नालंदा ओएफबी करेगी बोफोर्स के गोलों को निर्माण
नालंदा के आयुध फैक्ट्री बोर्ड [ओएफबी] अपने पूर्व सहयोगियों- दो विदेशी कंपनियों पर रक्षा मंत्रालय की ओर से प्रतिबंध लगाए जाने के बाद बोफोर्स तोप समेत अन्य तोपों के लिए आवश्यक अवयव विकसित करने में जुट गया है।
नई दिल्ली। नालंदा के आयुध फैक्ट्री बोर्ड [ओएफबी] अपने पूर्व सहयोगियों- दो विदेशी कंपनियों पर रक्षा मंत्रालय की ओर से प्रतिबंध लगाए जाने के बाद बोफोर्स तोप समेत अन्य तोपों के लिए आवश्यक अवयव विकसित करने में जुट गया है।
ओएफबी के अधिकारी ने बताया कि बोफोर्स जैसी भारी तोपों के लिए गोले दागने के लिए जरूरी बाइ मोडुलर चार्ज सिस्टम [बीएमसीएस] को बिहार के नालंदा में स्थित ओएफबी विकसित करेगा। नैनीताल स्थित डीआरडीओ प्रयोगशाला - हाई एनर्जी मैटेरियल्स रिसर्च लेबोरेटरी इसके लिए प्रौद्योगिकी प्रदान करेगी।
बीएमसीएस हावित्जर और अन्य तोपों के लिए गोले दागने में काम आने वाला प्रणोदक है। अधिकारियों ने बताया कि बीएमसीएस विकसित करने में आवश्यक सामग्री और अन्य रसायन ओएफबी ने विकसित किए हैं। उसे प्रारंभिक मूल्याकंन परीक्षण के लिए ओडिशा के बालेश्वर भेजा गया है।
अधिकारियों ने कहा कि ओएफबी नालंदा को बीएमसीएस बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है और वह अगस्त से अपना पहला संयंत्र चालू करेगा। रक्षा मंत्रालय ने ओएफबी को बीएमसीएस उत्पादन के लिए 1999 में हरी झडी दी थी। इस परियोजना को पूरा करने के लिए नवंबर, 2001 की समय सीमा तय की थी।
प्रारंभ में सरकार ने दक्षिण अफ्रीकी कंपनी डेनेल को आवश्यक प्रौद्योगिकी के लिए चुना था। लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद जून, 2005 में इस कंपनी को प्रतिबंधित कर दिया गया।
वर्ष 2007 में इजराइल मिलिट्री इंडस्ट्रीज को प्रौद्योगिकी की आपूर्ति के लिए सहयोगी के रूप में चुना गया था और अनुबंध हुआ था। लेकिन कुछ समय बाद इस पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा और रक्षा मंत्रालय ने उसे काली सूची में डाल दिया।
इन बीएमसीएस के विकास के लिए कोई समयसीमा नहीं तय की गई लेकिन अधिकारियों को आशा है कि इस साल के अंत तक ये संयंत्र क्रियाशील हो जाएगा। उसके बाद शीघ्र ही अंतिम उत्पाद बनने लगेंगे।
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