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सीएम और केंद्रीय मंत्री की शाबासी के लिए कुलपति ने किया ऐसा दावा, जो अभी तक पूरा ही नहीं हुआ, जानें क्‍या है पूरा मामला

चार दिन पहले भारतीय शिक्षण मंडल के नेशनल एक्सपो में पहुंचे केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री को कुमार ने बताया कि विवि बिजली उत्पादन में आत्मनिर्भर बन गया है। वह सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन कर अपनी जरूरत पूरी तो कर ही रहा है ग्रिड को भी बिजली दे रहा है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 17 Mar 2021 10:23 PM (IST)Updated: Wed, 17 Mar 2021 10:23 PM (IST)
सीएम और केंद्रीय मंत्री की शाबासी के लिए कुलपति ने किया ऐसा दावा, जो अभी तक पूरा ही नहीं हुआ, जानें क्‍या है पूरा मामला
राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) के कुलपति सुनील कुमार

भोपाल, राज्‍य ब्यूरो। कभी-कभी अपने से बड़े अधिकारी की शाबाशी पाने के लिए हम कुछ ऐसा कर जाते हैं, जो कभी नहीं होता है। कभी-कभी ऐसा करना आपके गले की हड्डी बन जाता है। ऐसा ही एक दावा आरजीपीवी के कुलपति ने किया है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की शाबासी पाने के लिए राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) के कुलपति सुनील कुमार ने ऐसा दावा किया, जो अभी तक पूरा ही नहीं हुआ। चार दिन पहले भारतीय शिक्षण मंडल के नेशनल एक्सपो में पहुंचे केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री को कुमार ने बताया कि विवि बिजली उत्पादन में आत्मनिर्भर बन गया है।

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वह सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन कर अपनी जरूरत पूरी तो कर ही रहा है, ग्रिड को भी बिजली दे रहा है। बात सुनने में अच्छी लगी, पर पड़ताल की तो पता चला कि विवि ने फरवरी माह का 8.05 लाख रुपये का बिल तीन दिन पहले ही जमा किया है। इसकी छायाप्रति दैनिक जागरण के सहयोगी अखबार 'नईदुनिया' के पास है। आगे भी वे सौर परियोजना वाली कंपनी से दो रुपये प्रति यूनिट बिजली खरीदेंगे।

कहा था- बिजली में आत्मनिर्भर बन गया विवि, जबकि फरवरी में ही आठ लाख का बिल चुकाया

कार्यक्रम में आए केंद्रीय मंत्री ने देशभर के विश्वविद्यालयों का आह्वान किया था कि वे अपने खर्चे खुद निकालें और कोशिश करें कि सरकार को भी आर्थिक मदद कर पाएं। कार्यक्रम के अंत में कुलपति ने आभार व्यक्त किया। इस दौरान कुमार ने अपनी सफलता की कहानी सुना दी। उन्होंने जिस तरह से इसे प्रस्तुत किया, ऐसा लगा मानो विवि बिजली बेचकर आर्थिक संपन्नता के क्षेत्र में आगे बढ़ गया है। इधर बिजली कंपनी के अधिकारी कहते हैं कि विवि ने चार दिन पहले नेट मीटर (बिजली का आदान-प्रदान) कनेक्शन लिया है।

एक कंपनी को सौंपी छत

हैरत इस बात की है कि विवि प्रबंधन ने सौर ऊर्जा के लिए एक कंपनी को अपनी छत सौंप दी है। परियोजना पर पूरी राशि कंपनी ने खर्च की है और अब 1.90 रपये प्रति यूनिट की दर पर विवि को बिजली बेच रही है। हैरत इस बात की भी है कि छत का उपयोग करने के बदले कंपनी से राशि नहीं ली जा रही है। बल्कि प्रबंधन इस बात से खुश है कि नौ रपये यूनिट की बिजली उन्हें दो रपये से भी कम में पड़ रही है। सूत्र बताते हैं कि विवि वर्ष 2014-15 में क्रास लीनियर कंस्ट्रेक्शन सोलर पावर नाम से 10 करोड़ की परियोजना लाया था, जो टोक्यो टेक्निकल यूनिवर्सिटी के सहयोग से पूरी होना थी, पर राशि खर्च होने के बाद भी काम पूरा नहीं हुआ और अब वही काम एक निजी कंपनी ने रेस्को मॉडल के तहत किया है। इसमें कंपनी ही परियोजना को विकसित करती है और वही मालिक होती है।

आरजीपीवी के कुलपति सुनील कुमार ने कहा कि कंपनी छत के बदले सस्ती बिजली दे रही है, जो हमें नौ रुपये यूनिट खरीदनी पड़ रही थी। वहीं कंपनी छत का रखरखाव करेगी। रेस्को माडल में ऐसा ही होता है। मंत्रीजी को यही बताने की कोशिश की है। फरवरी के बिजली बिल पर वे कहते हैं कि पुराना बिल है, तो जमा करना ही पड़ेगा। निजी कंपनी से अनुबंध पर कहते हैं कि कंपनी मप्र ऊर्जा विकास निगम ने तय की है।

विवि के सौर ऊर्जा प्रभारी डॉ. मुकेश पांडे ने कहा कि विवि की छत पर 490 किलोवाट का सोलर रूफटाप प्लांट लगा है। उत्पादन का ट्रायल 10 मार्च से शुरू हुआ है। अभी 1600 से 2000 यूनिट बिजली बन रही है। इसमें से करीब 600 यूनिट ग्रिड को दे रहे हैं। परियोजना मप्र ऊर्जा विकास निगम के माध्यम से पूरी की गई है।

बिजली कंपनी एई (एचटीएम नार्थ) के टीएच सिद्दीकी का कहना है कि विवि ने चार दिन पहले ही नेट मीटर कनेक्शन लिया है। बिजली बिल कम हुआ या नहीं और कितनी बिजली ग्रिड में जा रही है, यह तो अभी बताया नहीं जा सकता है।


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