तीन तलाक पर बोलीं शाइस्ता अंबर, हिंदू मैरिज एक्ट की तर्ज पर बने मुस्लिम मैरिज एक्ट
शाइस्ता अंबर ने बताया कि शरियत और कुरान में भी तलाक के लेकर तीन महीने की प्रक्रिया का जिक्र किया गया है, लेकिन इसका पालन आमतौर पर नहीं किया जाता है।
नई दिल्ली, जेएनएन। सुप्रीम कोर्ट तीन तलाक के मुद्दे पर आज अपना फैसला सुनाएगी, जिसका प्रभाव करोड़ों मुस्लिम महिलाओं के भविष्य पर पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच तीन तालाक के मामले में आज सुबह 10.30 अपना फैसला सुनाएगी। पूरे देश की निगाहें कोर्ट के इस फैसले पर टिकी हुई हैं। इस बीच ऑल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अंबर का कहना है कि हिंदू मैरिज एक्ट की तर्ज पर ही मुस्लिम मैरिज एक्ट भी बने।
शाइस्ता अंबर ने आजतक से कहा कि तलाक शरियत के लिहाज से होना चाहिए और मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से निजात मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि तीन तलाक के लिए लंबी लड़ाई लड़ी गई है और आज उसका परिणाम आने वाला है। कोर्ट तीन तलाक को खत्म करके शरियत के मद्दे नजर हो, जिसमें तलाक की जो तीन महीने की प्रक्रिया हो उसके मद्दे नजर हो।
उन्होंने बताया कि शरियत और कुरान में भी तलाक के लेकर तीन महीने की प्रक्रिया का जिक्र किया गया है, लेकिन इसका पालन आमतौर पर नहीं किया जाता है। अगर सरकार इस प्रक्रिया को अपनाती है तो हम स्वागत करते हैं, लेकिन सरकार अगर शरियत के खिलाफ कोई कानून लाते हैं, तो हमें कुबूल नहीं है। शाइस्ता अंबर ने कहा कि हिंदू मैरिज एक्ट के तर्ज पर ही मुस्लिम मैरिज एक्ट बनाना चाहिए, ताकि मुस्लिम महिलाओं की जिंदगी के साथ खेला ना जा सके।
बता दें कि 11 मई से सुप्रीम कोर्ट में शुरू हुई तीन तलाक के मुद्दे पर सुनवाई 18 मई को खत्म हुई थी। तब सुप्रीम कोर्ट ने फैसले को सुरक्षित रख लिया था।
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