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महाराष्ट्र में भाजपा का ओबीसी चेहरा थे मुंडे

महाराष्ट्र में भाजपा के अन्य पिछड़ी जाति का चेहरा एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री गोपीनाथ मुंडे राज्य में कांग्रेस-राकांपा गठबंधन से सत्ता छीनने के लिए आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी के अभियान का नेतृत्व करने की तैयारी कर रहे थे। मगर, भाग्य को कुछ और ही मंजूर था। एक हफ्ते पहले ही पहली बार केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हुए 64 वर्षीय ग्राम

By Edited By: Published: Tue, 03 Jun 2014 07:27 PM (IST)Updated: Wed, 04 Jun 2014 07:54 AM (IST)
महाराष्ट्र में भाजपा का ओबीसी चेहरा थे मुंडे

नई दिल्ली। महाराष्ट्र में भाजपा के अन्य पिछड़ी जाति का चेहरा एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री गोपीनाथ मुंडे राज्य में कांग्रेस-राकांपा गठबंधन से सत्ता छीनने के लिए आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी के अभियान का नेतृत्व करने की तैयारी कर रहे थे। मगर, भाग्य को कुछ और ही मंजूर था।

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एक हफ्ते पहले ही पहली बार केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हुए 64 वर्षीय ग्रामीण विकास मंत्री का मंगलवार को दिल्ली में एक सड़क दुर्घटना में निधन हो गया। वह पांच बार विधायक रह चुके थे और उनके मन में हमेशा ही महाराष्ट्र में भाजपा का पहला मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा रही।

शिवसेना ने सोमवार को तीखे तेवर दिखाते हुए कहा था कि समझौते के तहत तय हुआ था कि प्रधानमंत्री पद नरेंद्र मोदी को दिया जाएगा और राज्य में मुख्यमंत्री का पद सेना के खाते में आएगा। ऐसे में विधानसभा चुनाव में शिव सेना के नेता उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे।

एनसीपी प्रमुख शरद पवार के ज्ञात आलोचक मुंडे को इस बात का श्रेय दिया जाता है कि उन्होंने इस मराठा राजनीतिज्ञ के प्रभाव को इस हद तक बेकार कर दिया कि शिवसेना-भाजपा गठबंधन 1995 में सत्ता हासिल कर सका। उस सरकार में वह उप मुख्यमंत्री बने।

दिवंगत भाजपा नेता प्रमोद महाजन के बहनोई मुंडे पिछड़े मराठवाड़ा क्षेत्र के एक गरीब परिवार से संबंध रखते थे। उन्हें भाजपा के दिवंगत नेता वसंतराव भागवत राजनीति में लाए थे, जिन्होंने प्रमोद महाजन सहित कई अन्य नेताओं को राजनीति में दक्ष बनाया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा नेतृत्व के साथ मिलकर मुंडे को महाराष्ट्र में पार्टी के प्रचार अभियान की कमान सौंपी थी। महाराष्ट्र में चार महीने बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। मुंडे 15वीं लोकसभा में भाजपा के उप नेता थे। पवार द्वारा इस बार बीड़ सीट को प्रतिष्ठा का मुद्दा बनाए जाने के बावजूद मुंडे वहां से लोकसभा चुनाव जीते थे। मुंडे राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के महासचिव भी रहे। इसके साथ ही वह 15वीं लोकसभा में रसायन एवं उर्वरक संबंधी संसदीय समिति के अध्यक्ष थे।

बीड़ जिले के नाथरा गांव के रहने वाले मुंडे का जन्म 12 दिसंबर 1949 को वंजारी [जाति] के मध्यम वर्गीय किसान परिवार में हुआ था। वह 1980-1985, 1990-2009 के बीच पांच बार महाराष्ट्र विधानसभा के विधायक रहे। उनके पिता पांडुरंग मुंडे और मां लिम्बाबाई मुंडे थीं। मुंडे के परिवार में पत्नी और तीन पुत्रियां पंकजा, प्रीतम और यशश्री हैं। पंकजा पलावे बीड़ जिले में परली विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करती हैं।

महाराष्ट्र में अपने दिवंगत साले प्रमोद महाजन के साथ लगभग दो दशकों तक पार्टी के प्रमुख नेता रहे मुंडे राज्य में सामाजिक इंजीनियरिंग फार्मूले के सूत्रधार थे। इसके तहत विपक्षी महायुति गठबंधन हुआ, जिसे हाल में हुए लोकसभा चुनाव में राज्य में 48 में से 42 सीटें मिली।

मुंडे 1992-1995 के बीच महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता थे। उन्होंने 1995-1999 के बीच महाराष्ट्र में उप मुख्यमंत्री के साथ ही कई भूमिकाएं निभाई। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के साथ की। वह तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के दौरान सरकार के खिलाफ हुए आंदोलन का हिस्सा थे।

मुंडे का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल होना उनके जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ था। उन्हें बाद में भाजपा की युवा शाखा, भारतीय जनता युवा मोर्चा की महाराष्ट्र इकाई का अध्यक्ष बनाया गया।

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