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आगरा से परीक्षा देने आई महिला को बेटी हुई तो शहर को याद करने के लिए नाम रख दिया 'बैतूल'

यूपी के आगरा से मध्य प्रदेश के बैतूल शहर में नर्सिग की परीक्षा देने आई महिला कुसमा को एक ही समय में दो परीक्षाओं से गुजरना पड़ा। हुआ यूं कि कुसमा गत 18 फरवरी को जब परीक्षा दे रहीं थी तभी उन्हें प्रसव वेदना शुरू हो गई।

By Arun kumar SinghEdited By: Published: Wed, 24 Feb 2021 09:52 PM (IST)Updated: Wed, 24 Feb 2021 10:02 PM (IST)
आगरा से परीक्षा देने आई महिला को बेटी हुई तो शहर को याद करने के लिए नाम रख दिया 'बैतूल'
अपनी बेटी का 'बैतूल' नाम रख दिया

 भोपाल, राज्‍य ब्‍यूरो। यूपी के आगरा से मध्य प्रदेश के बैतूल शहर में नर्सिग की परीक्षा देने आई महिला कुसमा को एक ही समय में दो परीक्षाओं से गुजरना पड़ा। हुआ यूं कि कुसमा गत 18 फरवरी को जब परीक्षा दे रहीं थी, तभी उन्हें प्रसव वेदना शुरू हो गई। उन्हें तुरंत जिला अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उन्होंने बिटिया को जन्म दिया। जीवन के इस दोहरे संघर्ष वाले दिन व शहर के आतिथ्य को याद रखने के लिए उन्होंने अपनी बेटी का 'बैतूल' नाम रख दिया। मां-बच्ची अब स्वस्थ हैं। 

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आगरा से बैतूल आई महिला को नर्सिग की परीक्षा के दौरान हुई प्रसव वेदना

मां कुसमा ने बेटी को जन्म देने के अगले दो दिन 19 व 20 फरवरी को नर्सिग की शेष परीक्षा दी और 24 फरवरी को प्रायोगिक परीक्षा देने के बाद बेटी को लेकर आगरा लौट गई। आगरा के मालपुरा में रहने वाली कुसमा के पति मनोज बघेल दूध की दुकान लगाते हैं। ऐसे में परिवार की आर्थिक मदद के लिए कुसमा ने भी नर्सिग की परीक्षा देकर नर्स बनने की ठानी। वह गर्भवती थीं, लेकिन अपने संकल्प को पूरा करने के लिए हिम्मत जुटाकर अपनी बहन कविता के साथ 17 फरवरी को सुबह आगरा से ट्रेन के जरिये बैतूल पहुंचीं। 

जिला अस्पताल की टीम ने दिया साथ तो इसे याद रखने को शहर पर रखा बेटी का नाम

18 फरवरी को राजा भोज कॉलेज बैतूल में नर्सिग की परीक्षा देने के दौरान उन्हें प्रसव पीड़ा शुरू हुई तो जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। दोपहर 2.55 बजे उन्होंने स्वस्थ बालिका को जन्म दिया। कुसमा ने बताया कि बैतूल के जिला अस्पताल में इतना सहयोग मिला कि परिवार की कमी महसूस नहीं हुई, इसलिए इस शहर को सदैव याद रखने के लिए अपनी बेटी का नाम बैतूल रख दिया। कुसमा की बहन कविता ने बताया कि आगरा में एक निजी नर्सिग कालेज में कुसमा पढ़ाई कर रही हैं। परीक्षा के लिए बहन कुसमा को बैतूल केंद्र मिला था, इसी कारण गर्भावस्था के अंतिम दिनों में भी उन्होंने बैतूल आने की ठानी।


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