इस मुस्लिम युवक और रावण के बीच का कनेक्शन जान दंग रह जाएंगे आप
हिन्दुओं को हर साल दशहरा पर्व का इंतजार रहता है। लेकिन अहमदाबाद के एक मुस्लिम भी ऐसे हैं जिन्हें दशहरा का बेसब्री इंतजार रहता है।
अहमदाबाद, जेएनएन। हिन्दुओं को हर साल दशहरा पर्व का इंतजार रहता है। लेकिन अहमदाबाद के एक मुस्लिम भी ऐसे हैं जिन्हें दशहरा का बेसब्री इंतजार रहता है। हम बात कर रहे हैं अहमदाबाद के शराफत अली फारूकी की। शराफत मूलरूप से आगरा के रहने वाले हैं। वे बचपन से ही अपने पिता के साथ रावण का पुतला बनाते आ रहे हैं। वे शुरू से ही रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले बनाने के लिए अलग-अलग शहरों में जाया करते थे।
शराफत बताते हैं कि वे बचपन से ही रामलीला देखने के लिए बेताब रहते थे। उन्हें रामायण की कहानी मुंहजुबानी याद है। शराफत का मानना है कि दशहरा साझी संस्कृति का त्योहार है। जब उन्होंने पुतले बनाने का काम शुरू किया, तो यह उनके लिए केवल कारोबार तक सीमित नहीं था। वो इसे एक जिम्मेदारी की तरह निभाते चले आ रहे हैं।
दशहरे के बारे में बताते हुए शराफत आगे कहते हैं, 'सैकड़ों की तादाद में जब लोग अपने परिवारों के साथ पुतलों को जलते हुए देखने जाते हैं, तो मुझे बड़ा अच्छा लगता है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।' शराफत का कहना है कि हमारी सांस्कृतिक जड़ें काफी गहरी हैं और ये जड़ें सामुदायिक संघर्ष की तुलना में काफी मजबूत हैं।
वह बताते हैं, लोग उनसे कभी नहीं पूछते कि वे दशहरे के दिन जलाए जाने वाले ये पुतले क्यों बनाते हैं। शराफत का परिवार पिछली 4 पीढ़ियों से रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले बनाता आ रहा है। वह नियमित तौर पर अहमदाबाद आते-जाते रहते हैं। इस साल वे 15 से ज्यादा रावण के पुतले बना रहे हैं। वह बताते हैं, 'अपने काम के सिलसिले में मैं उत्तर भारत के कई इलाकों में गया हूं। गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश के अलावा उत्तर प्रदेश के कई शहरों में भी गया हूं।