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मुंशी प्रेमचंद का लमही अब ई-विलेज

मैकू, सवा सेर गेहूं, ईदगाह, बूढ़ी काकी आदि कहानियों के जरिए गांव के रहन-सहन व वहां की दुश्वारियों को बखूबी उकेरने वाले महान उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद की लमही की झोपड़ियां अब हाईटेक होने जा रही हैं। वाराणसी के जिलाधिकारी प्रांजल यादव ने 'ई-विलेज' से लमही गांव को जोड़ने की योजना को हरी झंडी दे दी है। इस तरह स

By Edited By: Published: Sun, 31 Aug 2014 03:20 PM (IST)Updated: Sun, 31 Aug 2014 03:31 PM (IST)
मुंशी प्रेमचंद का लमही अब ई-विलेज

लखनऊ। मैकू, सवा सेर गेहूं, ईदगाह, बूढ़ी काकी आदि कहानियों के जरिए गांव के रहन-सहन व वहां की दुश्वारियों को बखूबी उकेरने वाले महान उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद की लमही की झोपड़ियां अब हाईटेक होने जा रही हैं। वाराणसी के जिलाधिकारी प्रांजल यादव ने 'ई-विलेज' से लमही गांव को जोड़ने की योजना को हरी झंडी दे दी है।

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इस तरह से अब प्रख्यात कहानीकार प्रेमचंद के लमही गांव में घर बैठे 26 शासकीय सेवाओं और योजनाओं का लाभ भी उठाया जा सकेगा। गांव में ही न केवल कुटुंब रजिस्टर मिलेगा बल्कि जन्म से मृत्यु तक का प्रमाणपत्र भी एक निर्धारित अवधि के भीतर प्राप्त किया जा सकेगा। जिलाधिकारी ने बताया कि ई-विलेज योजना के तहत विभिन्न शासकीय सेवाओं में यथा कुटुंब रजिस्टर नकल, जाति, निवास, जन्म, मृत्यु, आय प्रमाण पत्र, वृद्धा, विधवा, विकलांग पेंशन, राशन कार्ड के आवेदन आदि की इलेक्ट्रानिकली ओवर द काउंटर प्रदान की जाएगी। प्रत्येक जिले में एक ग्राम चयन की व्यवस्थानुसार लमही ग्राम का चयन ई-विलेज के रूप में किया गया है।

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