परंपरागत मंडियों को चुनौती देने उतरा नैफेड, नई मंडियां होंगी आधुनिक सुविधाओं से लैस
सरकार की मंशा के अनुरूप परंपरागत मंडियों के समानांतर इन निजी मंडियों में किसानों के हित में सभी सुविधाएं मुफ्त में मुहैया कराई जाएंगी। इनमें वजन की आधुनिक मशीन उपज की नीलामी स्थल ग्रेडिंग नमी वाली उपज को सुखाने की आधुनिक मशीनें क्लीनिंग और पैकिंग की व्यवस्था प्रमुख होगी।
नई दिल्ली, सुरेंद्र प्रसाद सिंह। कृषि सुधार के लिए संसद से पारित कानूनों के अस्तित्व में आते ही कृषि क्षेत्र में निवेश का रास्ता साफ हो गया है। बस इसी का इंतजार था। सहकारी क्षेत्र की प्रमुख संस्था नैफेड ने एक साल के भीतर देश में एक सौ से अधिक मंडियां स्थापित करने का फैसला किया है। महाराष्ट्र के पुणे में पहली मंडी खुल भी गई। किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) और सहकारी सोसाइटियों के साथ मिलकर सहकारी क्षेत्र की संस्था नैफेड ने यह बहुप्रतीक्षित बड़ी पहल की है। इन मंडियों में बुनियादी सुविधाओं का विकास नैफेड की ओर से किया जाएगा जबकि मंडी का नियमित संचालन किसान उत्पादक संगठनों का प्रबंधन करेगा।
बीज से लेकर मशीन तक सब होगा उपलब्ध
सरकार की मंशा के अनुरूप परंपरागत मंडियों के समानांतर इन निजी मंडियों में किसानों के हित में सभी सुविधाएं मुफ्त में मुहैया कराई जाएंगी। इनमें वजन की आधुनिक मशीन के साथ, उपज की नीलामी स्थल, ग्रेडिंग, नमी वाली उपज को सुखाने की आधुनिक मशीनें, क्लीनिंग और पैकिंग की व्यवस्था प्रमुख होगी। इसके अलावा छोटा प्री-कूलिंग वाला कोल्ड स्टोर, वेयर हाऊस आदि की सुविधा इन मंडियों में उपलब्ध रहेगी। कृषि उत्पादों की क्वालिटी का निर्धारण करने वाली आधुनिक मशीन भी लगायी जाएगी। इन्हीं मंडियों में खेती के इनपुट वाली वस्तुओं की दुकानें भी यहां होंगी जहां से किसान अपनी जरूरतों के सामान रियायती दरों पर खरीद सकते हैं। इनमें बीज, फर्टिलाइजर, पेस्टीसाइड, खेती के छोटे बड़े उपकरणों आदि की बिक्री की जाएगी। इन मंडियों में किसानों को खेती से जुड़ी हर तरह की आधुनिक वैज्ञानिक जानकारी भी उपलब्ध कराई जाएगी।
इसी सप्ताह देश के 700 एफपीओ का वर्चुअल सम्मेलन
देश के विभिन्न हिस्सों में नैफेड किसान मंडियों की स्थापना का प्रारुप तैयार हो चुका है। इन मंडियों में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास में सरकार की घोषित एग्रो इंफ्रास्ट्रक्चर फंड से मदद ली जा सकेगी। पहली नैफेड किसान मंडी पुणे में 30 एफपीओ के साथ मिलकर स्थापित की जा रही है। जबकि दूसरी मंडी महाराष्ट्र के ही नासिक के पास ढोलभरे में जल्दी ही स्थापित हो जाएगी। नैफेड इसी सप्ताह देश के 700 एफपीओ का वर्चुअल सम्मेलन कर रहा है, जिसमें अन्य किसान मंडियों की स्थापना के बारे में विस्तृत विचार विमर्श किया जाएगा।
50 मंडियों का प्रारुप अंतिम दौर में
नैफेड के प्रबंध निदेशक संजीव कुमार चड्ढा ने इस बारे में बताया कि कृषि क्षेत्र में सुधार के तीन कानूनों से किसानों को बड़ा फायदा मिला है। इसी के तहत सरकारी एजेंसी नैफेड ने एफपीओ के साथ मिलकर मंडियों की स्थापना का खाका तैयार कर लिया है। 50 मंडियों का प्रारुप अंतिम दौर में है, जबकि बाकी में भी प्रगति हो रही है। एक साल के भीतर काम पूरा कर लिया जाएगा। आगामी रबी सीजन की उपज की खरीद भी नई च्नैफेड किसान मंडीज् में होने लगेगी। सहकारी समितियों के साथ एफपीओ मिलकर इन मंडियों को चलाएंगे जिससे किसी तरह की गड़बड़ी का अंदेशा नहीं रहेगा।