लिए वह जी-जान लगाकर काम करते हैं। लगातार तीसरी बार सत्ता काबिज करने वाले मोदी को भी इस बात का एहसास है। उन्होंने अपनी राजनीति को पूरी तरह से विकास से जोड़ दिया और गुजरात की जनता ने इसे हाथोंहाथ लिया।
2. युवाओं में स्वीकार्यता
आज देश में 60 फीसद से ज्यादा आबादी युवाओं की है। युवा देश का नेतृत्व एक तेजतर्रार और चुस्त प्रशासक के हाथों में देना चाहते हैं। वह देश में आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक व कानूनी बदलाव चाहते हैं। युवा चाहते हैं कि उन्हें उनकी मनोदशा को समझने वाला नेता मिले। उनका नेता राजनेता की तरह नहीं बल्कि प्रबंधक की तरह काम करे। अपने दिल्ली दौरे में मोदी ने युवाओं के इस मनोदशा को खूब भुनाया। मोदी के भाषण पर गौर करें तो मोदी ब्रांड और विकास पर खासा जार दिए। मोदी में युवाओं को ये सारी खूबियां नजर आती हैं। सोशल मीडिया में मोदी को पीएम बनाने को लेकर चल रहे अभियान इस बात की तस्दीक करते हैं।
3. कार्यकर्ताओं की पसंद
भाजपा में कार्यकर्ता मोदी को प्रधानमंत्री पद का योग्य उम्मीदवार मानते हैं। यदि मोदी उम्मीदवार बनते हैं तो कार्यकर्ता दोगुनी ताकत से चुनावी मैदान में उतरेंगे। गुजरात में मोदी की कार्यशैली युवा कार्यकर्ताओं को खासा आकर्षित कर रही है।
4. कुनबा बढ़ाने में सक्षम
गठबंधन राजनीति के इस दौर में बड़ी सच्चाई यह है कि कोई भी पार्टी केंद्र में अपने बलबूते सरकार नहीं बना सकती है। चाहे कांग्रेस हो या भाजपा दोनों को साथी की जरूरत पड़ेगी। मोदी एनडीए में नए साथियों को जोड़ सकते हैं। उसमें सबसे पहला नाम आता है तमिलनाडु की मुख्यमंत्री व एआइडीएमके प्रमुख जयललिता की। इसके साथ ही उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और इनेलो प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला से मोदी के मधुर रिश्ते हैं। इसलिए एनडीए के इन पुराने साथियों को मोदी साध सकते हैं।
5. नीतीश व ममता की मजबूरी
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक बिहार के सीएम नीतीश कुमार मोदी के नाम पर चाहे जितना विरोध करें, आखिरकार उन्हें परिस्थितियों से समझौता करना ही पड़ेगा। पहली बात कि वह बिहार में भाजपा के सहयोग से सरकार चला रहे हैं और किसी भी हालत में वह नहीं चाहेंगे कि उनकी सरकार को कोई खतरा हो। ठीक ऐसी ही स्थिति पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी के साथ भी है। एफडीआइ को लेकर ममता का यूपीए 2 से अलग होना तो बस बहाना था। असल में वह राज्य के लिए आर्थिक पैकेज के साथ-साथ कर्ज वसूली में छूट चाहती थीं लेकिन केंद्र सरकार ने खराब आर्थिक हालात का हवाला देकर ऐसा करने से मना कर दिया था। ऐसे में ममता एनडीए में अपनी संभावनाएं टटोल सकती हैं।
6. राहुल बनाम मोदी
कांग्रेस ने राहुल गांधी को महासचिव से उपाध्यक्ष बनाकर यह संकेत दे दिया है कि अब पार्टी में उनका कद अधिकृत रूप से नंबर दो की हो गई है। इसके साथ ही पार्टी ने यह भी संकेत दे दिया है कि 2014 का चुनाव राहुल के ही नेतृत्व में लड़ेगी। इसलिए राहुल को यदि कोई टक्कर दे सकता है तो वह हैं मोदी।
7. मोदी पर लगातार हमला
विरोधियों द्वारा लगातार हमले की वजह से मोदी हमेशा चर्चा में रहे हैं। जहां सांप्रदायिकता की चर्चा होती है वहां मोदी की बात जरूर की जाती है। उन्हें बार-बार दंगों के लिए कटघरे में खड़ा किया जाता है। ऐसे में उनकी निगेटिव छवि भी उन्हें चर्चा में बनाए रखती है और इससे मतों का ध्रुवीकरण हो जाएगा।
आपकी राय। क्या नरेंद्र मोदी भाजपा के लिए सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवार हैं? मोदी की वो खास योग्यता जो आपको सबसे अधिक पसंद हो?
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