युद्ध स्मारक पर अंकित किए जाएंगे गलवन में शहीद सैनिकों के नाम
चीनी सैनिकों के साथ झड़प में 20 भारतीय सैनिकों ने दिया था अपना सर्वोच्च बलिदान
नई दिल्ली, प्रेट्र। पूर्वी लद्दाख की गलवन घाटी में चीनी सैनिकों के साथ झड़प में बलिदान देने वाले 20 भारतीय सैनिकों के नाम यहां राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर अंकित किए जाएंगे। अधिकारियों ने गुरुवार को बताया कि स्मारक पर सैनिकों के नाम अंकित करने की प्रक्रिया में कुछ महीने लगेंगे। 15 जून की रात गलवन घाटी में चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। झड़प में 16वीं बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग अधिकारी कर्नल बी संतोष बाबू समेत अन्य सैनिक शहीद हो गए थे। इस घटना के बाद पूर्वी लद्दाख में सीमा पर तनाव बढ़ गया। भारत ने इसे चीन द्वारा सोची-समझी और पूर्वनियोजित कार्रवाई बताया था।
गलवन घाटी में पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 के पास चीन द्वारा निगरानी चौकी बनाए जाने का विरोध करने के बाद चीनी सैनिकों ने पत्थरों, नुकीले हथियारों, लोहे की छड़ों आदि से भारतीय सैनिकों पर नृशंस हमला किया। चीन ने झड़प में हताहत हुए अपने सैनिकों की संख्या के बारे में नहीं बताया था। हालांकि, अमेरिका की एक खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक चीनी पक्ष के 35 सैनिक मारे गए। पूर्वी लद्दाख में 17 जुलाई को लुकुंग अग्रिम चौकी की यात्रा के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीनी सैनिकों से लड़ाई में अद्भुत शौर्य दिखाने के लिए बिहार रेजिमेंट के सैनिकों की सराहना की थी।
बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी ने 25 फरवरी 2019 को शहीद जवानों के सम्मान में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का उद्धाटन किया था। ये स्मारक आज़ादी के बाद देश के लिए कुर्बानी देने वाले वीर सैनिकों के सम्मान में तैयार किया गया। तब बस दिल्ली में सिर्फ एक ही युद्ध स्मारक (इंडिया गेट) था, लेकिन वो प्रथम विश्वयुद्ध और अफगान लड़ाई के दौरान शहीद हुए 84 हज़ार सैनिकों की याद में अंग्रेज़ों ने बनवाया था। इसके बाद 1971 की लड़ाई में शहीद हुए करीब 4 हज़ार सैनिकों की याद में अमर जवान ज्योति (Amar Jawan Jyoti) बनाई गई। लेकिन ये पहला मौका है जब स्वतंत्रता के बाद राष्ट्र के लिए अपनी जान देने वाले जवानों के सम्मान में यह स्मारक बनाया गया।
बताया गया था कि नेशनल वॉर मेमोरियल बनने के बाद अब शहीदों से जुड़े कार्यक्रम अमर जवान ज्योति के बजाए नेशनल वॉर मेमोरियल में ही होंगे। इसपर कई हजार शहीद जवानों के नाम मौजूद है। राष्ट्रीय युद्ध स्मारक बनाने में करीब 176 करोड़ रुपये की लागत आई थी।