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अब सिर्फ मुरादाबाद तक सीमित नहीं रही मुरादाबादी बिरयानी, युवाओं को दे रही रोजगार

दिल्ली मुंबई लखनऊ हैदराबाद चंडीगढ़ पटना व अजमेर... अनेक शहरों में मुरादाबादी बिरयानी खूब बिक रही है। बड़े-बड़े शहरों में जगह-जगह मुरादाबादी बिरयानी के सेंटर खुले हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 01 Nov 2019 09:31 AM (IST)Updated: Fri, 01 Nov 2019 09:31 AM (IST)
अब सिर्फ मुरादाबाद तक सीमित नहीं रही मुरादाबादी बिरयानी, युवाओं को दे रही रोजगार
अब सिर्फ मुरादाबाद तक सीमित नहीं रही मुरादाबादी बिरयानी, युवाओं को दे रही रोजगार

मुस्लेमीन, रामपुर। बिरयानी का नाम सुनते ही नॉनवेज के शौकीनों के मुंह में पानी आ जाता है। वैसे तो बिरयानी कई तरीके से बनाई जाती है, लेकिन मुरादाबादी बिरयानी की अपनी पहचान है। यह अब सिर्फ मुरादाबाद तक सीमित नहीं रह गई है। जिले के कई युवाओं ने मुरादाबादी बिरयानी को रोजगार का साधन बना लिया है। दिल्ली, मुंबई, लखनऊ, हैदराबाद, चंडीगढ़, पटना व अजमेर... अनेक शहरों में मुरादाबादी बिरयानी खूब बिक रही है। बड़े-बड़े शहरों में जगह-जगह मुरादाबादी बिरयानी के सेंटर खुले हैं।

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रामपुर (उप्र) के हजारों युवाओं ने मुरादाबादी बिरयानी को रोजगार का साधन बना लिया है। खासकर टांडा नगर, डौंकपुरी टांडा, खेड़ा टांडा, नगलिया आकिल, टांडा बादली के करीब पांच हजार युवा देश के कोनेकोने में बिरयानी बना रहे हैं। इनमें किसी ने दुकान में होटल खोल रखा है तो कोई ठेले पर ही बिरयानी बेच रहा है। इनकी मानें तो इस काम में मुनाफा भी खूब है, जबकि लागत कम है। इस कारोबार से रोजाना दो से पांच हजार रुपये तक कमा लेते हैं।

नवाबों के शहर रामपुर में मुरादाबादी चिकन बिरयानी के करीब तीन दर्जन सेंटर हैं। युवाओं ने सड़क किनारे की दुकानों में होटल बना रखे हैं। रेलवे स्टेशन के सामने हाईवे पर और शहर की खास सड़कों पर जगह-जगह बिरयानी सेंटर नजर आते हैं। नगलिया आकिल के प्रधान सरफराज कहते हैं कि उनके गांव में 10 हजार वोटर हैं और करीब एक हजार युवा दूसरे शहरों में बिरयानी बेच रहे हैं। यहीं के इब्राहिम अपने गांव में ही राइस मिल चला रहे हैं, जबकि उनके तीन बेटे आसिफ, आरिफ और मुन्ना पंजाब के मोहाली में बिरयानी बेच रहे हैं।

आसिफ बताते हैं कि तीनों भाई साथ मिलकर होटल चला रहे हैं। दो किला चावल की बिरयानी पककर 10 किलो बन जाती है, जिसे 180 रुपये किलो बेचते हैं। एक पतीले में करीब एक हजार रुपये बच जाते हैं। जहां ज्यादा डिमांड है, वहां रोज 50 किलो चावल की बिरयानी भी बिक जाती है। डौंकपुरी और खेड़ा टांडा की आबादी करीब 20 हजार है और इसके एक-एक परिवार से चार-चार युवा दूसरे शहरों में बिरयानी बेचने का काम कर रहे हैं। गांव के प्रधान मौलाना फारूख बताते हैं कि उनके गांव के हजार से ज्यादा युवा दूसरे शहरों में बिरयानी बेच रहे हैं। इससे युवाओं को रोजगार भी मिला है और उनकी माली हालत भी काफी सुधरी है।

कम तेल, स्वाद उम्दा...

बिरयानी की खास वैरायटीज की बात होती है तो इसमें मुरादाबादी चिकन बिरयानी का भी नाम आता है। लखनवी बिरयानी का फ्लेवर लिए मुरादाबादी बिरयानी उतनी ही लजीज है, जितनी नवाबों के शहर लखनऊ की बिरयानी। रामपुर के मशहूर बाबर्ची बाबू भाई बताते हैं कि बासमती चावल, चिकन, नींबू, हरी मिर्च, प्याज, अदरक और मसालों जैसे हींग, इलायची, लौंग, जीरा, गरम मसाला पाउडर, जीरा पाउडर से तैयार इस बिरयानी की सुगंध दूर से ही आने लगती है। खास बात यह है कि इसमें कम से कम तेल का इस्तेमाल होता है, जिसकी वजह से बिरयानी का अलग ही स्वाद आता है। हैदराबादी और लखनवी बिरयानी में तेल और मसाले ज्यादा पड़ते हैं। सेहत के लिए मुरादाबादी बिरयानी उनके मुकाबले बेहतर है।


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