मुकुल का तृणमूल महासचिव पद भी छीना
ममता-मुकुल के बीच चल रहा मौन युद्ध अंतिम चरण में पहुंच गया है। शनिवार को कालीघाट स्थित मुख्यमंत्री आवास पर हुई तृणमूल कार्यसमिति की बैठक में पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय महासचिव पद से भी हटा दिया। इससे पहले मुकुल रॉय को राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस नेता के पद से हटाया
कोलकाता, जागरण ब्यूरो। ममता-मुकुल के बीच चल रहा मौन युद्ध अंतिम चरण में पहुंच गया है। शनिवार को कालीघाट स्थित मुख्यमंत्री आवास पर हुई तृणमूल कार्यसमिति की बैठक में पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय महासचिव पद से भी हटा दिया। इससे पहले मुकुल रॉय को राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस नेता के पद से हटाया गया था। मुकुल को पार्टी की कार्यकारिणी से भी बाहर कर दिया गया है। तृणमूल में अब एकमात्र राष्ट्रीय महासचिव सुब्रत बक्शी होंगे, जबकि मुकुल अब सिर्फ राज्यसभा सांसद हैं।
गौरतलब है कि शुक्रवार देर रात ममता बनर्जी की ओर से राज्यसभा अध्यक्ष व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी को लिखे पत्र में सदन में पार्टी नेता पद से मुकुल को हटाकर डेरेक ओ-ब्रायन को नियुक्त करने की जानकारी दी गई थी। साथ ही राज्यसभा में उनके बैठने की व्यवस्था भी इस प्रकार की गई है, जिससे मुकुल को अपने घटे हुए कद का अहसास होता रहे। कभी मुख्यमंत्री के करीबी माने जाने वाले मुकुल को संसदीय बोर्ड के चेयरमैन पद से भी हटा दिया गया था। शनिवार को हुई बैठक में पार्टी की 21 सदस्यीय नई कार्यकारिणी समिति का गठन हुआ। इसमें भी मुकुल को जगह नहीं दी गई। इसके अलावा सांसद दिनेश त्रिवेदी व सांसद सुल्तान अहमद को पार्टी में उपाध्यक्ष पद दिया गया है।
ममता से पहले मोदी से मिलने की तैयारी में मुकुल
कोलकाता। मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात से पहले पार्टी के राज्यसभा सांसद मुकुल रॉय पीएम से मिलना चाहते हैं। मुकुल ने संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर प्रधानमंत्री के जवाबी भाषण की प्रशंसा करते हुए कहा कि मोदी ने बेहद मनमोहिनी भाषण दिया है, जिसके लिए वे बधाई देने जाएंगे। सूत्रों के मुताबिक मुकुल को मुलाकात के लिए अगले हफ्ते का समय दिया जा सकता है।
मैंने अकेले बनाई तृणमूल: मुकुल
कोलकाता। तृणमूल कांग्रेस के तमाम पदों से हटाए जाने को मुकुल रॉय ने तवज्जो देने से इन्कार किया है। शनिवार को दिल्ली में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जब मैंने तृणमूल कांग्रेस के गठन की प्रक्रिया शुरू की थी, तब ममता बनर्जी उसकी सदस्य भी नहीं थीं। मैं आज भी तृणमूल का सांसद हूं।
मुकुल ने कहा, 17 दिसंबर 1997 को जब मैंने जनप्रतिनिधित्व एक्ट के तहत पार्टी के लिए आवेदन किया था, तब हमारी मौजूदा अध्यक्ष पार्टी सदस्य भी नहीं थीं। मैंने जब पार्टी के एकमात्र राष्ट्रीय महासचिव के तौर पर काम शुरू किया था तो तृणमूल जीरो थी। भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने की संभावनाओं पर कहा कि संभावनाओं व हकीकत में बहुत फर्क होता है।
'लगता है कि अब मुकुल का पार्टी गतिविधियों से कोई संबंध नहीं रह गया है। वह अकेले चुनाव आयोग के दफ्तर जाते हैं, लेकिन पार्टी नेतृत्व को जानकारी नहीं देते।' -ममता बनर्जी, तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष