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यात्रा प्रतिबंधों के चलते समुद्र में फंसे हजारों भारतीय नाविक, संयुक्त राष्ट्र के सहयोग से मदद कर रही एमयूआइ

कोरोना महामारी के चलते दुनिया के करीब चार लाख नाविक और अन्य कर्मचारी अपने जहाजों में फंसे हुए हैं। इनमें हजारों भारतीय भी हैं। यात्रा पर प्रतिबंधों के कारण कोई भी देश अपने तटों पर इन नाविकों को उतरने की इजाजत नहीं दे रहा।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 28 Sep 2020 06:04 AM (IST)Updated: Mon, 28 Sep 2020 06:04 AM (IST)
यात्रा प्रतिबंधों के चलते समुद्र में फंसे हजारों भारतीय नाविक, संयुक्त राष्ट्र के सहयोग से मदद कर रही एमयूआइ
कोरोना महामारी के चलते हजारों भारतीय नाविक जहां तहां जहाजों में अभी भी फंसे हैं।

नई दिल्ली, पीटीआइ। कोविड-19 महामारी के चलते दुनिया के करीब चार लाख नाविक और अन्य कर्मचारी अपने जहाजों में फंसे हुए हैं, इनमें हजारों भारतीय हैं। यात्रा पर प्रतिबंध के चलते कोई भी देश अपने तटों पर इन नाविकों को उतरने की इजाजत नहीं दे रहा। भारत की सबसे पुरानी मर्चेट नेवी अफसरों की संस्था मेरीटाइम यूनियन ऑफ इंडिया (Maritime Union of India, MUI) संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के साथ मिलकर समुद्र में फंसे इन नाविकों की मदद कर रही है।

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समुद्री गतिविधियों के लिए कार्यरत संयुक्त राष्ट्र की संस्था इंटरनेशनल मेरीटाइम ऑर्गनाइजेशन (आइएमओ) ने ताजा परिस्थितियों में काम करने के लिए सीफेयरर्स क्राइसिस एक्शन टीम (एससीएटी) का गठन किया है। एमयूआइ इसी टीम के साथ मिलकर कार्य कर रही है। दोनों संस्थाओं के लोग समुद्र के बीच महीनों से लगातार जहाजों पर मौजूद करीब चार लाख अधिकारियों-कर्मचारियों की मुश्किलें कम करने में लगे हुए हैं।

समुद्र में फंसे लोगों में हजारों ऐसे हैं जो बीते 18 महीनों से जहाज पर हैं, जबकि नियमानुसार 11 महीने से ज्यादा वे वहां रह नहीं सकते। यात्रा प्रतिबंधों के चलते ये लोग अपने जहाज छोड़कर घर नहीं जा पा रहे हैं। इन्हें जरूरी चिकित्सा सुविधा मिलने में कठिनाई हो रही है। इनमें कुछ का कंपनी के साथ समझौता पूरा हो गया है और अब वे बिना वेतन-भत्तों के ही जहाज पर मौजूद हैं लेकिन वहां से निकल नहीं पा रहे हैं।

एमयूआइ और एससीएटी मिलकर विभिन्न देशों की सरकारों से इन नाविकों के लिए इंतजाम कर रहे हैं। कोशिश इन्हें ज्यादा से ज्यादा राहत दिलाने की है। एमयूआइ के महासचिव अमर सिंह ठाकुर ने बताया कि हमारे 37 हजार सदस्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के साथ मिलकर समुद्र में फंसे साथियों की मुश्किल कम करने की कोशिश कर रहे हैं। बीते दिनों यूएन ने कहा था कि घर-परिवार से दूर समुद्र में फंसे इन नाविकों के लिए अनिश्चितता जल्‍द खत्‍म होती नहीं दिख रही है। उनका मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा है। 


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