नागपुर में कीचड़ से पानी निकालकर पीने को मजबूर हुए लोग
नागपुर में इन दिनों लोग पानी की किल्लत से दो चार हो रहे हैं। आलम यह है कि यहां के दूर-दराज इलाकों के लोग गंदा पानी पीने को मजबूर हैं। इसके लिए भी वह दो किमी पैदल चलते हैं।
नई दिल्ली (एएनआई/जेएनएन)। महाराष्ट्र के कई जिले इन दिनों भीषण सूखे की चपेट में हैं। आलम यह है कि पानी की एक-एक बूंद के लिए यहां पर लोग और जानवर तरस रहे हैं। महाराष्ट्र के लातूर समेत कुछ और जगहों पर केंद्र सरकार ने ट्रेन के जरिए पानी पहुंचाने सफलतम कोशिश जरूर की है। लेकिन वही इसके उलट नागपुर के दूर-दराज के इलाकों में लोग कीचड़ से पानी निकालकर पीने को मजबूर हो रहे हैं। नागपुर के कई इलाकों में पानी के बोरवेल पूरी तरह से सूख चुके हैं और हालत बद से बदतर हो रही है।
थोड़े से पानी के लिए मशक्कत करने वाले स्थानीय लोगों का कहना है कि इस गंदे पानी के लिए भी उन्हें एक से दो किमी तक पैदल चलना पड़ता है, तब कहीं जाकर यह पानी मिलता है। फिलहाल ये लोग इसीी गंदे पानी को पीकर अपना गुजारा कर रहे हैं।
महाराष्ट्र में पानी की स्थिति को समझने के लिए दरअसल यहां के भौगौलिक स्थिति को भी समझ लेना बेहद जरूरी होता है। दरअसल राज्य में छोटे बड़े मिलाकर कुल 1700 बांध हैं। इनमें से महज पांच बड़े बांध हैं जो इस राज्य की प्यास बुझाने में अहम भूमिका अदा करते हैं। इनमें सतारा जिले में कोयना नदी पर बना कोयना बांध, औरंगाबाद जिले में बना जायकवाडी बांध, सोलापुर जिले में बना भीमा नदी पर बना उज्जैनी बांध, यवतमाल जिले में पेनगंगा नदी पर बना इसापुर बांध और नागपुर में मौजूद तोतलादोह बांध शामिल है।
यह वे बांध हैं जो इस राज्य की प्यास बुझाने में अहम भूमिका अदा करते हैं। लेकिन इन दिनों इनका हाल भी बेहाल है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान खराब मानसून की वजह से इनमें से ज्यादातर बांधों में पानी न के ही बराबर बचा हुआ है। ऐसे में राज्य के सामने आने वाले संकट को अासानी से देखा जा सकता है। पानी की कमी से दो-चार हो रहे किसानों के लिए यह वर्ष भी बेहद मुश्किलों से भरा होने वाला है।