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देश में कोरोना से उबर चुके लोगों में म्यूकोमाइकोसिस का संक्रमण, जानें आखिर क्या है ये बीमारी; कितनी खतरनाक

नई मुसीबत! गुजरात-महाराष्ट्र में हर दिन सामने आ रहे काली फंगस(Black Fungus)के मरीज। महाराष्ट्र में अभी 200 मरीजों का हो रहा इलाज। अंधे होने का खतरा अब तक कई लोगों ने आंख की रोशनी गंवाई। जानिए आखिर क्या है म्यूकोमाइकोसिस।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Sun, 09 May 2021 12:09 PM (IST)Updated: Sun, 09 May 2021 12:09 PM (IST)
देश में कोरोना से उबर चुके लोगों में म्यूकोमाइकोसिस का संक्रमण, जानें आखिर क्या है ये बीमारी; कितनी खतरनाक
देश के कुछ राज्यों में फैल रही म्यूकोमाइकोसिस का संक्रमण। (फोटो: दैनिक जागरण)

नई दिल्ली, एजेंसियां। देश में दूसरी लहर के बीच कोरोना से उबर चुके लोगों में अब एक नई समस्या देखने को मिल रही है। कई मरीजों में दुर्लभ फंगल संक्रमण देखा गया है। म्यूकोमाइकोसिस जिसे बोलचाल में लोग 'काली फंगस'(Black Fungus) कह रहे हैं, इसके कई मरीज सामने आए हैं। इस समस्या से पीड़ित लोगों में कई तरह की समस्याओं के साथ सबसे बड़ा खतरा अंधे होने का है। इसके ज्यादातर मामले अभी महाराष्ट्र और गुजरात में मिले हैं। 

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गुजरात में म्यूकोमाइकोसिस के 60 मामले

गुजरात से म्यूकोमाइकोसिस के रोगी आ रहे हैं। इस तरह के पचास मरीजों का इलाज किया जा चुका है जबकि 60 और मरीजों का इलाज किया जाना है। इनमें सात मरीज आंख की रोशनी खो चुके हैं। वहीं सूरत के जिला अस्पताल के रेजीडेंट मेडिकल आफीसर केतन नाइक ने बताया कि इस तरह के मरीजों की अलग व्यवस्था की गई है। उधर अहमदाबाद अशर्व अस्पताल के आंख नाक गला (ईएनटी) विशेषज्ञ डा.देवांग गुप्ता ने बताया कि हमारे अस्पताल में हर दिन इस समस्या के पांच से 10 मरीज आ रहे हैं। हर पांच मरीजों में कम से कम एक मरीज आंख की समस्या से परेशान है। अब तक कई लोग अंधे हो चुके हैं।

महाराष्ट्र में 200 मरीजों का इलाज

इधर मुंबई से मिली खबरों के अनुसार महाराष्ट्र में, अब तक कम से कम आठ मरीज म्यूकोमाइकोसिस के कारण अंधे हो चुके हैं। ये सभी हाल ही में कोरोना से उबरे थे। इस समस्या से ग्रस्त करीब 200 मरीजों का इलाज चल रहा है। 

जानिए मेडिकल विशेषज्ञों की राय

सरकार के चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान निदेशालय के प्रमुख डा.तात्याराव लहाणे ने बताया कि ये लोग कोरोना से तो उबर गए लेकिन इनके कमजोर इम्यून सिस्टम पर फंगल संक्रमण का हमला हो गया।उन्होंने कहा कि यह बीमारी नई नहीं है। लेकिन कोरोना से उबरे लोगों में इसका पनपना चिंताजनक है। 

उन्होंने कहा कि कोरोना के इलाज में स्टेरायड का बहुतायत से प्रयोग होने से लोगों में सुगर लेवल बढ़ जाता है। कुछ दवाएं लोगों की इम्यून पावर को कम कर रही हैं। ऐसी स्थिति में मरीजों में फंगल का हमला बहुत आसानी से हो सकता है। डा.लहाने ने कहा कि संक्रमण के एक मामले में हमें मरीज की जान बचाने के लिए उसकी एक आंख निकालनी पड़ी।

जानिए फंगल संक्रमण के लक्षण

म्यूकोमाइकोसिस हमारे पर्यावरण का हिस्सा है। कमजोर इम्यूनिटी वाले इसकी चपेट में जल्दी आते हैं। इसकी चपेट में आने वालों में सिदर्द, बुखार, आंख के नीचे दर्द, नाक बंद होना या देखने में दिक्कत होने की शिकायत पैदा होती है। इसका इलाज महंगा है। 21 दिन तक इंजेक्शन का कोर्स है। एक इंजेक्शन करीब नौ हजार रुपये का पड़ता है। इस तरह लगभग दो लाख रुपये इंजेक्शन पर खर्च बैठेगा। 

मुंबई के प्रतिष्ठित सरकारी केईएम अस्पताल के ईएनटी विशेषज्ञ डा.हेतल मरफतिया ने बताया कि पिछले दो सप्ताह से म्यूकोमाइकोसिस के मरीज बढ़े हैं। हमारे पास हर दिन दो से तीन मरीज आ रहे हैं। यह बीमारी कोरोना की पहली लहर में ही सामने आ गई थी। अस्पताल से छुट्टी पाने के बाद मरीजों में कुछ हफ्तों बाद इसका हमला होता था। लेकिन अब तो कई मरीजों में कोरोना के उपचार के दौरान ही यह बीमारी उन्हें जकड़ लेती है। 

नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वीके पाल ने इस बीमारी के पनपने की जानकारी शुक्रवार को मीडिया को दी थी। यह बीमारी गीली सतह पर पाई जाने वाली म्यूकोर फंगस से होती है। उन्होंने कहा था अभी स्थिति विस्फोटक नहीं हुई है। हम इस पर नजर रखे हुए हैं। उन्होंने सलाह दी थी कि जब कोरोना मरीज आक्सीजन पर हो तो यह ध्यान रखा जाए कि ह्यूमिडीफायर से पानी लीक न हो। क्योंकि गीलेपन से फंगस पनपने का खतरा पैदा हो सकता है। इसके अलावा कोरोना पीडि़तों के इलाज में स्टेरायड का प्रयोग बहुत सोच समझ कर किया जाए।


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