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अयोध्या मामले में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के रुख में आई नरमी, वार्ता के लिए तैयार

अयोध्या मामले में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि वह निष्पक्ष न्याय और समान सम्मान के आधार पर बातचीत के लिए तैयार हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 11 Feb 2018 09:20 AM (IST)Updated: Sun, 11 Feb 2018 09:22 AM (IST)
अयोध्या मामले में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के रुख में आई नरमी, वार्ता के लिए तैयार
अयोध्या मामले में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के रुख में आई नरमी, वार्ता के लिए तैयार

हैदराबाद, प्रेट्र। राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि वह निष्पक्ष न्याय और समान सम्मान के आधार पर बातचीत के लिए तैयार हैं। बोर्ड ने एक वक्तव्य जारी कर यह जानकारी दी है।

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निष्पक्ष न्याय और समान सम्मान के आधार पर करेंगे बात

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआइएमपीएलबी) की 26वीं सालाना बैठक विगत शुक्रवार से जारी है। इसी बैठक में बोर्ड ने शनिवार को दूसरे पक्ष से बातचीत के लिए सहमति जताकर अपने रुख में नरमी दिखाई है। उसका कहना है कि समझौते के लिए बातचीत के लिए अगर निष्पक्ष न्याय और समान रूप से सम्मान मिले तो वह बातचीत के लिए तैयार है। हालांकि बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने बैठक के दौरान अपने भाषण में बोर्ड के रुख पर असहमति जताते हुए कहा, 'एक बार जो मस्जिद बन गई तो वह हमेशा मस्जिद ही रहेगी।'

बोर्ड की बैठक में वली रहमानी ने उठाए विरोधी स्वर

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के मुताबिक बाबरी मस्जिद मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में कानूनी लड़ाई चल रही है। कोर्ट पहले ही कह चुका है कि यह मामला जमीन के मालिकाना हक से जुड़ा है, नाकि आस्था से जुड़ा हुआ है।

उल्लेखनीय है कि बोर्ड की कार्यकारी समिति ने विगत शुक्रवार की शाम को बैठक की। बाद में बयान जारी करके कहा था कि बोर्ड शरिया के मूल सिद्धांत के मुताबिक मस्जिद के लिए निर्धारित जमीन को बेचा या तोहफे में नहीं दिया जा सकता है। या किसी भी अन्य तरीके से उसे उसकी जगह से अलग नहीं किया जा सकता है। एक ही दिन पहले मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और सुन्नी वक्फ बोर्ड के कुछ सदस्यों ने ऑर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर से भी मुलाकात की थी।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपनी रिलीज में बताया है कि एक साथ तीन तलाक के मुद्दे पर रहमानी ने राज्यसभा में विपक्षी दलों के रुख का समर्थन किया जिनके विरोध के चलते यह बिल राज्यसभा में रुक गया है। उन्होंने कहा कि सरकार पर्सनल लॉ में दखल देना चाहती है जिसकी पूर्णता की गारंटी भारतीय संविधान ने दी है।


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