Move to Jagran APP

2022 तक आसानी से दोगुनी हो जाएगी किसानों की आमदनी, ये रिपोर्ट है सबूत

इस रिपोर्ट से साफ हो गया कि दोगुनी आय करने को लेकर सरकार की नीतियां सही दिशा में चल रही हैं।

By Vikas JangraEdited By: Published: Thu, 23 Aug 2018 09:24 PM (IST)Updated: Fri, 24 Aug 2018 11:39 AM (IST)
2022 तक आसानी से दोगुनी हो जाएगी किसानों की आमदनी, ये रिपोर्ट है सबूत
2022 तक आसानी से दोगुनी हो जाएगी किसानों की आमदनी, ये रिपोर्ट है सबूत

नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। देश में किसानों की आमदनी सालाना 12 फीसद की रफ्तार से बढ़ रही है। नाबार्ड की हालिया रिपोर्ट में उल्लेखनीय खुलासा किया गया है। जबकि वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए 10.4 फीसद की वृद्धि दर की ही जरूरत है। सरकार ने इस लक्ष्य को पाने के लिए कई योजनाएं शुरु की हैं, जिनमें कृषि की उत्पादकता बढ़ाने के अलावा अन्य कई उपाय किये हैं, ताकि किसानों की अतिरिक्त आमदनी हो सके।

loksabha election banner

नाबार्ड की रिपोर्ट के मुताबिक लघु व सीमांत किसानों की आमदनी में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। इससे स्पष्ट है कि आय को दोगुना करने के लक्ष्य को समय से पा लिया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों में 48 फीसद किसान परिवार हैं। वर्ष 2015-16 में प्रति परिवार उनकी सालाना आमदनी 1.07 लाख रुपये हो गई, जो उन्हें खेती, पशुधन, गैर कृषि गतिविधियों और अन्य तरह के रोजगार से हुई। जबकि वर्ष 2012-13 में यह आय 77.11 हजार रुपये थी। 29 राज्यों में से 19 में यह दर 12 फीसद से भी उपर है, जबकि 15 राज्यों में यह 10.5 फीसद है। रिपोर्ट के मुताबिक देश के 52 फीसद किसान ऋण से ग्रसित हैं।

किसानों की आमदनी को दोगुना करने के लिए गठित विशेषज्ञ कमेटी के चेयरमैन डॉक्टर अशोक दलवई ने इस संबंध में बताया कि नाबार्ड की रिपोर्ट से साफ हो गया कि दोगुनी आय करने को लेकर सरकार की नीतियां सही दिशा में चल रही हैं। बकौल, डॉक्टर दलवई राष्ट्रीय स्तर पर किसानों की आय की वृद्धि दर 10.4 फीसद करने लक्ष्य तय किया गया है।

उन्होंने एक सवाल के जवाब में बताया कि कृषि की विकास दर तीन फीसद के आसपास है, लेकिन किसानों की आमदनी की वृद्धि दर 12 फीसद तक हो चुकी है। सकल घरेलू उत्पाद में (जीडीपी) कृषि की विकास दर और आमदनी की वृद्धि दर अलग-अलग हैं। किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार ने कई उपाय किये हैं। किसान की उपज को आमदनी में तब्दील करने की पहल की गई है। बाजार की जरूरतों के हिसाब से खेती करने की पहल काफी मुफीद साबित हो रही है। 
Saving the Farmer, Protecting the Earth

इनमें पहला, खेती की लागत में कमी लाना है, जिसके लिए कई तरह के प्रयास किये जा रहे हैं। जबकि दूसरा उपाय पोस्ट हार्वेस्टिंग होने वाले नुकसान को घटाने से जु़ड़ा है। भंडारण, ढुलाई, पैकिंग, छंटाई और बाजार तक पहुंचाने वाली कोल्ड चेन जैसी व्यवस्था को पुख्ता करना है।

दरअसल, कृषि से संबंधित विभिन्न फसलों में होने वाला नुकसान 10 से 30 फीसद तक हो जाता है। इसे रोकना पहली प्राथमिकता है। तीसरा उपाय किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाना है। मंडी प्रणाली को मजबूत बनाया जा रहा है, ताकि किसान अपनी उपज को समय पर उचित जगह बेच सके। इसके अलावा कृषि से जुड़े अन्य उद्यम पर जोर दिया जा रहा है, ताकि किसान को उसकी परंपरागत खेती के साथ इनसे अतिरिक्त आमदनी हो सके।

डबलिंग इनकम कमेटी को पंजाब, हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के मुकाबले कृषि क्षेत्र की विकास दर और आमदनी में वृद्धि की सबसे ज्यादा उम्मीद देश के पूर्वी राज्यों से है। इनमें पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से है। इन राज्यों में विकास की रफ्तार को बढ़ाने की पूरी संभावनाएं हैं। इन पिछड़े राज्यों में कृषि और उससे जुड़े उद्यम की उत्पादकता बहुत नीचे है। सरकार का जोर भी इन राज्यों पर ज्यादा है। इसीलिए दूसरी हरितक्रांति इन्हीं पूर्वी राज्यों में चलाई जा रही है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.