अब वेल में आकर हंगामा नहीं कर पाएंगे सांसद-विधायक, बनी रहेगी संसद की गरिमा
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि सांसदों विधायकों के वेल में प्रवेश करने को लेकर प्रोटोकॉल बनाने पर जोर दिया।
पणजी, आइएएनएस। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने शुक्रवार को कहा कि लोकसभा और विधानसभाओं के वेल में आकर सांसदों, विधायकों को हंगामा करने से रोकने के लिए विधायी नियम और प्रोटोकॉल बनाने की जरूरत है। एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वे कुछ राज्यों में विधानसभा का कार्यकाल छोटा होने से भी चिंतित हैं। एक साल में कम-से-कम 70 दिन तो विधानसभाओं की कार्यवाही होनी ही चाहिए।
बिड़ला ने कहा कि देश के विधायी मंचों की कार्यवाही में एकरूपता लाने के लिए उन्होंने विधानसभा अध्यक्षों के नेतृत्व में तीन समितियों का गठन किया है। ये समितियां समान कानून बनाने के लिए विभिन्न पहलुओं पर विचार कर रही हैं। इन समितियों द्वारा लोकसभा अध्यक्ष के कार्यालय को इस माह के अंत तक रिपोर्ट सौंप दिए जाने की उम्मीद है।
प्रोटोकॉल की जरूरत
बिड़ला ने कहा कि सदन में बहस हो सकती है। लेकिन सांसदों, विधायकों के वेल में प्रवेश करने को लेकर कुछ नियम या प्रोटोकॉल होना चाहिए। सदन को चलने दिया जाए, इस दिशा में प्रयास किया जाना चाहिए। राज्य विधानसभा के कार्यदिवसों में कमी चिंता का विषय है। बिड़ला ने कहा कि इसके लिए वे मुख्यमंत्रियों से बात करेंगे, ताकि विधानसभा में ज्यादा रचनात्मक बहस हो सके।
1952 के बाद से पिछले बजट सत्र में सबसे ज्यादा काम हुआ
ओम बिड़ला ने कहा कि जुलाई से अगस्त तक चले लोकसभा के पिछले बजट सत्र में 1952 के बाद से सबसे ज्यादा काम हुआ। उन्होंने कहा कि इस साल सबसे ज्यादा बिल पास करने का रिकार्ड बना है। इनमें से ज्यातातर विधेयक सर्वसम्मति से पारित किए गए। राजनीतिक असहमतियों के बावजूद राष्ट्रीय हित के मुद्दे पर पार्टियों की आवाज एक होती है। यह बात लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत है।