खेती में वरदान साबित हो रही नैनो तकनीक लेकिन स्वास्थ्य के लिए दे रही टेंशन, जानें कैसे
Nanotechnology नैनोकण के इस्तेमाल से मानव जीवन सरल हुआ है लेकिन वैज्ञानिकों ने इस बात की चेतावनी दी है इनका अत्यधिक इस्तेमाल हानिकारक हो सकता है। जानें कैसे...
नई दिल्ली, आइएसडब्ल्यू। नैनो तकनीक का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में हो रहा है। नैनो एक ग्रीक शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ सूक्ष्म या छोटा होता है। हर वो कण जिसका आकर 100 नैनोमीटर या इससे छोटा हो नैनोकण माना जाता है। किसी नैनोकण की सूक्ष्मता का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि मनुष्य के बालों का व्यास 60 हजार नैनोमीटर होता है। नैनो-टेक्नोलॉजी शब्द का प्रयोग पहली बार वर्ष 1974 में नॉरियो तानिगुची द्वारा किया गया था। यह अणुओं और परमाणुओं की इंजीनियरिंग है, जो भौतिकी, रसायन, जैव-सूचना व जैव-प्रौद्योगिकी विज्ञान जैसे विषयों को आपस में जोड़ती है।
धरती पर जीवन के आरंभ के समय से निरंतर प्रकृति में होने वाले परिवर्तनों के साथ- विभिन्न नैनोकणों का निर्माण हो रहा है। अत्यधिक सूक्ष्म आकार के कारण नैनोकणों के रसायनिक एवं भौतिक लक्षण बदल जाते हैं। उदाहरण के लिए जिंक धातु के नैनोकण बनने पर ये पारदर्शी हो जाते हैं। नैनोकणों का उपयोग उपभोक्ता उत्पादों से लेकर चिकित्सा उपकरणों, सौंदर्य प्रसाधन, रसायन, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं प्रकाशिकी, पर्यावरण, भोजन तथा पैकेजिंग, ईंधन, ऊर्जा, कपड़ा और पेंट, नई पीढ़ी की दवाएं और प्लास्टिक इत्यादि में हो रहा है।
कृषि क्षेत्र में भी हो रहा उपयोग
भारतीय शोधकर्ताओं ने रबड़ से बनी हाई-परफामेर्ंस नैनो-कम्पोजिट सामग्री विकसित की है, जिसका उपयोग टायरों की भीतरी ट्यूब और इनर लाइनरों को मजबूती प्रदान करने में किया जा सकता है। कृषि में नैनोकणों का उपयोग नैनो-उर्वरक, नैनो कीटनाशक/खरपतवारनाशी, भंडारण, संरक्षण, उत्पाद गुणवत्ता सुधार तथा फ्लेवर आदि में हो रहा है। नैनोकणों ने न सिर्फ फसलों की वृद्धि, बल्कि कृषि उपयोगी सूक्ष्मजीवों को भी प्रभावित किया है।
दो प्रकार के होते हैं नैनोकण
मोटे तौर पर नैनोकणों को कार्बनिक और अकार्बनिक पदार्थो में विभाजित किया जा सकता है। अकार्बनिक नैनोकण धातु (चांदी, एल्यूमीनियम, टिन, सोना, कोबाल्ट, तांबा, लोहा, मोलिब्डेनम, निकल, टाइटेनियम) एवं उनके धातु-ऑक्साइड का अत्यधिक प्रयोग हो रहा है। वही, जिंक ऑक्साइड नैनोकणों का उपयोग सौंदर्य प्रसाधनों में होता है। गोल्ड नैनोकणों की कोटिंग से ऊंची इमारतों या गाड़ियों के ग्लास आसानी से साफ किए जा सकते हैं। कॉपर के नैनोकण फफूंद तथा जीवाणुनाशक के रूप में चिकित्सा में प्रयोग हो रहे हैं। इनमें बैक्टीरिया तथा फफूंद को नष्ट करने की क्षमता होती है।
बढ़ी स्वास्थ्य की चिंता
नैनोकणों के उपयोग के साथ कुछ चुनौतियां भी उभर रही हैं। धात्विक नैनोकणों के उत्पादन और उपयोग में लगातार वृद्धि होने के कारण पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य को लेकर भी चिंता बढ़ रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि मिट्टी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से नैनोकणों का भंडार बन रही है। शोध पत्रिका साइंस एंड टोटल एनवायरनमेंट में प्रकाशित शोध के मुताबिक शुद्ध पानी में उगाए गए पौधों की तुलना में कॉपर-ऑक्साइड नैनोकणों से प्रदूषित पानी में उगाए गए जौ की जड़ों में कॉपर की मात्र 5.7 गुना और पत्तियों में 6.4 गुना अधिक पाई गई है।